New Delhi, 18 अक्टूबर . BJP MP निशिकांत दुबे ने Saturday को पूर्व Prime Minister राजीव गांधी पर 1977 में इंडियन एयरलाइंस के विमान खरीद मामले में अनुचित प्रभाव डालने का आरोप लगाया कि उन्होंने प्रमुख Governmentी निकायों के विरोध के बावजूद, एयरबस को चुनने के बजाय व्यक्तिगत कमीशन के लिए बोइंग के साथ सौदा कराने में हस्तक्षेप किया.
social media प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में, दुबे ने कांग्रेस सांसद और Lok Sabha में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा और उनके पिता की कथित संलिप्तता पर सवाल उठाया.
‘एक्स’ पोस्ट में उन्होंने लिखा, “राहुल गांधी जी, क्या 1977 में कमीशन के चक्कर में आपके पिता ने एयरबस की बजाय एयर इंडिया से तीन बोइंग विमान खरीदवाए थे? क्या आपके पिता बिना किसी अधिकार के अवैध रूप से बैठकों में शामिल होते थे? क्या कमीशन के लिए योजना आयोग और वित्त मंत्रालय का विरोध आपके परिवार पर लागू नहीं होता था?”
यह विवाद तत्कालीन Prime Minister इंदिरा गांधी के कार्यकाल में आपातकाल के अंतिम महीनों में शुरू हुआ था, जब इंडियन एयरलाइंस ने तीन बोइंग 737 विमान खरीदने का फैसला किया था.
बाद में, शाह आयोग ने इस सौदे की जांच की, जिसका गठन 1977 में आपातकाल के दौरान हुई ज्यादतियों की जांच के लिए किया गया था. आयोग ने पाया कि यह प्रक्रिया जल्दबाजी में की गई थी और स्थापित प्रक्रियाओं को दरकिनार कर दिया गया था, जिसमें निर्णय लेने में अनियमितताएं और आधिकारिक बैठकों में राजीव गांधी, जो उस समय इंडियन एयरलाइंस के पायलट थे, की असामान्य उपस्थिति की ओर इशारा किया गया था.
शाह आयोग के निष्कर्षों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि राजीव गांधी सितंबर 1976 में एक महत्वपूर्ण बैठक में शामिल हुए थे, जहां वित्त निदेशक द्वारा बोइंग के पक्ष में वित्तीय अनुमान प्रस्तुत किए गए थे.
आयोग ने कहा कि उनकी भागीदारी ‘व्यावसायिक प्रक्रिया के बिल्कुल विपरीत’ थी और इस बात पर सवाल उठाया कि एक पायलट को गोपनीय वित्तीय चर्चाओं की जानकारी क्यों थी.
दुबे ने आयोग की रिपोर्ट के कुछ अंश साझा किए, जिसमें प्रक्रियात्मक खामियों का विस्तृत विवरण दिया गया था और दर्ज किया गया था कि इस सौदे ने सभी मानक नियमों और आवश्यकताओं का उल्लंघन किया और तुलनात्मक परीक्षणों या व्यवहार्यता अध्ययनों का कोई सबूत नहीं दिया गया.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बोइंग के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर कंपनी की पेशकश की तकनीकी समाप्ति के बाद भी हुए, जिससे Prime Minister कार्यालय की ओर से अनुचित जल्दबाजी और Political दबाव का संकेत मिलता है.
कहा जाता है कि 30.55 करोड़ रुपए की इस खरीद को योजना आयोग और वित्त मंत्रालय, दोनों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था, लेकिन कथित तौर पर इंदिरा गांधी के कार्यालय के निर्देशों के तहत इसे आगे बढ़ाया गया.
शाह आयोग के समक्ष गवाहों की गवाही में सौदे में Political हस्तक्षेप और अनियमितताओं का हवाला दिया गया, जिससे भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोपों को और बल मिला.
इससे पहले Friday को, दुबे ने पूर्व Prime Minister राजीव गांधी पर एक सनसनीखेज आरोप लगाया था कि उन्होंने 1970 के दशक में एक स्वीडिश सैन्य कंपनी के एजेंट के रूप में काम किया था.
BJP MP ने अपने आरोप की पुष्टि के लिए social media पर एक दस्तावेज भी साझा किया.
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “राहुल गांधी जी के पिता, पूर्व Prime Minister राजीव गांधी जी, एक स्वीडिश सैन्य कंपनी के एजेंट थे, यानी वे 70 के दशक में दलाली में शामिल थे?”
सांसद दुबे का गांधी परिवार और पूर्व Prime Minister पर तीखा हमला कांग्रेस पार्टी द्वारा उनकी पत्नी पर लगाए गए आरोपों और दंपति पर घोषित आय से कहीं अधिक संपत्ति ‘एकत्रित’ करने का आरोप लगाने के एक दिन बाद आया है.
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने Thursday को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनावी हलफनामों का हवाला दिया और दुबे की पत्नी की संपत्ति में 2009 में 50 लाख रुपये से 2024 तक 31.32 करोड़ रुपये तक की भारी वृद्धि पर सवाल उठाया.
उन्होंने कहा कि दुबे से जुड़ा भ्रष्टाचार का मामला इतना गंभीर है कि 56 वर्षीय BJP MP गोड्डा निर्वाचन क्षेत्र से अपनी संसद सदस्यता खो सकते हैं.
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वीकेयू/डीएससी
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