जयपुर। पाँच दिन बाद शहर में विवाह की शहनाई सुनाई देने लग जाएगी। सोमवार से फिर वैवाहिक आयोजन होने लगेंगे। नव संवत्सर के बाद शुरू होने वाले विवाह आयोजनों के पहले चरण में 22 सावे मुहूर्त के हिसाब से और 5 अबूझ सावे मिलाकर कुल 27 सावे होंगे, जिनमें शादी ब्याह के अतिरिक्त और मांगलिक कार्य होंगे। मांगलिक कार्यों का यह चरण 6 जुलाई तक चलेगा, इसके बाद देवता शयन में चले जाएंगे।
14 अप्रैल सोमवार को तड़के 3.21 बजे ग्रहों के राजा सूर्य देव राशि परिवर्तन कर रहे हैं। वे मीन राशि को छोड़कर अपनी उच्च राशि में प्रवेश कर रहे है, जिसके साथ ही मीन मलमास समाप्त हो जाएगा। इसी के साथ नवसंवत्सर के बाद वैवाहिक व मांगलिक आयोजनों का पहला चरण शुरू होगा, जो 6 जुलाई तक चलेगा। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, गृहारंभ, यज्ञोपवीत, नवीन कार्य प्रारम्भ जैसे मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाएगी। पहला सावा 14 अप्रैल का सात रेखीय होगा।
इस बार दोष रहित 10 रेखा 2 सावे रहेंगे। इसके अलावा 9 रेखा के 2 सावे, 8 रेखीय 6 सावे और 7 रेखा के 8 सावों पर वैवाहिक आयोजन हो सकेंगे।
14 जून को अस्त होंगे गुरु, जारी रहेंगे मांगलिक कार्य
14 जून को गुरु अस्त अर्थात् तारा लग जाएगा, जिससे एक बार फिर मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। गुरु अस्त 7 जुलाई तक रहेंगे। हालांकि इस बीच 5 स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त रहेंगे, जिसमें मांगलिक कार्य हो सकेंगे। पहला अबूझ मुहूर्त 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया यानी आखातीज का रहेगा। इसके बाद 5 मई को जानकी नवमी, 12 मई को वैशाखी पूर्णिमा यानी पीपल पूर्णिमा, 5 जून को गंगा दशमी और 4 जुलाई को भड़ल्या नवमी का रहेगा। इसके दो दिन बाद यानी 6 जुलाई को देव शयनी एकादशी अबूझ मुहूर्त होगा, जिसके साथ ही देवता शयन पर चले जाएंगे और विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर पुन: विराम लग जाएगा। इसके मांगलिक आयोजन का दौर 1 नवम्बर को देव प्रबोधिनी यानी देवउठनी एकादशी से ही शुरू होगा।
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