ज्यादातर युवाओं का सपना एक अच्छी नौकरी पाने का होता है. बहुत कम ही लोग ऐसे होते हैं, जो कारोबार शुरू करने का बारे में सोचते हैं. वहीं अच्छी नौकरी छोड़कर कारोबार शुरू करने वाले लोग शायद बहुत ही कम होते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने वाले हैं, जिसने एमएनसी की नौकरी छोड़कर खुद का कारोबार शुरू करने का फैसला लिया. हम बात कर रहे हैं प्रणव गोयल की. प्रणव गोयल "पोर्टर" नाम की कंपनी के को-फाउंडर हैं. इस कंपनी का रेवेन्यू 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा है. आइए जानते हैं प्रणव गोयल की सफलता की कहानी के बारे में. मुंबई शिफ्ट होने के दौरान आया बिजनेस आईडियाप्रणव गोयल का जन्म साल 1990 में दिल्ली में हुआ था. काफी कम उम्र में ही प्रणव ने यह सफलता हासिल की है. प्रणव ने आईआईटी खड़गपुर से स्नातक की डिग्री हासिल की है, जिसके बाद वह गुड़गांव के कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस में एसोसिएट के पद पर नौकरी करने लगे. इस दौरान अपनी नौकरी के चलते प्रणव को गुड़गांव से मुंबई शिफ्ट होने था लेकिन उन्हें अपना फर्नीचर शिफ्ट करने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा. बस यही से प्रणव के दिमाग में आईडिया आया. इस समस्या को देखते हुए प्रणव भारत के शहरों के अंदर सामान ढोने वाली लॉजिस्टिक्स सेवाओं की समस्याओं के बारे में सोचने लगे और इसका हल निकालने के बारे में सोचा. उन्होंने पाया कि हल्के कमर्शियल वाहन पूरे दिन में केवल एक या दो ग्राहक ही ढूंढ पाते थे यानी उनके पास काम नहीं आ रहा है. इसी को देखते हुए प्रणव ने एक ऐसा प्लेटफार्म बनाया, जो लोगों को भरोसेमंद और तुरंत मिलने वाली लॉजिस्टिक सेवाएं दे और ड्राइवरों को भी ज्यादा काम मिल सकें. नौकरी छोड़कर दोस्तों के साथ शुरू किया कारोबारसाल 2014 में प्रणव ने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर Porter कंपनी की शुरुआत की. यह कंपनी लोगों के घरों के सामानों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का काम करती है. पोर्टर प्लेटफॉर्म द्वारा लोग अपने सामान के लिए मिनी ट्रक, दो-पहिया वाहन और थ्री-व्हीलर बुक कर सकते हैं. पोर्टर ऐप के जरिए ग्राहक ड्राइवरों से जुड़ते हैं. कुछ ही महीनों में हुआ अच्छा प्रदर्शनपोर्टर शुरू होने के 18 महीनों में ही कंपनी को पूरी 1 लाख बुकिंग मिली. धीरे-धीरे यह ऐप देश के अलग अलग राज्यों में फैल गया और ऐप से नए ग्राहक जुड़ें. यह ऐप हर बुकिंग पर 10 से 15 प्रतिशत तक का कमीशन लेता है. इसके बावजूद भी क्लाइंट्स को 20 प्रतिशत तक की बचत होती है, जो दर्शाता है कि पोर्टर ऐप का मॉडल काफी अच्छा है. आज पोर्टर के साथ लाखों ड्राइवर जुड़े हुए हैं, दो हर महीने लाखों डिलीवरी करते हैं.
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