नई दिल्ली, 15 अप्रैल . दिल्ली की झुग्गी बस्तियों को लेकर एक बार फिर सियासत गरमा गई है. आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है. पार्टी के दिल्ली के प्रदेश संयोजक और वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने एक प्रेस वार्ता के दौरान भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव के दौरान झुग्गियों में प्रवास करने वाली भाजपा अब उन्हीं झुग्गीवासियों के घर उजाड़ने में लगी है.
सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि दिल्ली में भाजपा सरकार बने अभी दो महीने भी नहीं हुए हैं और उसने चुनाव में किए वादों से मुकरना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा, “भाजपा ने चुनाव के समय ‘जहां झुग्गी, वहीं मकान’ की गारंटी दी थी. भाजपा नेताओं ने खुद झुग्गियों में जाकर कार्ड बांटे थे, जिन पर यह गारंटी लिखी हुई थी. लेकिन अब मद्रासी कैंप की झुग्गियों को तोड़कर लोगों को 40-50 किलोमीटर दूर बवाना में मकान देने की बात की जा रही है.”
उन्होंने कहा कि जंगपुरा स्थित मद्रासी कैंप में करीब 500 परिवार रहते हैं, जिनमें अधिकांश तमिलनाडु से हैं. ये लोग बीते 40-50 सालों से यहां बसे हुए हैं. भाजपा अब तमिलनाडु में किस मुंह से वोट मांगेगी, जब दिल्ली में तमिल समुदाय के लोगों को उजाड़ने का काम कर रही है? मद्रासी कैंप के अधिकतर निवासी आसपास के इलाकों में घरेलू सहायिका, मजदूर या फुटपाथ पर रेहड़ी-पटरी लगाकर गुजारा करते हैं. उनके बच्चे नजदीकी स्कूलों में पढ़ते हैं, जिनमें तमिल भाषा भी पढ़ाई जाती है.
उन्होंने चिंता जताते हुए कहा, “यदि इन परिवारों को बवाना भेजा गया, तो उनके बच्चों की पढ़ाई और लोगों का रोजगार दोनों खत्म हो जाएंगे.”
उन्होंने यह भी दावा किया कि जिन मकानों में इन्हें बसाने की बात की जा रही है, वहां बुनियादी सुविधाएं भी मौजूद नहीं हैं. बवाना में बने इन मकानों में अभी तक पीने के पानी की व्यवस्था तक नहीं है. खारा पानी पीकर ये लोग कैसे रहेंगे? चुनाव से पहले भाजपा नेता झुग्गी सम्मान कार्यक्रम चला रहे थे, झुग्गियों में रातें बिता रहे थे और अब वही लोग इन गरीबों की छत छीनने पर तुले हैं. अरविंद केजरीवाल पहले ही चेतावनी दे चुके थे कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो गरीबों के अधिकार छीन लिए जाएंगे.
भारद्वाज ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से अपील की कि वे इस मुद्दे पर आवाज उठाएं और दिल्ली में तमिल समुदाय पर हो रहे अन्याय को तमिलनाडु की जनता के सामने लाएं. उन्होंने मांग की कि झुग्गीवासियों को उनके मौजूदा स्थान से अधिकतम 5 किलोमीटर के दायरे में ही मकान दिए जाएं, जिससे उनकी रोजी-रोटी और बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो.
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पीकेटी/एबीएम
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