भारत और पाकिस्तान एक बार फिर से उस मुहाने पर खड़े हैं, जहाँ से टकराव की राह और चौड़ी हो सकती है.
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में चरमपंथी हमले के एक दिन बाद भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कई फ़ैसले लिए तो जवाब में एक दिन बाद पाकिस्तान ने भी कई निर्णय लिए.
ऐसे में सवाल उठता है कि इन फ़ैसलों के बाद दोनों देश और आगे जाएंगे या पीछे मुड़ने की गुंजाइश है.
पाकिस्तान को स्थगित करने के फ़ैसले को ज़्यादा गंभीरता से ले रहा है. भारत अगर इस स्थगन के ज़रिए पानी पूरी तरह से रोकने में कामयाब होता है तो पाकिस्तान के लिए बहुत मुश्किल स्थिति हो सकती है.
पाकिस्तान के पत्रकारों और विश्लेषकों का कहना है कि अगर भारत पानी रोकता है तो यह एक तरह से जंग का एलान है.
पाकिस्तान के चर्चित पत्रकार और विश्लेषक नजम सेठी ने पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल से कहा, ''पाकिस्तान दो स्थिति में मानेगा कि भारत ने जंग की शुरुआत कर दी है. एक तो पानी रोककर और दूसरा कराची पोर्ट को ब्लॉक करना. पाकिस्तान इन दोनों स्थिति को एक्ट ऑफ वॉर के रूप में लेगा और ऐसे में हमारे पास अधिकार हैं कि परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकें. पाकिस्तान की सोच इस मामले में बिल्कुल स्पष्ट है. ये दो क्षेत्र हैं, जो पाकिस्तान के लिए रेड लाइट है.''

नजम सेठी कहते हैं, ''भारत कराची पोर्ट को ब्लॉक कर देगा तो सारा पाकिस्तान ब्लॉक हो जाएगा. ये दो रेड लाइट हैं और हम इसका मतलब यही निकालेंगे कि भारत ने युद्ध की शुरुआत कर दी है. अगर जंग होगी तो ठीक है. लेकिन जंग होगी तो हमारी एक और नीति है. वो है कि हम परमाणु हथियार किस स्टेज पर इस्तेमाल करेंगे. इसके दो लेवल हैं.''
उन्होंने कहा, ''एक है कि हमारी फौज की बॉर्डर पर ही शिकस्त हो जाती है और ऐसा लगे कि हिन्दुस्तान की फौज भीतर तक आने वाली है. ऐसे में हम परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकते हैं. दूसरी स्थिति यह है कि हिन्दुस्तान की फौज पाकिस्तान के किसी इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर लेती है तो हम परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकते हैं. हम परमाणु हथियार का इस्तेमाल पहले नहीं करेंगे की बाध्यता से भी बंधे नहीं हैं.''
हालांकि भारत इस नीति को मानता है कि वह पहले परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं करेगा. लेकिन अगस्त 2019 में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, ''अभी तक हमारी नीति है कि हम पहले परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं करेंगे लेकिन भविष्य में यह नीति हालात पर निर्भर करेगी.''
'भारत इसराइल नहीं और हम फ़लस्तीन नहीं'इससे पहले 2016 में भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि भारत इस नीति से बंधा नहीं रह सकता है.
भारत के कई रक्षा विश्लेषक पहले परमाणु हथियार इस्तेमाल नहीं करने की नीति की आलोचना करते रहे हैं.
पाकिस्तान के लिए सिंधु जल संधि का पानी उसके लिए लाइफ लाइन की तरह है और कराची पोर्ट का ऑपरेशनल रहना भी कुछ ऐसा ही है. ऐसे में भारत के साथ तनाव की घड़ी में पाकिस्तान को इन दो बातों की चिंता सबसे ज़्यादा सताती है.
नजम सेठी कहते हैं, ''भारत पानी को रातोंरात नहीं रोक सकता है. भारत को पानी रोकने में कम से कम पाँच से 10 साल लगेंगे. अगर भारत इस फ़ैसले को अमल में लाता है तो चीन भी भारत के साथ ऐसा कर सकता है. भारत थोड़ा बहुत तंग कर सकता है लेकिन पूरी तरह से बंद नहीं कर सकता है. भारत इसराइल नहीं है और हम फ़लस्तीन नहीं हैं. भारत एलओसी पर मामला गर्म करेगा. भारत सीज़फायर तोड़ेगा और ऐसी स्थिति में फौज को पश्चिम से एलओसी पर लगाना होगा. लेकिन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बहुत अच्छी नहीं है, इसलिए मुश्किलें होंगी.''
एक्ट ऑफ वॉर
गुरुवार को पाकिस्तान की नेशनल सिक्यॉरिटी कमिटी ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा था, ''सिंधु जल समझौते के तहत पाकिस्तान को मिलने वाला पानी किसी भी तरह से रोका जाता है या डायवर्ट किया जाता है तो इसे युद्ध के रूप में लिया जाएगा और पूरी ताक़त के साथ जवाब दिया जाएगा.''
भारत के रक्षा विश्लेषक राहुल बेदी से पूछा कि वाक़ई पाकिस्तान सिंधु जल संधि को निलंबित करने और कराची पोर्ट को ब्लॉक करने को एक्ट ऑफ वार के रूप में लेगा?
बेदी कहते हैं, ''पाकिस्तान के जनरल ख़ालिद किदवई ने ऐसा ही कहा था. पाकिस्तान के लिए दोनों लाइफ लाइन हैं. सिंधु जल संधि का पानी अगर पाकिस्तान को नहीं मिलेगा तो वहाँ की अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी और कराची पोर्ट को भारत ने ब्लॉक कर दिया तो पाकिस्तान बिल्कुल डिसकनेक्ट हो जाएगा. कराची पोर्ट से पाकिस्तान का हुक्का पानी चलता है. मेरा भी मानना है कि पाकिस्तान इन दोनों चीज़ों को सामान्य रूप में नहीं देख सकता है.''
क्या भारत कराची पोर्ट को ब्लॉक करने की क्षमता रखता है?
राहुल बेदी कहते हैं, ''भारत की नौसेना अभी बहुत अच्छी स्थिति में है और उसके पास इतनी क्षमता है कि कराची पोर्ट को ब्लॉक कर दे.''
राहुल बेदी कहते हैं, ''मेरी दूसरी चिंता यह है कि शिमला समझौते से बाहर होने के बाद लाइन ऑफ कंट्रोल यानी एलओसी का कोई मतलब नहीं रह गया है. यानी भारत या पाकिस्तान दोनों एक दूसरे की तरफ़ ताक़त के दम पर घुस सकते हैं. शिमला समझौते में एलओसी को एक तरह से डिफैक्टो बॉर्डर मान लिया गया था लेकिन अब तो वो लाइन भी ऐसी हो गई है, जिसे पाकिस्तान कह रहा है कि हम नहीं मानेंगे.''
1971 से अलग नतीजेभारत में पाकिस्तान उचायुक्त रहे का कहना है कि अब पाकिस्तान 1971 वाला नहीं है और जंग के नतीजे कुछ और होंगे. राहुल बेदी से यही सवाल पूछा कि पाकिस्तान 1971 की तुलना में कितना बदल गया है?
बेदी कहते हैं, ''पाकिस्तान 1971 वाला नहीं है तो भारत भी नहीं है. लेकिन ये बात सच है कि 1971 में युद्ध का नतीजा जितना भारत के पक्ष में था, उतना अब नहीं होगा. इसका सीधा कारण यही है कि दोनों मुल्कों के पास परमाणु हथियार हैं. अभी की स्थिति देख मेरे मन में डर है लेकिन एक चीज़ आश्वस्त करती है. मुझे लगता है कि चीन और रूस जंग नहीं होने देंगे. रूस भारत के साथ रहेगा और चीन पाकिस्तान के साथ लेकिन इन दोनों देशों के लिए रूस और चीन आपस में नहीं लड़ेंगे. ऐसे में दोनों देश यही चाहेंगे कि भारत-पाकिस्तान में जंग ना हो.''
पाकिस्तान ने भारत के ख़िलाफ़ अपने हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है.
पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल जियो टीवी से पाकिस्तान चाइना इंस्टिट्यूट के चेयरमैन मुशाहिद हुसैन सैयद ने कहा कि इससे भारत को लाखों डॉलर का नुक़सान होगा और दूसरे मुल्कों से दूरियां बढ़ जाएंगी.
मुशाहिद हुसैन ने कहा, ''भारत से पाकिस्तान का ट्रेड वाया दुबई हो रहा था. लेकिन अब इसे भी बंद करने का फ़ैसला किया गया है.''
पाकिस्तानी पत्रकार से बातचीत में पाकिस्तान के ही रक्षा विश्लेषक सैयद मोहम्मद अली ने कहा, ''पिछले 78 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत ने औपचारिक रूप से पानी रोकने की बात कही है. 24 करोड़ पाकिस्तानियों की ज़िंदगी इस पानी से जुड़ी है और ये ज़िंदगियां ख़तरे में पड़ेंगी तो हम कुछ भी कर सकते हैं. 1971 में भारत की ये डिप्लोमैटिक जीत थी क्योंकि एलओसी पाकिस्तान ने भी मान लिया लेकिन अब शिमला समझौते को हमने निलंबित कर दिया है, ऐसे में अब कोई लाइन ऑफ कंट्रोल नहीं है.''
सैयद मोहम्मद अली ने कहा, ''भारत ने अगर पानी के ज़रिए हमारी कृषि को तबाह किया तो यह ऐसा नुक़सान होगा, जिसकी भरपाई बहुत मुश्किल है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है. ऐसे में पाकिस्तान इस दर्द को किसी भी लिहाज से बर्दाश्त नहीं करेगा. भारत सिंधु जल संधि के पानी रोकने की व्यवस्था पहले से ही कर रहा है और पाकिस्तान की तरफ़ के बहाव को कम भी किया है. पाकिस्तान को इस मामले में चीन से भी संपर्क करना चाहिए.''
सैयद मोहम्मद अली ने कहा, ''पाकिस्तान के लिए पानी रेड लाइन है और भारत ने इसे बाधित किया इसके नतीजे बहुत ही ख़तरनाक होंगे.''
कई विशेषज्ञ सिंधु जल संधि और शिमला समझौते को सेफ्टी नेट्स के रूप में देखते हैं.
दक्षिण एशिया मामलों के विश्वलेषक माइकल कुगलमैन ने ब्रिटिश अख़बार से कहा, ''सिंधु जल संधि और शिमला समझौता दोनों देशों के बीच भारी तनाव में सहयोग और संचार के दरवाज़े खोलते रहे हैं. लेकिन दोनों समझौतों से बाहर आने के बाद पाकिस्तान और भारत जटिल स्थिति में पहुँच सकते हैं. मुझे लगता है कि भारत और पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति को लेकर दुनिया को चिंतित होना चाहिए. पहलगाम में हमले के बाद भारत ने कुछ अहम फ़ैसले किए और फिर पाकिस्तान ने. इसके बावजूद दोनों देशों पर काफ़ी दबाव है. टकराव की आशंका बहुत ज़्यादा है.''
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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