भारत में, अधिकांश लोग रोज स्नान करने की परंपरा का पालन करते हैं, यहां तक कि ठंड के मौसम में भी। यह न केवल एक आदत है, बल्कि भारतीय संस्कृति में इसे पवित्रता से जोड़ा गया है। स्नान को एक धार्मिक कार्य माना जाता है, और कई भारतीय इसे अपने शरीर और मन को ताजगी देने के लिए आवश्यक मानते हैं। हालांकि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, रोज नहाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि नियमित स्नान करने से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है। त्वचा विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों में रोज नहाना त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है। यदि आप नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते या पसीना नहीं बहाते हैं, तो रोज स्नान करना आवश्यक नहीं है।
गर्म पानी से स्नान करने से भी नुकसान हो सकता है। लंबे समय तक गर्म पानी में रहने से त्वचा की प्राकृतिक नमी कम हो जाती है, जिससे त्वचा सूखी हो जाती है। यह प्राकृतिक तेल, जो हमारी त्वचा की सुरक्षा करता है, को भी निकाल देता है। जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के एक विशेषज्ञ के अनुसार, यह प्राकृतिक तेल अच्छे बैक्टीरिया को भी हटाता है, जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को समर्थन देते हैं।
अधिक स्नान करने से नाखूनों को भी नुकसान होता है। नाखून पानी को अवशोषित कर लेते हैं, जिससे वे कमजोर और टूटने लगते हैं। कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक विशेषज्ञ ने बताया कि रोज स्नान करने से त्वचा की स्थिति बिगड़ सकती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
भारत, जापान और इंडोनेशिया के लोग दुनिया में सबसे अधिक स्नान करने वालों में शामिल हैं। स्नान करने की आदतें व्यक्ति के मूड, जलवायु, और सामाजिक दबाव पर निर्भर करती हैं। एक हालिया सर्वेक्षण में यह पाया गया कि भारत, जापान और इंडोनेशिया के लोग स्नान करने में सबसे आगे हैं।
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