सुकमा, 7 अप्रैल . छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. यहां मनाया जाने वाला बस्तर मंडलाई त्योहार इस क्षेत्र की जीवंत परंपराओं और आदिवासी जीवन शैली का एक अनूठा प्रतीक है.
यह त्योहार बस्तर के गांव-गांव में धूमधाम से आयोजित किया जाता है, जहां गांव के लोग इसे उत्साह के साथ मनाते है. यह उत्सव न केवल स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, बल्कि बाहरी लोगों को भी आदिवासी संस्कृति की झलक प्रदान करता है.
बस्तर मंडलाई के दौरान आदिवासी समुदाय अपनी परंपरागत पोशाक में सज-धजकर उत्सव में भाग लेते हैं. ढोलक की थाप इस त्योहार का एक अनिवार्य हिस्सा है और इसकी आवाज सामान्य ढोल से बिल्कुल अलग होती है.
यह संगीतमय ध्वनि पूरे क्षेत्र में उत्साह और उमंग का माहौल पैदा करती है. इसके अलावा, नृत्य, गीत और पारंपरिक रस्में इस त्योहार को जीवंत बनाती हैं, जो आदिवासी संस्कृति की गहरी जड़ों को प्रदर्शित करती हैं.
बस्तर मंडलाई केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव है जो बस्तर के आदिवासी समुदायों की एकता, विविधता और परंपराओं को उजागर करता है. यह उत्सव नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़े रखने का भी एक माध्यम है. जैसे-जैसे यह त्योहार लोकप्रियता हासिल कर रहा है, यह बस्तर को एक सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में भी उभरने में मदद कर रहा है.
पिछले पांच वर्षों से छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासी समुदायों की परंपराओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं. इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत हर गांव में “देव गुड़ी” मंदिर का निर्माण किया गया है.
इन मंदिरों को सरकारी सहायता से बनाया गया है, जिसके परिणामस्वरूप बस्तर मंडलाई जैसे त्योहारों की रौनक और भी बढ़ गई है. इन प्रयासों से न केवल स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा मिला है, बल्कि आदिवासी समुदायों में अपनी पहचान के प्रति गर्व की भावना भी जागृत हुई है.
बस्तर क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी समुदायों की विविधता इस त्योहार को और भी खास बनाती है. प्रत्येक समुदाय का अपना एक विशिष्ट प्रतीक और देवता होता है, जिनके सम्मान में वे अलग-अलग तरीकों से त्योहार मनाते हैं.
यहां की सांस्कृतिक विविधता इतनी व्यापक है कि हर 30 किलोमीटर के अंतराल पर भाषा, पहनावे और बोलचाल की शैली में स्पष्ट बदलाव देखने को मिलता है. यह विविधता बस्तर मंडलाई को एक अनोखा और बहुरंगी स्वरूप प्रदान करती है, जो इसे अन्य त्योहारों से अलग करती है.
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एकेएस
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