Patna, 25 अक्टूबर . झाझा विधानसभा सीट पर चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं. यह सीट बिहार के जमुई जिले के अंतर्गत आती है. झाझा को अक्सर बिहार का ‘मिनी शिमला’ कहा जाता है क्योंकि यह Jharkhand की सीमा के बिल्कुल निकट पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है.
झाझा में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं. मलयपुर गांव में देवी काली मंदिर स्थित है, जो हर साल काली मेला के लिए प्रसिद्ध है. गिद्धौर में स्थित मिंटो टावर 1909 में गिद्धौर के महाराजा ने ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड इरविन की यात्रा के स्वागत के लिए बनवाया था. झाझा का यक्षराज स्थान और पुराना बाजार क्षेत्र भी स्थानीय आस्था और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र हैं.
प्राकृतिक पर्यटन में नागी और नकटी डैम अभयारण्य प्रमुख हैं. यह संरक्षित क्षेत्र हजारों देशी और विदेशी पक्षियों का आश्रय स्थल है और नौका विहार जैसी सुविधाओं के लिए जाना जाता है. कलरव महोत्सव और रामसर साइट के दर्जे के कारण इनका राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व भी है.
झाझा विधानसभा 1951 में बनी थी और अब तक यहां 18 चुनाव हुए हैं, जिनमें एक उपचुनाव भी शामिल है. कांग्रेस ने सात बार जीत हासिल की, जबकि जनता दल (यूनाइटेड) और उसकी पूर्ववर्ती समता पार्टी ने पांच बार जीत दर्ज की. Samajwadi Party और संयुक्त Samajwadi Party ने तीन-तीन बार और जनता पार्टी, जनता दल व भाजपा ने एक-एक बार जीत हासिल की.
यादव और मुस्लिम समुदाय के वोट इस सीट पर निर्णायक माने जाते हैं. 2020 के चुनाव में राजद झाझा में अपनी पहली जीत के बेहद करीब पहुंचा था, लेकिन जदयू के दामोदर रावत ने जीत हासिल की थी.
झाझा विधानसभा सीट पर इस बार कुल 9 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. प्रमुख मुकाबला जदयू और राजद के बीच है. राजद ने जय प्रकाश नारायण यादव को, जदयू ने दामोदर रावत को और जन स्वराज पार्टी ने नीलेंदु दत्त मिश्रा को अपना उम्मीदवार बनाया है.
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डीसीएच/जीकेटी
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