रामबाबू मित्तल, मुजफ्फरनगर: यूपी के मुजफ्फरनगर के सिसौली में रविवार को भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की मासिक पंचायत का आयोजन किया गया। किसान भवन परिसर में हुई इस पंचायत में संगठन के प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने किसानों को संबोधित किया। उन्होंने संगठन से जुड़े रहने, फिजूलखर्ची छोड़ने और शिक्षा-तकनीकी ज्ञान पर जोर देने का आह्वान किया।
बरगद के पेड़ से दी नसीहत
पंचायत शुरू होने से पहले टिकैत कार्यकर्ताओं के साथ किसान भवन परिसर में स्थित 39 साल पुराने बरगद के पेड़ के नीचे पहुंचे। उन्होंने बताया कि यह पेड़ चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने किसान भवन की स्थापना के समय अपने हाथों से लगाया था। टिकैत ने कहा – “जो लोग संगठन से जुड़े रहते हैं, वे इस पेड़ की मजबूत टहनियों की तरह पल्लवित होते हैं। लेकिन जो संगठन छोड़कर जाते हैं, वे रात में पेड़ से लटके चमगादड़ों की तरह हैं, जिनको न तो उजाला नसीब होता है और न ही सम्मान।” उन्होंने साफ संदेश दिया कि संगठन छोड़ने वाले लोग भले ही अलग-अलग यूनियन बना लें, परंतु जड़ों से कटकर उनकी पहचान कमजोर ही रह जाती है।
बुजुर्ग सिपाही धर्मवीर सिंह का सम्मान
इस अवसर पर राकेश टिकैत ने यूनियन के पुराने कार्यकर्ता धर्मवीर सिंह का सम्मान किया। उन्होंने याद दिलाया कि धर्मवीर सिंह महेंद्र सिंह टिकैत के समय से जुड़े हुए हैं और किसान आंदोलन में 13 महीने तक खाट और हुक्का लेकर डटे रहे। टिकैत ने उन्हें संगठन की जड़ बताते हुए कहा कि उनका समर्पण सभी किसानों के लिए प्रेरणा है।
स्कूल बंद होंगे तो बच्चों की पढ़ाई पर संकट
अपने संबोधन में टिकैत ने ग्रामीण शिक्षा पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से स्कूल बंद करने की योजना से गांवों के गरीब बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। उन्होंने सवाल उठाया कि दूर-दराज के स्कूलों तक बच्चों का आवागमन कैसे होगा। टिकैत ने चेतावनी दी कि जरूरत पड़ी तो इसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।
फिजूलखर्ची और नशे से बचने की सलाह
टिकैत ने किसानों को समझाया कि एक साल की गन्ने की आमदनी से भी महंगे मोबाइल खरीदना समझदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह किसानों के खिलाफ “साइलेंट वार” है, जिसमें आमदनी बढ़ाने की बजाय खर्च बढ़ता जा रहा है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे नशे और दिखावे की प्रवृत्ति छोड़ें और अपनी कमाई का सही इस्तेमाल करें।
त्योहारों पर दिखावे की बजाय मदद करें
टिकैत ने कहा कि त्योहारों पर मिठाई और कपड़े बांटने की बजाय रिश्तेदारों को नगद पैसे देना बेहतर है। इससे वे अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च कर पाएंगे। उन्होंने इसे वास्तविक मदद बताते हुए कहा कि समाज में दिखावे की प्रवृत्ति खत्म करनी होगी।
तकनीकी ज्ञान और रोजगार की दिशा
भाकियू प्रवक्ता ने किसानों से आह्वान किया कि वे खेती के साथ-साथ तकनीकी कार्यों की ओर भी कदम बढ़ाएं। बिजली मिस्त्री, ट्रैक्टर मिस्त्री और वाहन मरम्मत जैसे काम सीखकर किसान अतिरिक्त आय कमा सकते हैं। टिकैत के अनुसार, आर्थिक मजबूती का रास्ता केवल परंपरागत खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि नई तकनीकों और हुनर से भी है।
संगठन से जुड़ाव का आह्वान
टिकैत ने पंचायत में यह भी घोषणा की कि जो किसान अपने खेतों, पशुओं और औजारों को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखेगा, उसे संगठन की ओर से सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे पुराने साथियों के घर जाकर परिवारों को फिर से संगठन से जोड़ें और गांव-गांव यूनियन को मजबूत करें।
चार दशक पुरानी परंपरा
भाकियू की मासिक पंचायत की परंपरा करीब 40 साल पुरानी है। शुरुआत में इसमें किसानों की संख्या सीमित थी, लेकिन समय के साथ संगठन और पंचायत दोनों मजबूत हुए हैं। टिकैत ने अंत में कहा कि किसान आंदोलन की असली ताकत “एकता और त्याग” से आती है। किसानों को हमेशा यही सोचकर आगे बढ़ना चाहिए कि उनकी जड़ें संगठन में हैं और वही उनकी सबसे बड़ी शक्ति है।
बरगद के पेड़ से दी नसीहत
पंचायत शुरू होने से पहले टिकैत कार्यकर्ताओं के साथ किसान भवन परिसर में स्थित 39 साल पुराने बरगद के पेड़ के नीचे पहुंचे। उन्होंने बताया कि यह पेड़ चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने किसान भवन की स्थापना के समय अपने हाथों से लगाया था। टिकैत ने कहा – “जो लोग संगठन से जुड़े रहते हैं, वे इस पेड़ की मजबूत टहनियों की तरह पल्लवित होते हैं। लेकिन जो संगठन छोड़कर जाते हैं, वे रात में पेड़ से लटके चमगादड़ों की तरह हैं, जिनको न तो उजाला नसीब होता है और न ही सम्मान।” उन्होंने साफ संदेश दिया कि संगठन छोड़ने वाले लोग भले ही अलग-अलग यूनियन बना लें, परंतु जड़ों से कटकर उनकी पहचान कमजोर ही रह जाती है।
बुजुर्ग सिपाही धर्मवीर सिंह का सम्मान
इस अवसर पर राकेश टिकैत ने यूनियन के पुराने कार्यकर्ता धर्मवीर सिंह का सम्मान किया। उन्होंने याद दिलाया कि धर्मवीर सिंह महेंद्र सिंह टिकैत के समय से जुड़े हुए हैं और किसान आंदोलन में 13 महीने तक खाट और हुक्का लेकर डटे रहे। टिकैत ने उन्हें संगठन की जड़ बताते हुए कहा कि उनका समर्पण सभी किसानों के लिए प्रेरणा है।
स्कूल बंद होंगे तो बच्चों की पढ़ाई पर संकट
अपने संबोधन में टिकैत ने ग्रामीण शिक्षा पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से स्कूल बंद करने की योजना से गांवों के गरीब बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। उन्होंने सवाल उठाया कि दूर-दराज के स्कूलों तक बच्चों का आवागमन कैसे होगा। टिकैत ने चेतावनी दी कि जरूरत पड़ी तो इसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।
फिजूलखर्ची और नशे से बचने की सलाह
टिकैत ने किसानों को समझाया कि एक साल की गन्ने की आमदनी से भी महंगे मोबाइल खरीदना समझदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह किसानों के खिलाफ “साइलेंट वार” है, जिसमें आमदनी बढ़ाने की बजाय खर्च बढ़ता जा रहा है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे नशे और दिखावे की प्रवृत्ति छोड़ें और अपनी कमाई का सही इस्तेमाल करें।
त्योहारों पर दिखावे की बजाय मदद करें
टिकैत ने कहा कि त्योहारों पर मिठाई और कपड़े बांटने की बजाय रिश्तेदारों को नगद पैसे देना बेहतर है। इससे वे अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च कर पाएंगे। उन्होंने इसे वास्तविक मदद बताते हुए कहा कि समाज में दिखावे की प्रवृत्ति खत्म करनी होगी।
तकनीकी ज्ञान और रोजगार की दिशा
भाकियू प्रवक्ता ने किसानों से आह्वान किया कि वे खेती के साथ-साथ तकनीकी कार्यों की ओर भी कदम बढ़ाएं। बिजली मिस्त्री, ट्रैक्टर मिस्त्री और वाहन मरम्मत जैसे काम सीखकर किसान अतिरिक्त आय कमा सकते हैं। टिकैत के अनुसार, आर्थिक मजबूती का रास्ता केवल परंपरागत खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि नई तकनीकों और हुनर से भी है।
संगठन से जुड़ाव का आह्वान
टिकैत ने पंचायत में यह भी घोषणा की कि जो किसान अपने खेतों, पशुओं और औजारों को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखेगा, उसे संगठन की ओर से सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे पुराने साथियों के घर जाकर परिवारों को फिर से संगठन से जोड़ें और गांव-गांव यूनियन को मजबूत करें।
चार दशक पुरानी परंपरा
भाकियू की मासिक पंचायत की परंपरा करीब 40 साल पुरानी है। शुरुआत में इसमें किसानों की संख्या सीमित थी, लेकिन समय के साथ संगठन और पंचायत दोनों मजबूत हुए हैं। टिकैत ने अंत में कहा कि किसान आंदोलन की असली ताकत “एकता और त्याग” से आती है। किसानों को हमेशा यही सोचकर आगे बढ़ना चाहिए कि उनकी जड़ें संगठन में हैं और वही उनकी सबसे बड़ी शक्ति है।
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