उत्तरप्रदेश
अयोध्या/स्वराज टुडे: अयोध्या में एक दलित लड़की के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को सोमवार को गिरफ्तार किया। आरोपियों में दिग्विजय सिंह उर्फ बाबा, हरिराम कोरी और विजय साहू शामिल हैं, जिन्होंने अपने अपराध को स्वीकार कर लिया है। उनके खुलासे सुनकर पुलिस भी दंग रह गई।
नशे में किया गया जघन्य अपराध
मुख्य आरोपी दिग्विजय सिंह ने पुलिस को बताया कि उन्होंने लड़की को खेत में पकड़ लिया और उसके मुँह में दुपट्टा ठूंस दिया। उसने विरोध किया, जिसके चलते गुस्से में आकर उन्होंने उसके सिर पर डंडा मारा। उन्हें यह समझने में देर लगी कि लड़की की मौत हो चुकी है। उन्होंने एक घंटे तक उसके साथ अमानवीयता की।
लाश को फेंकने की योजना
आरोपी ने कहा कि गांव में कथा चल रही थी, जिससे किसी को घटना का पता नहीं चला। उन्होंने लड़की की लाश को पहले एक टॉयलेट में छिपाया और फिर सूखी नहर में फेंक दिया। उसके हाथ-पैर को पेड़ की लताओं से बांध दिया गया। इसके बाद वे अपने-अपने घर चले गए।
घटना का संक्षिप्त विवरण
अयोध्या में इस जघन्य अपराध में लड़की के हाथ-पैर तोड़ दिए गए और उसकी आंखें भी फोड़ दी गईं। परिवार का कहना है कि उनकी 22 वर्षीय बेटी 30 जनवरी की रात भागवत सुनने गई थी, लेकिन जब वह रात 11 बजे तक घर नहीं लौटी, तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की।
परिजनों की पीड़ा
परिवार का कहना है कि पुलिस ने उनकी मदद नहीं की। शनिवार सुबह उन्हें नाले में लड़की का शव मिला, जिस पर कोई कपड़ा नहीं था। परिजनों ने बताया कि उनकी बेटी के साथ बर्बरता की गई थी, जिसके कारण वह मल त्याग कर गई।
सजा की मांग
इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले आरोपियों ने मानवता की सारी सीमाएं पार कर दी हैं। यदि इन्हें सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया जाए, तो भी यह सजा उनके लिए कम होगी। अब यह देखना होगा कि भारत के संविधान में ऐसे अपराधियों के लिए क्या सजा निर्धारित की गई है।
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