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क्या ब्रिटेन में अब ग्रेजुएशन के बाद नहीं मिलेगी जॉब? ग्रेजुएट वीजा रूट पर सरकार ले सकती है बड़ा फैसला

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UK Graduate Visa Changes: ब्रिटेन में पढ़ाई के बाद जॉब करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि सरकार ग्रेजुएट रूट वीजा पॉलिसी में बदलाव करने की तैयारी कर रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि देश में बढ़ रही विदेशी आबादी को कम किया जा सके। सरकार के फैसले से ब्रिटिश होम ऑफिस (गृह मंत्रालय) और डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन (शिक्षा मंत्रालय) के बीच मतभेद भी पैदा हुआ है। गृह मंत्रालय वीजा पॉलिसी में बदलाव का समर्थन कर रहा है, जबकि शिक्षा मंत्रालय इसके खिलाफ है।फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वीजा पॉलिसी में बदलाव के बाद नए नियमों के तहत विदेशी छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के बाद ब्रिटेन में रहने के लिए ग्रेजुएट-लेवल की नौकरी पाना जरूरी होगा। गृह मंत्रालय इस बात से खफा है कि शिक्षा मंत्रालय इन बदलावों का विरोध कर रहा है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि शिक्षा मंत्रालय ने यूनिवर्सिटीज यूके नामक संस्था को इन बदलावों के खिलाफ बोलने के लिए उकसाया है। देश के सभी टॉप संस्थान यूनिवर्सिटीज यूके संस्था से जुड़े हुए हैं। क्या है ग्रेजुएट वीजा रूट?ब्रिटेन की सरकार 2021 में ग्रेजुएट वीजा रूट लेकर आई, जिसके तहत विदेशी छात्रों को दो साल तक देश में काम करने की इजाजत होती है। ब्रिटिश यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद विदेशी छात्र दो साल तक ब्रिटेन में रुककर नौकरी कर सकते हैं, भले ही उन्हें इस दौरान कोई कंपनी जॉब दे या नहीं। आसान भाषा में कहें तो सरकार आपको नौकरी ढूंढने और करने के लिए दो साल का समय देती है। पीएचडी ग्रेजुएट्स को तीन साल तक नौकरी करने की इजाजत होती है। हालांकि, ये वीजा रूट हमेशा विवादों में रहा है, क्योंकि कुछ लोगों का कहना है कि इसके जरिए स्थानीय लोगों की नौकरियां खतरे में हैं। माइग्रेशन एडवाइजरी कमिटी की एक रिसर्च में बताया गया था कि इस वीजा रूट के जरिए ब्रिटेन में काम करने वाले 60 फीसदी छात्र ऐसे हैं, जिनकी सालाना सैलरी 30 हजार पाउंड से कम है, जो कि ग्रेजुएट के लिए तय की गई सैलरी से कम है। यही वजह है कि हर कोई इसके खिलाफ रहा है। शिक्षा मंत्रालय ने बताया वीजा रूट खत्म करने का नुकसान?वहीं, शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस वीजा सिस्टम पर प्रतिबंध से यूनिवर्सिटीज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि कई संस्थान आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। यूनिवर्सिटीज यूके की चीफ एग्जीक्यूटिव, विविएन स्टर्न ने कहा कि इस योजना को खत्म करना पागलपन होगा। उन्होंने बताया कि विदेशी छात्रों का एक बैच देश की अर्थव्यवस्था में हर साल 40 बिलियन पाउंड का योगदान देता है। उन्होंने कहा कि वीजा से छात्रों को एक्सपीरियंस हासिल करने और नौकरी पाने का समय मिलता है। गृह मंत्रालय ने क्या कहा?गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "हमें प्रधानमंत्री ने नेट माइग्रेशन (विदेशियों की संख्या) को कम करने का काम सौंपा है और वे ऐसा करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं।" अधिकारी ने आगे बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा यूनिवर्सिटीज यूके से इस मुद्दे पर लड़ने के लिए कहना बहुत निराशाजनक है। गृह मंत्रालय ने आंकड़ों के जरिए बदलाव की बात कही है। 2024 में 40,000 लोगों ने देश में शरण के लिए आवेदन किया, जिनके पास पहले वीजा था। इनमें से लगभग 40% पहले स्टूडेंट वीजा पर थे।
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