ढाका, 3 नवंबर . बांग्लादेश में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले Political संघर्ष तेज होता नजर आ रहा है. नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी पर सुधार उपायों को अवरुद्ध करने और फरवरी 2026 के चुनावों में देरी करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है.
एनसीपी संयोजक नाहिद इस्लाम ने Sunday को ढाका में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि बीएनपी ने सुधार के प्रमुख मुद्दों पर ‘असहमति का नोट’ जमा कर देश के राष्ट्रीय सहमति आयोग का विरोध किया है. इससे जनता और पार्टी के भीतर ही सुधार के प्रति बीएनपी की प्रतिबद्धता पर संदेह पैदा हो रहा है.
उन्होंने आगे दावा किया कि जमात के कार्यों से चुनाव स्थगित करने के संभावित प्रयासों का संकेत मिलता है.
बांग्लादेश के प्रमुख समाचार पत्र “द डेली स्टार” ने एनसीपी संयोजक नाहिद इस्लाम के हवाले से कहा, “एक पार्टी सुधारों में बाधा डाल रही है, जबकि दूसरी शायद चुनाव स्थगित करने की कोशिश कर रही है.”
एनसीपी नेता ने बीएनपी और जमात की इस बात पर विवाद करने के लिए आलोचना की कि जनमत संग्रह चुनाव से पहले होना चाहिए या मतदान के दिन और इन तर्कों को अनावश्यक बताया.
उन्होंने आगे कहा, “चर्चा के मुख्य मुद्दे और मुख्य बिंदु ये हैं कि चार्टर में कौन से सुधार शामिल किए जाएंगे, कौन से प्रस्ताव रखे जाएंगे, उनका कानूनी आधार क्या होगा और क्या मुहम्मद यूनुस कार्यान्वयन आदेश जारी करेंगे. अगर इन मुद्दों पर सहमति बन जाती है तो जनमत संग्रह चुनाव के दिन या उससे भी पहले हो सकता है.”
नाहिद ने आगे कहा कि एनसीपी चाहती है कि फरवरी में होने वाले चुनाव निर्धारित समय पर हों. साथ ही, उन्होंने जुलाई चार्टर को लागू करने के लिए एक कानूनी ढांचे की मांग भी की.
पिछले हफ्ते, एनसीपी के मुख्य समन्वयक नसीरुद्दीन पटवारी ने जमात और बीएनपी पर देश को अनिश्चितता की ओर धकेलने का आरोप लगाया था. जमात ने संसद के निचले सदन में आनुपातिक प्रतिनिधित्व को लेकर और बीएनपी ने जुलाई चार्टर पर असहमति के नोटों के जरिए ऐसा किया था.
उन्होंने जोर देकर कहा, “हम जमात से अपील करते हैं कि जनमत संग्रह को लेकर जनता में दहशत न फैलाएं. इसके बजाय, हमें इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि असहमति की प्रक्रिया का समाधान कैसे निकाला जाए और आदेश कैसे जारी किए जाएं.”
इसके अलावा, एनसीपी नेता ने टिप्पणी की कि बांग्लादेश राष्ट्रीय सहमति आयोग के जरिए बीएनपी का ‘असहमति का नोट’ वास्तव में ‘धोखाधड़ी का नोट’ था.
जिन पार्टियों ने पहले शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई Government को उखाड़ फेंकने के लिए यूनुस के साथ मिलकर काम किया था, वे अब सुधार प्रस्तावों को लेकर आपसी कलह कर रही हैं.
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केके/वीसी
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