Mumbai , 18 अगस्त . एनसीपी (एसपी) नेता रोहित पवार ने चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार के बयान पर पलटवार किया है, जिसमें कुमार ने दावा किया था कि हमारे लिए न कोई पक्ष और न विपक्ष है. सभी राजनीतिक दल बराबर हैं. पवार ने आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि Sunday को हुई प्रेस वार्ता को देखकर ऐसा प्रतीत हुआ मानो यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रेस वार्ता हो. उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग की कार्यशैली से जनता में यह धारणा बन रही है कि वह भाजपा के इशारों पर काम कर रहा है.
मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिससे निष्पक्षता की अपेक्षा की जाती है, लेकिन वह ऐसा नहीं कर रहा.
पवार ने दावा किया कि आयोग भाजपा के विस्तारित विभाग की तरह काम कर रहा है और विपक्ष के सवालों का जवाब देने में असमर्थ है. उन्होंने विशेष रूप से आरोप लगाया कि आयोग ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिताने में मदद की.
राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग पर उन्होंने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, लेकिन वह निष्पक्षता के साथ काम नहीं कर रहा. उन्होंने कहा कि आयोग को विपक्ष के सवालों का जवाब देना चाहिए. आयोग के पास सबूत हैं तो हमारे पास भी सबूत हैं. राहुल गांधी और विपक्ष आयोग की धमकियों से डरता नहीं है. आयोग पर भाजपा का प्रभाव है और वह उसके इशारों पर काम कर रहा है.
एनडीए की ओर से महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने पर उन्होंने कहा कि ऐसा समझा जा रहा है कि वह आरएसएस और भाजपा के बहुत करीब हैं, और उन्हें जानबूझकर महाराष्ट्र में हो रही या होने वाली अशांति को नियंत्रित करने या रोकने के लिए तैनात किया गया था. हम कह सकते हैं कि अब उन्हें उपराष्ट्रपति बनाया जा रहा है. हम सभी उन्हें इसके लिए बधाई देते हैं. लेकिन धनखड़ के साथ क्या हुआ? इस पर भी गौर किया जाना चाहिए.
धनखड़ ने विरोधी पक्ष के एक प्रस्ताव को सरकार के इजाजत के स्वीकार किया था. उपराष्ट्रपति सभी के होते हैं, सत्ताधारी को लगता है कि वह उनकी कठपुतली है. सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया गया है, भाजपा को लगता है कि वह उनकी सुनेंगे, ऐसा नहीं होना चाहिए. पूर्व राष्ट्रपति धनखड़ जब बाहर आएंगे तो वह क्या जवाब देंगे देखने वाली बात होगी.
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री संजय शिरसाट पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एनसीपी (एसपी) नेता रोहित पवार ने कहा कि अंग्रेजों ने मराठा साम्राज्य के खिलाफ अंग्रेजों की मदद करने के लिए बिवलकर नामक एक परिवार को नवी Mumbai क्षेत्र में 4,000 एकड़ से अधिक जमीन दी थी. बाद के विभिन्न कानूनों, नियमों और निर्णयों के अनुसार, यह जमीन सरकार को हस्तांतरित कर दी गई, लेकिन बिवलकर परिवार ने विभिन्न तरीकों का सहारा लेकर इस जमीन को वापस पाने की लगातार कोशिश की. उस स्तर पर उन्हें अस्वीकार भी किया गया, लेकिन वर्तमान मंत्री संजय शिरसाट ने 2024 में सिडको के अध्यक्ष बनते ही सभी नियमों को ताक पर रखते हुए पहली बैठक में इस जमीन का लगभग 15 एकड़ हिस्सा बिवलकर परिवार को देने का फैसला किया.
इस जमीन का बाजार मूल्य लगभग 5,000 करोड़ रुपये है और सिडको इस जमीन पर गरीबों के लिए लगभग 10,000 घर बना सकता था, लेकिन मंत्री ने गरीबों के हक की जमीन बिवलकर परिवार के गले पर थोप दी. एक ओर, 5,000 से ज़्यादा स्थानीय भूमिपुत्र वर्षों से ज़मीन के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उन्हें जमीन नहीं दी जा रही है, वहीं मराठा साम्राज्य के खिलाफ़ काम करने वाले बिवलकर परिवार को पहली ही बैठक में अवैध रूप से ज़मीन दी जा रही है, जो भूमिपुत्रों के साथ भी एक तरह का विश्वासघात है. इसलिए, सरकार से अनुरोध है कि बिवलकर परिवार को अवैध रूप से दी गई इस ज़मीन सहित राज्य की ऐसी सभी ज़मीनें वापस ली जाएं और मंत्री संजय शिरसाठ इस्तीफा दें.
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डीकेएम/
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