New Delhi, 30 सितंबर . दिल्ली हाईकोर्ट ने तेलुगु सिनेमा के दिग्गज Actor नागार्जुन अक्किनेनी के पक्ष में अंतरिम निषेधाज्ञा जारी की है. इस निर्णय से कई संस्थाओं को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उनके नाम, छवि, समानता और उनके व्यक्तित्व के अन्य गुणों का दुरुपयोग करने से रोका जा सकेगा.
न्यायमूर्ति तेजस करिया की पीठ ने नागार्जुन द्वारा दायर एक मुकदमे में यह आदेश पारित किया, जिसमें वेबसाइटों, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और social media पर, जिसमें आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से उत्पन्न सामग्री भी शामिल है, के अनधिकृत उपयोग के विरुद्ध उनके व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की सुरक्षा की मांग की गई थी.
Actor के वकीलों ने कहा कि दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग में चार दशकों से अधिक के योगदान और 95 फीचर फिल्मों के साथ एक प्रतिष्ठित हस्ती नागार्जुन ने काफी साख और प्रतिष्ठा अर्जित की है.
वादी की कानूनी टीम ने तर्क दिया कि उनके व्यक्तित्व का बहुत अधिक व्यावसायिक मूल्य है. ऐसे में कोई भी अनधिकृत शोषण जनता को गुमराह कर सकता है, उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल कर सकता है और मौजूदा विज्ञापनों के साथ टकराव पैदा कर सकता है.
अपने आदेश में, न्यायमूर्ति करिया ने कहा कि कई प्रतिवादी नागार्जुन की सहमति के बिना उनके नाम और छवि वाली अश्लील सामग्री की मेजबानी, टी-शर्ट और अन्य सामान बेचने में लगे हुए थे. कुछ संस्थाएं Actor को चित्रित करने वाली अनुचित सामग्री बनाने के लिए एआई, डीपफेक और अन्य तकनीकी उपकरणों का भी उपयोग कर रही थीं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि किसी सेलिब्रिटी के व्यक्तित्व अधिकारों का शोषण उनके आर्थिक हितों और व्यक्तिगत सम्मान पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है. कोर्ट ने कहा, “किसी के व्यक्तित्व अधिकारों का शोषण न केवल उनके आर्थिक हितों को बल्कि सम्मान के साथ जीने के उनके अधिकार को भी खतरे में डालता है, जिससे उनकी प्रतिष्ठा और साख को भारी नुकसान पहुंच सकता है.”
न्यायमूर्ति करिया ने सभी पहचाने गए यूआरएल को 72 घंटों के अंदर हटाने, ब्लॉक करने या अक्षम करने का निर्देश दिया. ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को उल्लंघन करने वाले विक्रेताओं की बुनियादी ग्राहक जानकारी दो सप्ताह के अंदर एक सीलबंद लिफाफे में उपलब्ध कराने को कहा गया.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और दूरसंचार विभाग को भी उल्लंघनकारी सामग्री को हटाने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने का निर्देश दिया गया.
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वादी को भ्रामक, अपमानजनक या अनुचित परिस्थितियों में चित्रित करने से नागार्जुन की साख और प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. मामले की अगली सुनवाई 23 जनवरी, 2026 को निर्धारित है.
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एससीएच/डीएससी
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