अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने वीज़ा नीति को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया है कि अमेरिकी वीज़ा कोई मौलिक अधिकार नहीं, बल्कि एक विशेषाधिकार है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में प्रवेश केवल उन्हीं लोगों को मिलना चाहिए जो अमेरिकी कानूनों और मूल्यों का सम्मान करते हैं। यह बयान अमेरिका की सख्त होती इमिग्रेशन नीति और कानून व्यवस्था को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
यह टिप्पणी उस समय आई है जब अमेरिका में खासकर कॉलेज परिसरों पर pro-Palestine प्रदर्शनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। इन प्रदर्शनों में विदेशी छात्रों पर "यहूदी विरोधी व्यवहार" और अराजक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे हैं, खासकर 7 अक्टूबर 2023 को इज़राइल पर हुए हमले के बाद।
"वीज़ा उनका अधिकार नहीं है जो अमेरिका को भीतर से नुकसान पहुंचाना चाहते हैं"
फॉक्स न्यूज़ से बातचीत के दौरान रुबियो ने कहा, “अमेरिकी वीज़ा एक विशेषाधिकार है, न कि अधिकार। यह केवल उन लोगों के लिए है जो अमेरिका को बेहतर बनाते हैं, न कि उन्हें जो इसे अंदर से कमजोर करने की कोशिश करते हैं।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वीज़ा धारकों को लगातार अपनी पात्रता बनाए रखनी होती है। यदि कोई नियमों का उल्लंघन करता है, तो होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (DHS) और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर स्टेट डिपार्टमेंट उनका वीज़ा रद्द कर सकता है।
रुबियो ने कहा, “इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट (INA) हमें वीज़ा रद्द करने के लिए व्यापक अधिकार देता है, जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए आवश्यक है।”
आतंकवाद का समर्थन करने वालों को वीज़ा नहीं
उन्होंने बताया कि अमेरिकी कानून स्पष्ट रूप से यह निर्धारित करता है कि किसे वीज़ा मिल सकता है और किसे नहीं। किसी भी ऐसे व्यक्ति को वीज़ा नहीं दिया जा सकता जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करता हो या दूसरों को उसके लिए प्रेरित करता हो।
रुबियो ने कॉलेज परिसरों में पिछले साल हुई अशांति का हवाला देते हुए कहा, “इन विदेशी छात्रों ने अमेरिकी नागरिकों के लिए कॉलेज बंद करवा दिए, यहूदी छात्रों को डराया-धमकाया, सड़कों को जाम किया और इमारतों पर कब्जा जमाया।” उन्होंने ट्रंप प्रशासन की ओर से आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।
संवैधानिक सुरक्षा विदेशी नागरिकों पर लागू नहीं
अमेरिकी अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिकी संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसी सुरक्षा विदेशी नागरिकों पर वीज़ा उल्लंघन के मामलों में लागू नहीं होती। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट लंबे समय से यह स्पष्ट करता आया है कि वीज़ा धारक या अन्य विदेशी नागरिक पहले संशोधन (First Amendment) की आड़ में ऐसी गतिविधियों को छुपा नहीं सकते जो कि किसी घोषित आतंकी संगठन के समर्थन में की गई हो।”
यह बयान न सिर्फ विदेशी छात्रों के लिए चेतावनी है, बल्कि अमेरिका की बदलती वीज़ा नीति और सुरक्षा को लेकर सरकार की नई दिशा भी स्पष्ट करता है।
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