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बवासीर: कारण, प्रकार और घरेलू उपचार

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बवासीर क्या है?

बवासीर, जिसे अर्श भी कहा जाता है, गुदा मार्ग की एक सामान्य बीमारी है। इसका मुख्य कारण कब्ज होता है, जो अधिक मिर्च-मसाले और बाहर के खाने के सेवन से उत्पन्न होता है। इससे पेट में कब्ज बनता है, जिससे मल अधिक सूखा और कठोर हो जाता है, और मल त्याग करते समय जोर लगाना पड़ता है।


बवासीर के प्रकार

बवासीर के दो प्रमुख प्रकार होते हैं: खूनी बवासीर और वादी बवासीर। खूनी बवासीर में मल के साथ खून आता है, जबकि वादी बवासीर में मलद्वार पर सूजन होती है, लेकिन खून नहीं आता।



बवासीर में मांसांकुर निकल आते हैं, जिससे जलन और दर्द होता है। यदि समय पर इलाज नहीं किया गया, तो ये मस्से फट सकते हैं और खून निकलने लगता है।


बवासीर के प्रकार

कफार्श: इसमें मस्से गहरे होते हैं और इनमें खुजली और पीड़ा होती है।


वातजन्य बवासीर: इसमें गुदा में ठंडे और चिपचिपे मस्से निकलते हैं।


संसगर्श: यह परंपरागत या दूसरों से होने वाले लक्षणों के साथ आता है।


पितार्श: इसमें मस्से नीले, पीले, काले और लाल रंग के होते हैं।


सन्निपात: इसमें वातार्श, पितार्श और कफार्श के लक्षण मिलते हैं।


खूनी बवासीर: इसमें मस्से चिरमिठी या मूंग के आकार के होते हैं और खून निकलता है।


बवासीर के कारण

बवासीर का मुख्य कारण कब्ज है, जो अधिक मसालेदार और तैलीय भोजन के सेवन से होता है। इससे पाचन क्रिया प्रभावित होती है और मल अधिक कठोर हो जाता है।


कठोर मल त्यागने के दौरान जोर लगाने से गुदा की त्वचा छिल जाती है, जिससे मस्से बनते हैं और खून निकलने लगता है।


बवासीर के लक्षण

बवासीर के लक्षणों में मलद्वार से मांसांकुर निकलना, शौच के दौरान खून आना, चलने में परेशानी, और सिर में चक्कर आना शामिल हैं।


बवासीर के घरेलू उपाय

हारसिंगार: 2 ग्राम हारसिंगार के फूलों को 30 ग्राम पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें।


कपूर: कपूर, रसोत, चाकसू और नीम के फूलों का पाउडर बनाकर मूली में भरकर भूनें और गोलियां बनाकर सेवन करें।


वनगोभी: वनगोभी के पत्तों का रस बवासीर के मस्सों पर लगाएं।


मूली: मूली का रस और जलेबी मिलाकर सेवन करें।


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