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हेमंत सरकार तुष्टिकरण की आड़ में आदिवासी समाज की आवाज दबाने की कोशिश कर रही : बाबूलाल मरांडी

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रांची, 7 अप्रैल . झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने रांची के पिठौरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत बालू गांव में सरहुल पर्व के दौरान हिंसक टकराव की घटना को लेकर राज्य की सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया है.

उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है कि प्रशासन इस मामले की लीपापोती कर सच्चाई दबाने का प्रयास कर रहा है.

मरांडी ने सोमवार को प्रभावित गांव का दौरा किया और एक अप्रैल को सरहुल जुलूस के दौरान हुई हिंसक घटना को लेकर ग्रामीणों से विस्तृत जानकारी ली.

स्थानीय लोगों ने बताया कि जुलूस के दौरान उन पर अचानक लाठी-डंडों से हमला हुआ और महिलाओं से भी दुर्व्यवहार किया गया.

गांव के दौरे के बाद मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को संबोधित करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “मुख्यमंत्री जी, कान खोलकर सुन लें कि तुष्टिकरण की आड़ में आदिवासी समाज की आवाज को दबाया नहीं जा सकता. प्रशासन तत्काल आरोपियों को चिन्हित कर उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित करे, जिससे भविष्य में इस तरह का दुस्साहस करने की कोई हिम्मत न कर सके.”

पिठौरिया के बालू गांव में आदिवासियों के त्योहार सरहुल पर जुलूस निकला था तो उसके झंडों से सड़क किनारे लगी बिजली की कई लड़ियां टूट गई थीं. इसी बात पर दो पक्षों में विवाद इस तरह बढ़ा कि दोनों ओर से लाठी-डंडे और ईंट-पत्थर चलने लगे.

इस घटना में रवि पाहन, नगदेव पाहन, पईनभोरा मुंडा और संदीप मुंडा घायल हो गए थे. इस घटना के विरोध में 3 अप्रैल को आदिवासियों के संगठन केंद्रीय सरना समिति के बैनर तले सैकड़ों लोग गुरुवार को सड़क पर उतर आए थे. उन्होंने रांची-पतरातू रोड को करीब छह घंटे तक जाम रखा था.

घटना के विरोध में पिठौरिया बाजार की दुकानें भी बंद कराई गई थीं. पथराव और मारपीट की घटना को लेकर आदम अंसारी, आरिफ अंसारी, मिंटु अंसारी और जुएफा अंसारी के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई गई थी. बाद में पिठौरिया थाने की पुलिस ने इस केस में दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

एसएनसी/एबीएम

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