अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही ये एलान कर दिया था कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए हमलों के साज़िशकर्ता तहव्वुर राना को भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा.
इसके बाद राना ने अमेरिकी अदालतों में प्रत्यर्पण को रोकने की कोशिश की थी लेकिन वह सफल नहीं रहे. इसके बाद अब उन्हें भारत लाया जा रहा है.
इस साल फ़रवरी में अमेरिका पहुँचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाक़ात के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, 'मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले से जुड़े राना को भारत में न्याय का सामना करना होगा."
भारत अरसे से राना के प्रत्यर्पण की मांग करता रहा है.
एक बार तो अमेरिकी अदालत ने तहव्वुर राना को भारत प्रत्यर्पित करने की अनुमति भी दे दी थी. लेकिन पिछले साल नंवबर में उन्होंने इस पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी. इस याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने ख़ारिज कर दिया है.
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पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राना फ़िलहाल अमेरिका की जेल में थे.
अमेरिका में तहव्वुर राना को वर्ष 2013 में अपने दोस्त डेविड कोलमैन हेडली के साथ मुंबई के हमले को अंजाम देने और डेनमार्क में हमले की योजना बनाने के आरोप में दोषी पाया गया था.
इन मामलों में तहव्वुर हुसैन राना को अमेरिकी अदालत ने 14 साल जेल की सज़ा सुनाई थी.
तहव्वुर हुसैन राना कौन है और मुंबई के हमले में उसकी भूमिका क्या थी और दूसरे मामलों में उसे क्यों सज़ा मिली है?
इससे संबंधित बीबीसी हिंदी की ये कहानी आगे पढ़िए जो 18 मई 2023 को पहली बार प्रकाशित हुई थी.
कौन है तहव्वुर राना
26 नवंबर, 2008 की रात को 10 चरमपंथियों ने मुंबई की कई इमारतों पर एक साथ हमला किया था. इस हमले में 164 लोग मारे गए. कार्रवाई में नौ चरमपंथी भी मारे गए.
भारत का आरोप है कि ये चरमपंथी पाकिस्तान की धरती पर सक्रिय चरमपंथी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा से जुड़े थे. लेकिन इस हमले में अजमल कसाब बच गया, जिसे नवंबर 2012 में फांसी दे दी गई.
भारतीय एजेंसियों की ओर से पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली के ख़िलाफ़ जारी जाँच में एक नाम बार-बार आ रहा था, और वो नाम था तहव्वुर हुसैन राना.
शिकागो में कड़ी सुरक्षा के बीच चार हफ़्ते तक चले मुक़दमे के दौरान राना के बारे में कई जानकारियाँ सामने आई थीं.
इस मुक़दमे की सबसे अहम बात ये रही कि हेडली तहव्वुर राना के ख़िलाफ़ सरकारी गवाह बन गया.
तहव्वुर हुसैन राना का जन्म पाकिस्तान में हुआ और वहीं परवरिश हुई. मेडिकल डिग्री हासिल करने के बाद वो पाकिस्तानी सेना के मेडिकल कोर में शामिल हो गए थे.
राना की पत्नी भी डॉक्टर थीं. 1997 में दोनों पति-पत्नी कनाडा चले गए और 2001 में कनाडा के नागरिक बन गए.
साल 2009 में अपनी गिरफ़्तारी से कुछ साल पहले राना ने अमेरिका के शिकागो में एक इमीग्रेशन और ट्रैवल एजेंसी खोली.
अदालत में बताया गया कि शिकागो में डेविड कोलमैन हेडली के साथ उनकी पुरानी दोस्ती फिर से शुरू हो गई थी.
हेडली ने जब मुंबई पर हमले की तैयारी शुरू की, तो वे 2006 से 2008 के बीच कई बार मुंबई आए.
बार-बार भारत आने पर किसी को शक न हो इससे बचने के लिए हेडली ने राना की ट्रैवल एजेंसी की एक शाखा मुंबई में खोली.
अदालत को ये भी बताया गया था कि राना पाकिस्तान में सक्रिय चरमपंथी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के इशारे पर ये सब कर रहे थे.
मुंबई हमले में छह अमेरिकी नागरिक भी मारे गए थे. अमेरिकी नागरिकों को मारने में मदद करने सहित 12 आरोपों पर राना को सज़ा मिली.
अमेरिका जाँच एजेंसी एफ़बीआई ने राना और हेडली को अक्तूबर 2009 में शिकागो एयरपोर्ट पर गिरफ़्तार किया था.
एफ़बीआई का दावा है कि ये दोनों डेनमार्क में चरमपंथी हमला करने के लिए जा रहे थे.
उनकी योजना जिलैंड्स-पोस्टेन अख़बार के दफ़्तर पर हमले की थी. इस अख़बार ने पैग़ंबर मोहम्मद के विवादास्पद कार्टून प्रकाशित किए थे.
इस गिरफ़्तारी के बाद हुई पूछताछ के दौरान मुंबई हमलों में इन दोनों के शामिल होने की भी पुष्टि हुई.
इस तरह राना को दो अलग-अलग साज़िशों में शामिल होने के लिए 14 साल जेल की सज़ा दी गई.
अक्तूबर 2009 में गिरफ़्तारी के बाद के बयान में राना ने स्वीकार किया था कि पाकिस्तान में होने वाले लश्कर के प्रशिक्षण शिविरों में हेडली ने भाग लिया था.
हेडली की स्वीकारोक्तिअमेरिका में शिकागो में चले मुकदमे के दोरान वहां के अटॉर्नी जनरल ने कहा था, "2006 की शुरुआती गर्मियों में, हेडली और लश्कर के दो सदस्यों ने उनकी गतिविधियों के कवर के रूप में मुंबई में एक इमीग्रेशन ऑफ़िस खोलने पर चर्चा की."
अटॉर्नी जनरल ने बताया कि हेडली ने गवाही दी थी कि उन्होंने शिकागो की यात्रा की और अपने स्कूल के दोस्त राना से भारत में संभावित लक्ष्यों की खोज करने के बारे में सलाह मशविरा किया.
हेडली ने राना से मुंबई में 'फ़र्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज़' का दफ़्तर खोलने की बात की थी ताकि उन लोगों की अपनी गतिविधियों के कवर के रूप में उस दफ़्तर का इस्तेमाल किया जा सके.
गवाही के दौरान हेडली ने कहा था, "जुलाई 2006 में, मैं राना से मिलने के लिए शिकागो गया था और उसे उस मिशन (मुंबई पर हमले) के बारे में बताया था जो लश्कर ने मुझे सौंपा था."
सरकारी गवाह बने हेडली ने बताया, "राना ने मुंबई में एक "फ़र्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज़" केंद्र स्थापित करने की मेरी योजना को मंज़ूरी दी थी और उसे पांच साल का बिज़नेस वीज़ा प्राप्त करने में मदद की थी."
हालांकि, फ़रवरी 2016 में बॉम्बे सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट में वीडियो लिंक के माध्यम से गवाही देते हुए, हेडली ने दावा किया था कि उन्होंने मुंबई हमलों से कुछ महीने पहले ही राना को अपनी गतिविधियों के बारे में सूचित किया था.
'एक मक्कार और चालबाज़ शख़्स'राना को सज़ा सुनाये जाने के बाद अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा के सहायक अटार्नी जनरल लिसा मोनाको ने अदालत के फ़ैसले के बाद कहा था, "आज का फ़ैसला इस बात को दर्शाता है कि जिस तरह से हम आतंकवादियों और उनके संगठनों का पीछा करते हैं, हम उन लोगों का भी पीछा करेंगे जो एक सुरक्षित दूरी से उनकी हिंसक साज़िशों को अंजाम देते हैं."
मोनाको का कहना था, "ये जानते हुए कि हेडली हमले की योजना बना रहे हैं, तहव्वुर राना ने अमेरिका में अपने बेस से उनकी मदद की."
राणा के वकील चार्ली स्विफ़्ट ने उस समय कहा था कि सरकारी गवाह बनने से पहले तक हेडली और राना बहुत क़रीबी दोस्त थे.
राना के वकील ने हेडली के ख़िलाफ़ इलज़ाम लगाते हुए कहा था कि वो 'एक मक्कार और चालबाज़ शख़्स जिन्होंने राना जैसे सीधे आदमी को फंसा दिया.'
तब चार्ली स्विफ़्ट ने मुझसे कहा था, "हेडली चालबाज़ और मास्टर मैनिपुलेटर हैं जिन्होंने डॉ राना को मूर्ख बनाया था."
यह सच है कि राना और हेडली बचपन से ही दोस्त थे और दोनों ने एक ही स्कूल में पांच साल तक पढ़ाई की थी.
स्कूल से निकलने के बाद दोनों पहली बार 2006 में शिकागो में मिले.
शिकागो में चले मुक़दमे में इस बात का पता चला कि राना के मुक़ाबले हेडली लश्कर के लिए अधिक बढ़-चढ़ कर काम करते थे.
अदालत में दोनों के बयानों से ये साफ़ होता है कि लश्कर ने 2005 में मुंबई और कोपेनहेगेन में एक साथ चरमपंथी हमले की योजनाएं बनाई थीं. इन दोनों योजनाओं में राना की भी हिस्सेदारी थी.
मुंबई हमले में उसकी भूमिका हेडली और लश्कर की मुंबई पर हमले में मदद करने तक सीमित थी.
लेकिन डेनमार्क वाले मामले में दोनों ने ख़ुद हमले की योजना बनाई थी और उसको अंजाम देने डेनमार्क के लिए रवाना होने वाले थे.
लेकिन, उससे पहले ही उन्हें शिकागो हवाई अड्डे पर पकड़ लिया गया था.
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