तियानजिन, 31 अगस्त . चीनी मीडिया ने आशा जताई है कि New Delhi और बीजिंग के बीच संबंध आने वाले दौर में स्थिर रहेंगे. उन्होंने यह उम्मीद Prime Minister Narendra Modi और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ‘शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हुई मुलाकात को लेकर जताई.
बैठक को द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और हाल ही में हुई प्रगति को बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जबकि यह अमेरिका की बढ़ती टैरिफ धमकियों की पृष्ठभूमि में भी हो रही है.
दोनों नेताओं के बीच अंतिम बैठक 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी.
वार्ता पर टिप्पणी करते हुए, एक सीजीटीएन डिजिटल रिपोर्टर और चाइना ब्रीफिंग न्यूजलेटर के संस्थापक शेन शिवेई ने को बताया, “सीमा के मुद्दे दोनों देशों के बीच तनाव का एक बिंदु थे और हाल ही में चीजों में सुधार हुआ है और उम्मीद है कि ऐसा करना जारी रहेगा.”
शिखर सम्मेलन के महत्व पर बोलते हुए, शिवेई ने इसे ‘सबसे बड़ा एससीओ शिखर सम्मेलन’ बताया और पिछले दो दशकों में इसके विकास पर प्रकाश डाला.
उन्होंने कहा कि संगठन ‘काफी बढ़ गया है और इसने बहुत ध्यान आकर्षित किया है. इस बार, दो महत्वपूर्ण चीजें मेज पर हैं. सभी नेताओं के बीच रणनीतिक संवाद, जिसमें बहुपक्षीय बैठकें और कई द्विपक्षीय चर्चाएं शामिल होंगी और तियानजिन घोषणा को मंजूरी दी जाएगी. यह अगले दशकों में संगठनों और सदस्य देशों के विकास और प्रगति के लिए एक मार्ग प्रशस्त करेगा.
शिखर सम्मेलन के भू-राजनीतिक प्रभाव पर विचार करते हुए, ब्राजील के फोल्हा डे साओ पाउलो के पत्रकार नेल्सन पैनसिनी डी सा ने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी, शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का एक साथ आना वाशिंगटन की टैरिफ धमकियों के प्रकाश में वैश्विक व्यवस्था को नया आकार देने में ‘प्रतीकात्मक’ साबित हो सकता है.
से बात करते हुए, उन्होंने कहा, “एससीओ एक रणनीतिक संगठन है और इस बार, भारत, चीन और रूस के बीच का सहयोग महत्वपूर्ण है और एक साथ आने वाले तीनों नेता बहुत मजबूत हैं. ये देश एशिया में बहुत बड़ी शक्ति हैं. एशिया भविष्य का महाद्वीप है और इन तीन देशों का साथ आना इस महाद्वीप के भविष्य के लिए निर्णायक हो सकता है. पुतिन भारत और चीन के बीच काम करना जारी रखेंगे.”
उन्होंने आगे जोर दिया कि एससीओ शिखर सम्मेलन संभावित रूप से भारत-चीन सीमा के साथ अधिक स्थिरता ला सकता है.
नेल्सन पैनसिनी डे सा ने कहा, “एससीओ ने इतने सालों से साबित किया है कि इसने संवाद के माध्यम से मध्य और दक्षिण एशिया में स्थिरता लाने में मदद की है. यह अभी भी देखा जाना बाकी है.”
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एससीएच/एएस
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