राजस्थान में इस साल अप्रैल में भीषण गर्मी ने बिजली की खपत को आसमान छूने पर मजबूर कर दिया। बाड़मेर, जैसलमेर, कोटा और श्रीगंगानगर जैसे इलाकों में तापमान 44-45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इससे बिजली की मांग में 20-25% की बढ़ोतरी हुई। राज्य को हर दिन 2800-3000 लाख यूनिट बिजली की जरूरत है, जो पिछले साल से 600 लाख यूनिट ज्यादा है। इस संकट में सूरतगढ़ थर्मल पावर स्टेशन राजस्थान की बिजली आपूर्ति का सबसे बड़ा सहारा बना हुआ है।
बिजली का मजबूत स्तंभ
श्रीगंगानगर में स्थित सूरतगढ़ थर्मल पावर स्टेशन 2800 मेगावाट क्षमता वाला राज्य का सबसे बड़ा बिजलीघर है। इसकी आठ इकाइयां मिलकर 2500 मेगावाट बिजली पैदा करती हैं। गर्मी के कारण एयर कंडीशनर और कूलर की बढ़ती मांग के कारण यह प्लांट अपनी पूरी क्षमता से काम कर रहा है। फिर भी मांग और आपूर्ति में कमी के कारण गांवों और शहरों में बिजली कटौती की समस्या बनी हुई है।
कोयले से लेकर सुधारों तक सरकार के प्रयास
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हाल ही में सूरतगढ़ थर्मल का दौरा किया। उन्होंने प्लांट की दक्षता बढ़ाने और बिजली वितरण में सुधार के निर्देश दिए। सरकार ने छत्तीसगढ़ से 4 लाख मीट्रिक टन कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित की है। हालांकि, पावर एक्सचेंज से महंगी बिजली खरीदने की मजबूरी बिजली कंपनियों पर वित्तीय दबाव डाल रही है।
सरप्लस बिजली का सपना
ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि सूरतगढ़ थर्मल हमारी ऊर्जा रणनीति का दिल है। अगले साल तक 6400 मेगावाट अतिरिक्त बिजली पैदा करने का लक्ष्य है, जिससे राजस्थान बिजली सरप्लस राज्य बन जाएगा।
अभी और बढ़ेगी गर्मी
मौसम विभाग ने 30 अप्रैल तक तापमान में और बढ़ोतरी की चेतावनी दी है। इससे सूरतगढ़ थर्मल पर दबाव और बढ़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि सौर और पवन ऊर्जा में निवेश ही दीर्घकालिक समाधान है। फिलहाल सूरतगढ़ थर्मल राजस्थान को रोशन रखने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है।