Urban Company IPO GMP लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहा है। वर्तमान में यह 45 रुपये है जो कैप प्राइस की तुलना में 43.6 प्रतिशत अधिक है। यह इस इश्यू का उच्चतम जीएमपी भी है।
उल्लेखनीय है कि 2 सितंबर को जीएमपी 10 रुपये था जो 5 सितंबर को डबल हो गया। इसके बाद रफ्तार तूफानी हो गई और इश्यू खुलने वाले दिन यानी 10 सितंबर को जीएमपी लगभग 4 गुना हो गया। अभी भी यह ऊपर की ओर चल रहा है और अपने उच्चतम स्तर पर है।
सब्सक्रिप्शन के अंतिम दिन तूफानी तेजीग्रे मार्केट में जोरदार प्रीमियम के चलते इस आईपीओ पर निवेशक टूट पड़े हैं। यह इश्यू पहले दिन 3.29 गुना और दूसरे दिन 9.48 गुना सब्सक्राइब हुआ था। तीसरे दिन तो रफ्तार में तूफानी तेजी आ गई है।
सुबह 11:41 बजे तक यह इश्यू 18.25 गुना बुक हो चुका है। रिटेल कैटेगरी में 26.77 गुना, एनआईआई कैटेगरी में 40.89 गुना और क्यूआईबी कैटेगरी में 4.07 गुना यह बुक हो चुका है। 12 सितंबर को इस इश्यू को सब्सक्राइब करने का अंतिम दिन है।
कंपनी का बिजनेस और विस्तार2014 में स्थापित Urban Company भारत की सबसे बड़ी होम सर्विस कंपनी है, जो क्लीनिंग, ब्यूटी ट्रीटमेंट्स, अप्लायंस रिपेयर, पेस्ट कंट्रोल, प्लंबिंग, इलेक्ट्रिकल और वेलनेस जैसी सुविधाएं मुहैया कराती है। कंपनी अपनी ब्रांड Native के तहत वॉटर प्यूरीफायर और स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक डोर लॉक भी बेचती है।
भारत के 47 शहरों में मौजूद यह प्लेटफॉर्म अब UAE, सिंगापुर और सऊदी अरब तक फैल चुका है। अब तक कंपनी 1.45 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों को सेवा दे चुकी है और इसके 54,000 से ज्यादा एक्टिव सर्विस प्रोफेशनल्स हैं।
वित्तीय प्रदर्शनवित्त वर्ष 2025 में अर्बन कंपनी ने 1,144.5 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया, जो साल-दर-साल 38% की ग्रोथ है। कंपनी ने इस साल 240 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट दिखाया, जिसमें बड़ा हिस्सा टैक्स क्रेडिट से आया। टैक्स लाभ को छोड़ दें तो प्री-टैक्स प्रॉफिट 28 करोड़ रुपये रहा।
IPO से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल कंपनी वर्किंग कैपिटल, मशीनरी खरीद, कर्ज चुकाने और अन्य कॉर्पोरेट जरूरतों के लिए करेगी।
निवेशकों के लिए संदेशब्रोकरेज हाउस का मानना है कि Urban Company में लंबी अवधि के लिए निवेश करना बेहतर रहेगा। हालांकि, वैल्यूएशन थोड़ा महंगा माना जा रहा है, लेकिन कंपनी की मजबूत ब्रांडिंग, बड़े ग्राहक आधार और होम सर्विस इंडस्ट्री में बढ़ते औपचारिकरण से इसे लंबी अवधि में फायदा होगा।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
उल्लेखनीय है कि 2 सितंबर को जीएमपी 10 रुपये था जो 5 सितंबर को डबल हो गया। इसके बाद रफ्तार तूफानी हो गई और इश्यू खुलने वाले दिन यानी 10 सितंबर को जीएमपी लगभग 4 गुना हो गया। अभी भी यह ऊपर की ओर चल रहा है और अपने उच्चतम स्तर पर है।
सब्सक्रिप्शन के अंतिम दिन तूफानी तेजीग्रे मार्केट में जोरदार प्रीमियम के चलते इस आईपीओ पर निवेशक टूट पड़े हैं। यह इश्यू पहले दिन 3.29 गुना और दूसरे दिन 9.48 गुना सब्सक्राइब हुआ था। तीसरे दिन तो रफ्तार में तूफानी तेजी आ गई है।
सुबह 11:41 बजे तक यह इश्यू 18.25 गुना बुक हो चुका है। रिटेल कैटेगरी में 26.77 गुना, एनआईआई कैटेगरी में 40.89 गुना और क्यूआईबी कैटेगरी में 4.07 गुना यह बुक हो चुका है। 12 सितंबर को इस इश्यू को सब्सक्राइब करने का अंतिम दिन है।
कंपनी का बिजनेस और विस्तार2014 में स्थापित Urban Company भारत की सबसे बड़ी होम सर्विस कंपनी है, जो क्लीनिंग, ब्यूटी ट्रीटमेंट्स, अप्लायंस रिपेयर, पेस्ट कंट्रोल, प्लंबिंग, इलेक्ट्रिकल और वेलनेस जैसी सुविधाएं मुहैया कराती है। कंपनी अपनी ब्रांड Native के तहत वॉटर प्यूरीफायर और स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक डोर लॉक भी बेचती है।
भारत के 47 शहरों में मौजूद यह प्लेटफॉर्म अब UAE, सिंगापुर और सऊदी अरब तक फैल चुका है। अब तक कंपनी 1.45 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों को सेवा दे चुकी है और इसके 54,000 से ज्यादा एक्टिव सर्विस प्रोफेशनल्स हैं।
वित्तीय प्रदर्शनवित्त वर्ष 2025 में अर्बन कंपनी ने 1,144.5 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया, जो साल-दर-साल 38% की ग्रोथ है। कंपनी ने इस साल 240 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट दिखाया, जिसमें बड़ा हिस्सा टैक्स क्रेडिट से आया। टैक्स लाभ को छोड़ दें तो प्री-टैक्स प्रॉफिट 28 करोड़ रुपये रहा।
IPO से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल कंपनी वर्किंग कैपिटल, मशीनरी खरीद, कर्ज चुकाने और अन्य कॉर्पोरेट जरूरतों के लिए करेगी।
निवेशकों के लिए संदेशब्रोकरेज हाउस का मानना है कि Urban Company में लंबी अवधि के लिए निवेश करना बेहतर रहेगा। हालांकि, वैल्यूएशन थोड़ा महंगा माना जा रहा है, लेकिन कंपनी की मजबूत ब्रांडिंग, बड़े ग्राहक आधार और होम सर्विस इंडस्ट्री में बढ़ते औपचारिकरण से इसे लंबी अवधि में फायदा होगा।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
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