Next Story
Newszop

रामेश सिप्पी ने 'शोले' के 50 साल पूरे होने पर साझा की अनकही बातें

Send Push
रामेश सिप्पी की यादें और 'शोले' की विरासत

रामेश सिप्पी ने कई सफल फिल्मों का निर्देशन किया, जैसे 'अंदाज़', 'सीता और गीता' और विशेष रूप से 'शक्ति'। लेकिन आज भी उन्हें 'शोले' के लिए याद किया जाता है।


जब उनसे इस फिल्म की निरंतर लोकप्रियता के बारे में पूछा गया, तो रामेश सिप्पी हंसते हुए कहते हैं, "क्या करें? अगर 'शोले' मेरी सबसे प्रसिद्ध कृति है, तो यही सही। क्या हमने सोचा था कि 'शोले' इतनी लंबी उम्र पाएगी? बिलकुल नहीं। जब हम फिल्म बना रहे थे, हम बस इसे सही करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे। हमें सलिम-जावेद द्वारा लिखे गए पात्रों की शक्ति का एहसास था। यह सोचकर कि ये पात्र, चाहे बड़े हों या छोटे, इतने सालों तक लोगों के दिलों में बसेंगे... नहीं, इस स्तर की सफलता की भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता।"


रामेश सिप्पी ने 'शोले' के एक अनकहे रहस्य के बारे में बात करते हुए कहा, "हमने एक और अंत की शूटिंग की थी, जिसमें संजीव कुमार द्वारा निभाए गए ठाकुर, गब्बर सिंह (अमजद खान) को नुकीले जूतों से मारते हैं, क्योंकि उनके पास उस खलनायक को मारने के लिए हाथ नहीं हैं। लेकिन सेंसर बोर्ड ने उस अंत को बहुत क्रूर पाया। हमें एक अधिक संयमित अंत शूट करना पड़ा।"


क्या सिप्पी को लगता है कि वैकल्पिक अंत ने फिल्म के क्लाइमेक्स के प्रभाव को कम किया? "बिलकुल। गब्बर सिंह ने ठाकुर और उनके परिवार के साथ जो किया है, क्या आपको लगता है कि उसे कोई दया मिलनी चाहिए?"


मूल अंत की बहाली दर्शकों को पहली बार निर्देशक की संपूर्ण दृष्टि प्रदान करेगी।


Loving Newspoint? Download the app now