कन्याकुमारी, 20 अप्रैल . कन्याकुमारी जिले में ईस्टर का पर्व पूरे हर्षोल्लास और धार्मिक श्रद्धा के साथ मनाया गया. जिले के नागरकोइल शहर में स्थित कोटर जेवियर कैथेड्रल में विशेष पवित्र मास का आयोजन किया गया, जिसका नेतृत्व कोटर डायोसिस के बिशप नाज़रीन सूसाई ने किया. उन्होंने रात 10:30 बजे से शुरू हुई प्रार्थना सभा की अध्यक्षता की और फिर आधी रात को आयोजित ईस्टर संडे मास का संचालन किया.
कन्याकुमारी जिले में इस अवसर पर सभी गिरजाघरों को सजाया गया था और विशेष रात्रिकालीन प्रार्थना सत्रों का आयोजन किया गया. चर्चों में आधी रात से ही भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी थी. कोटर जेवियर कैथेड्रल में भी श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति देखी गई. सभी लोगों ने नए कपड़े पहनकर, परिवार समेत चर्च पहुंचकर प्रार्थना में भाग लिया.
इस दौरान बिशप नाजरीन सूसाई ने अपने प्रवचन में ईसा मसीह के बलिदान और उनके पुनरुत्थान की महिमा को भी बताया. उन्होंने कहा कि ईस्टर हमें आशा, प्रेम और पुनर्जन्म का संदेश देता है. इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से भजन गाए और मोमबत्तियां जलाकर प्रभु के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की. ईस्टर के दिन विशेष भजन और सामूहिक प्रार्थनाएं कन्याकुमारी के लगभग सभी चर्चों में की गईं.
बता दें कि ईस्टर ईसाई धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो यीशु मसीह के पुनरुत्थान का उत्सव मनाता है. यह माना जाता है कि यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने के तीसरे दिन वो जीवित हो गए थे, ये ईसाई विश्वास का केंद्रीय आधार है. ईस्टर वसंत ऋतु में, चंद्र कैलेंडर के आधार पर, गुड फ्राइडे के बाद आने वाले रविवार को मनाया जाता है, इसलिए इसकी तिथि हर साल बदलती है. यह पर्व आध्यात्मिक नवीकरण, आशा और नई शुरुआत का प्रतीक है.
ईस्टर से पहले का समय, जिसे लेंट कहते हैं, 40 दिनों का उपवास और प्रायश्चित काल का होता है. ईस्टर के दिन चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं आयोजित होती हैं. परंपराओं में ईस्टर अंडे सजाना और छिपाना शामिल है, जो नई जिंदगी का प्रतीक हैं. बच्चे अंडों की खोज और उपहारों का आनंद लेते हैं.
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पीएसएम/केआर
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