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'देर आए, दुरुस्त आए', राकेश सिन्हा ने जातिगत जनगणना के निर्णय को बताया ऐतिहासिक

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रांची, 30 अप्रैल . केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बुधवार को जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया गया है. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. झारखंड कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले पर टिप्पणी की.

राकेश सिन्हा ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा कि यह कांग्रेस पार्टी और खासतौर पर जननायक राहुल गांधी की एक पुरानी और लगातार उठाई गई मांग रही है. यह मुद्दा कांग्रेस के संकल्प पत्र में भी शामिल था और अहमदाबाद अधिवेशन में इसे लेकर प्रस्ताव भी पारित किया गया था. केंद्र के इस फैसले पर हम यह कह सकते हैं कि देर आए दुरुस्त आए.

उन्होंने इसे सत्य की जीत बताते हुए आगे कहा कि इस फैसले के पीछे चाहे राजनीति हो या कोई दबाव, लेकिन यह एक पुरानी और न्यायपूर्ण मांग की पूर्ति है.

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी सरकार के इस फैसले पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि हमने संसद में कहा था कि हम जातिगत जनगणना करवा के ही मानेंगे. सरकार पर जाति जनगणना कराने के लिए सफलतापूर्वक दबाव डालने के बाद, अब हम 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने के लिए दबाव बनाना जारी रखेंगे. पहले तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते थे कि देश में सिर्फ चार जातियां हैं, लेकिन अचानक से उन्होंने जातिगत जनगणना कराने की घोषणा कर दी. हम सरकार के इस फैसले का पूरा समर्थन करते हैं, लेकिन सरकार को इसकी टाइमलाइन बतानी होगी कि जातिगत जनगणना का काम कब तक पूरा होगा.

बता दें कि मोदी कैबिनेट ने बुधवार को जाति जनगणना को मंजूरी दे दी. सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने जाति जनगणना का विरोध किया. 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई. जाति जनगणना की जगह कांग्रेस ने जाति सर्वे कराया, यूपीए सरकार में कई राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से जाति सर्वे किया है. वैष्णव ने आगे कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाएगा.

पीएसके/एफजेड

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