New Delhi, 27 सितंबर . विशेषज्ञों ने Saturday को कहा कि एंटीबायोटिक का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करने, खाद्य सुरक्षा में सुधार करने और एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) से निपटने के लिए उचित नियमन जरूरी है.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत India खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण की पहल ग्लोबल फूड रेगुलेटर्स समिट 2025 में विशेषज्ञों ने फूड वैल्यू चेन में फूड सेफ्टी सिस्टम और नियामक ढांचे को मजबूत करने के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की.
डेनमार्क के कोपेनहेगन विश्वविद्यालय में पशु चिकित्सा जन स्वास्थ्य के प्रोफेसर एंडर्स डल्सगार्ड ने न्यूज एजेंसी से कहा, “यह खाद्य नियामकों के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण सम्मेलन है, क्योंकि खाद्य पदार्थों को कई तरह से सुरक्षित होना चाहिए. एक समस्या यह है कि एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से ह्युमन हेल्थ सेक्टर में बहुत सारी मौतें हो रही हैं. हमें यह स्पष्ट करना होगा कि पशुपालन में एंटीबायोटिक के हमारे इस्तेमाल से कितना योगदान हो सकता है.”
उन्होंने आगे कहा, “हमें किसानों और उद्योग के साथ मिलकर नियामक कार्यक्रम शुरू करने की आवश्यकता है, ताकि वे परिणाम दे सकें और एंटीबायोटिक का सही और सोच-समझकर इस्तेमाल किया जा सके.”
द्वीप राष्ट्र ब्रुनेई की ब्रुनेई दारुस्सलाम फूड अथॉरिटी की सीईओ डॉ. एनी रहमान ने को बताया कि खाद्य सुरक्षा एक वैश्विक मुद्दा बन गया है और यह असल में विश्वास पर आधारित है.
उन्होंने कहा, “खाद्य सुरक्षा एक बढ़ता और गतिशील क्षेत्र है, इसलिए इसमें सुधार के लिए हमेशा नई चीजें होती हैं और बहुत सहयोग भी होता है.”
एओएसी इंटरनेशनल, यूएस की उप कार्यकारी निदेशक और मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. कैटरिना मास्टोव्सका ने खाद्य सुरक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) या डेटा एनालिटिक्स जैसे एडवांस उपकरणों के उपयोग के महत्व पर जोर दिया.
उन्होंने से कहा, “हमें निश्चित रूप से खाद्य विश्लेषण में एआई उपकरणों को लागू करने और उन्हें अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने के तरीकों पर कुछ दिशानिर्देश विकसित करने की आवश्यकता है.”
न्यूजीलैंड फूड सेफ्टी के वक्ता और उप महानिदेशक विंसेंट अर्बकल ने India की खाद्य सुरक्षा को बड़े पैमाने पर व्यवस्थित तरीके से प्रबंधित करने की सराहना की.
अर्बकल ने को बताया, “हमारा देश बहुत छोटा है, जिसकी आबादी साढ़े पांच मिलियन है और आपका देश बहुत बड़ा है. इतनी विविध संस्कृतियों वाले इतने बड़े देश में खाद्य सुरक्षा को बड़े पैमाने पर प्रबंधित करने और खाद्य निर्यात बढ़ाने की आपकी आकांक्षा से हम India से बहुत कुछ सीख सकते हैं.”
ऑस्ट्रिया के वर्ल्ड पैकेजिंग ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूपीओ) के कोफी एसुमन ने बेहतर खाद्य सुरक्षा के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी अपनाने की जरूरत पर बात की.
एसुमन ने को बताया, “यह साफ हो गया है कि डिजिटलीकरण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग के इस दौर में, हमें कई डिजिटल टेक्नोलॉजी अपनाकर खाद्य नियमन के अपने तरीके में बदलाव करने की जरूरत है.”
उन्होंने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में सही पैकेजिंग के महत्व पर भी जोर दिया और खाद्य पदार्थों को दूषित होने से बचाने के लिए प्लास्टिक का सोच-समझकर इस्तेमाल करने और पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए उसका सही तरीके से निपटान करने की जरूरत पर भी बल दिया.
वहीं, एडब्ल्यूएल एग्री बिजनेस के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ अंगशु मलिक ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में भारतीय खाना पकाने और भोजन की पारंपरिक विधि के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने खाने के तेल का अपना उत्पादन बढ़ाने की भी बात कही.
उन्होंने से कहा, “खाने के तेल का 60 प्रतिशत हम आयात करते हैं. हमें अपना उत्पादन बढ़ाना होगा. इसके लिए हम सरसों का एक मॉडल फार्म शुरू करेंगे.”
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एसकेटी/
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