भारत में डिजिटल भुगतानों के मैदान में एक और बड़ा बदलाव करीब है। कार्ड या मोबाइल फोन की ज़रूरत खत्म होने की ओर हम बढ़ रहे हैं — अब अंगूठा यानी फिंगरप्रिंट के ज़रिए पेमेंट करना संभव होगा। इस नई तकनीक से भुगतान तेज़, सुविधाजनक और ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा। आइए जानते हैं कि यह सिस्टम कैसे काम करता है, क्या‑क्या फ़ायदे हैं, और किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
अंगूठे से पेमेंट कैसे होगा?
यह टेक्नोलॉजी “बायोमेट्रिक पेमेंट कार्ड” और बायोमेट्रिक ऑथेन्टिकेशन विकल्पों पर आधारित है। एक बैंक कार्ड में फिंगरप्रिंट सेंसर लगेगा, और उपयोगकर्ता का अंगूठे का प्रिंट पहले से कार्ड में “एनरोल” रहेगा। जब वह कार्ड टर्मिनल पर टैप या कॉन्टैक्ट मोड (Insert) में डाला जाएगा, और साथ ही अंगूठा सेंसर पर रखा जाएगा, तो कार्ड पर संग्रहित डिजिटल प्रिंट टेम्पलेट के साथ लाइव प्रिंट मैच किया जाएगा। अगर प्रिंट मिलती है, तो भुगतान पूरी तरह से प्रमाणीकृत हो जाएगा, अन्यथा नकारात्मक संकेत मिलेगा।
यह प्रक्रिया लगभग एक सेकंड या उससे भी कम समय लेती है, जिससे लाइन में किलोमीटर‑की घंटियाँ नहीं बजाय जाएँगी। कार्ड को पावर देने की ज़रूरत नहीं — टेकनोलॉजी ऐसी है कि कार्ड रीडर से मिलने वाली एनर्जी से सेंसर और कार्ड का चिप ऑपरेट हो जाएगा।
इस बदलाव के क्या कर रहे हैं लाभ?
सुरक्षा में सुधार
PIN छोड़ने से चोरी‑छिपे उपयोग की संभावना कम होती है। यदि कोई कार्ड खो जाए, तो बिना मालिक का अंगूठा किसी काम नहीं आ सकेगा।
सुविधा और समय की बचत
कार्ड याद रखने की ज़रूरत नहीं, PIN टाइप करने की झंझट नहीं। सिर्फ टैप + अंगूठा — ये पूरा हो जाएगा तुरंत।
स्वास्थ्य व स्वच्छता के दृष्टिकोण से बेहतर
कार्ड या बटन दबाने की तुलना में कम छूना होगा, जिससे संक्रमण का ख़तरा भी घटेगा।
बैंक और व्यापारियों को भी फ़ायदा
धोखाधड़ी (fraud) कम होगी, ग्राहक संतुष्टि बढ़ेगी, और POS (पॉइंट‑ऑफ‑सेल) सिस्टमों पर ज़्यादा भरोसा होगा।
किन चुनौतियों का सामना होगा?
गोपनीयता और डेटा सुरक्षा
फिंगरप्रिंट डेटा बेहद संवेदनशील है। इसे हमेशा ऐन्ड‑टू‑एंड एन्क्रिप्टेड तरीके से रखना होगा। मोबाइल या बैंक सर्वर पर न रखना सर्वोत्तम होगा, बल्कि कार्ड के सुरक्षित चिप (secure element) में संग्रहित होगा।
तकनीकी सटीकता और भरोसा
सेंसर को विभिन्न तरह के अंगूठे के निशान पहचानने होंगे — सूखा या गीला ऊँगली, स्क्रैच आदि। यदि मैच नहीं हुआ तो बैकअप विकल्प जैसे PIN या अन्य ऑथेन्टिकेशन ज़रूरी होगा।
लागत और अपनापन
ऐसे कार्डों की निर्माण लागत पारंपरिक कार्डों से ज़्यादा हो सकती है। उन व्यापार‑संस्थाओं या ग्राहकों के लिए जो तकनीक की नई हो, शुरुआत में स्वीकार करना मुश्किल हो सकता है।
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