ललिता पवार
फिल्म उद्योग में कई ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने अपनी अदाकारी से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है। इनमें से कुछ को तो किस्मत ने सितारा बना दिया, जबकि कुछ को ऊंचाइयों पर पहुंचने के बावजूद लीड रोल नहीं मिल पाए। ललिता पवार भी ऐसे ही कलाकारों में से एक हैं, जिन्होंने अपने करियर में 700 से अधिक फिल्मों में काम किया और दर्शकों की सराहना प्राप्त की।
अंबा लक्ष्मण सगुन के नाम से जानी जाने वाली ललिता पवार ने 9 साल की उम्र में चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने कई मूक फिल्मों में काम किया और दर्शकों से प्रशंसा प्राप्त की। लेकिन, उन्हें सबसे ज्यादा पहचान रामानंद सागर की रामायण में मंथरा के किरदार से मिली। इसके अलावा, उन्होंने कई अन्य बेहतरीन भूमिकाएं भी निभाईं।
बचपन में शुरू हुआ करियर 9 साल में रखा बॉलीवुड में कदम
ललिता को बचपन से ही सिनेमा में रुचि थी। 9 साल की उम्र में उन्हें फिल्म राजा हरिशचंद्र का ऑफर मिला, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया। लेकिन, 14 साल की उम्र में एक घटना ने उनके करियर को प्रभावित किया। 1942 में, ललिता पवार फिल्म जंग ए आजादी की शूटिंग कर रही थीं, जिसमें भगवान दादा लीड रोल में थे।
एक थप्पड़ ने बदल दी जिंदगी एक थप्पड़ से बिगड़ गया पूरा चेहरा
फिल्म के एक दृश्य में भगवान दादा को ललिता को थप्पड़ मारना था, लेकिन थप्पड़ इतना तेज था कि ललिता के बाएं कान से खून बहने लगा। इस घटना के बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन, गलत इलाज के कारण उनका चेहरा पैरालाइज्ड हो गया और आंख भी प्रभावित हुई। इसके बावजूद, ललिता ने फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ने के बजाय सपोर्टिंग रोल करने का निर्णय लिया।
व्यक्तिगत जीवन में संघर्ष पति और बहन ने दिया धोखा
ललिता को नकारात्मक भूमिकाएं मिलने लगीं, जिनमें दर्शकों ने उन्हें पसंद किया। लेकिन, उनके व्यक्तिगत जीवन में भी समस्याएं थीं। उन्होंने 1930 में गणपत राव पवार से शादी की, लेकिन बाद में पता चला कि उनके पति और बहन उन्हें धोखा दे रहे हैं। इसके बाद, उन्होंने तलाक ले लिया और फिर प्रोड्यूसर राज कुमार गुप्ता से विवाह किया, जिससे उनका एक बेटा हुआ।
अंतिम समय की कहानी डेथ के वक्त घर में अकेली थीं
ललिता पवार कैंसर से पीड़ित हो गईं और 1998 में उन्होंने अंतिम सांस ली। दुखद यह था कि उनके निधन के समय वे अपने घर में अकेली थीं। उनके बेटे ने कई बार फोन किया, लेकिन जब उन्होंने जवाब नहीं दिया, तो बेटे ने पड़ोसियों को भेजा। तब पता चला कि ललिता पवार का निधन हो चुका था।
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