लाइव हिंदी खबर :-भारत को आध्यात्मिक देश कहना गलत नहीं होगा। सदियों से यहां देवी-देवताओं की विधि-विधान से पूजा होती आई है। आज भी जब आदमी खुद को किसी मुसीबत में पाता है तो भगवान के सामने हाथ जोड़कर सारे दुख हरलो की प्रार्थना करता है। पूजा के इन्हीं विधि-विधानों में नारियल फोडने का रिवाज भी काफी पुराना है। हिंदू धर्म के ज्यादातर धार्मिक संस्कारों में नारियल का विशेष महत्व है। आज हम आपको नारियल के इसी महत्व के बारे में बताएंगे। आप भी जानिये कब शुरू हुई ये परम्परा और क्यों फोड़ते हैं नारियल।
आदि शंकराचार्य ने शुरू की परंपरामान्यता है कि आदि शंकराचार्य नें मनुष्यों के समर्पण को दिखाने के लिए नारियल फोड़ने की ये परम्परा शुरू की थी। जिसे अब किसी भी शुभ काम मे सबसे पहले किया जाता है। ये थोड़ा अजीब है मगर नारियल को इंसानी शरीर से कंम्पेयर करते हैं।
नारियल को संस्कृत में श्रीफल के नाम से जाना जाता है। श्रीफल यानी भगवान का फल। ऐसे में नारियल आवश्यक रूप से भागवान का फल बन जाता है। नारियल फोडने का मतलब है कि आप अपने अहंकार और स्वयं को भगवान के सामने समर्पित कर रहे हैं। माना जाता है कि ऐसा करने पर अज्ञानता और अहंकार का कठोर कवच टूट जाता है और ये आत्मा की शुद्धता और ज्ञान का द्वार खोलता है, जिससे नारियल के सफेद हिस्से के रूप में देखा जाता है। नारियल कई तरह से मनुष्य के मस्तिष्क से मेल खाता है। नारियल की जटा की तुलना मनुष्य के बालों से, कठोर कवच की तुलना मनुष्य की खोपड़ी से और नारियल पानी की तुलना खून से की जा सकती है। साथ ही नारियल के गूदे की तुलना मनुष्य के दिमाग से की जा सकती है।
कल्पवृक्ष पूरी करती है सबकी मनोकामनानारियल के पेड़ को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है। सदियों से ही माना जाता रहा है कि कल्पवृक्ष सभी की मनोकामनाएं भी पूरी करती है। नारियल के पेड़ की पत्तियां जहां गांव के लोगों के कई तरह से काम आता है तो वहीं नारियल लोगों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है वहीं नारियल का पानी भी कई तरह के रूप में और कई तरह की बीमारियों के बचाव में इस्तेमाल होता है। इसलिए भी भारतीय संस्कृति में नारियल की इतनी महत्ता है।
मान्यता ये भी है कि नारियल शनि की छाया को दूर करने मे भी लाभदायक है। कई लोग शनि की छाया के कारण जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करते हैं। खुद को शनि की छाया से दूर करने के लिए नारियल इस्तेमाल करते हैं।
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