लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आपने शरीर का एक फंक्शन ठीक नहीं किया तो कैल्शियम और विटामिन डी लेने से भी कुछ नहीं होगा। डॉक्टर ने हड्डियों की कमजोरी के इस कारण के बारे में विस्तार से बताया है।
पुणे स्थित Vencer Hospital के ऑर्थोपेडिक स्पाइन सर्जन कंसल्टेंट डॉक्टर समीर पाटिल ने बताया कि अक्सर तनाव और चिंता को लोग भावनात्मक समस्याएं मानते हैं। लेकिन यह आपकी हड्डियों की दुश्मन बन सकती हैं। इसकी वजह से हड्डियों का कैल्शियम उतर सकता है और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ सकता है।
तनाव लेने पर क्या होता है?
डॉक्टर समीर के मुताबिक स्ट्रेस या एंग्जायटी में शरीर खून में कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे स्ट्रेस हॉर्मोन भेजता है, जिससे शरीर का हर अंग सावधान और सतर्क हो जाता है। इसकी वजह से धड़कन तेज होती है, अचानक और तेजी से काम करने के लिए मांसपेशियां सक्रिय होती हैं। थोड़ी देर या कभी कभार के लिए यह ठीक नहीं है, लेकिन लंबे समय या कई दिनों तक शरीर की ऐसी हालत रहना मसल्स में अकड़न, दर्द और असहजता बढ़ाती है।
ज्यादा तनाव लेने का पहला संकेत
डॉक्टर ने मसल्स में अकड़न को इसका पहला संकेत बताया। तनाव के वक्त अधिकतर लोगों को गर्दन में अकड़न, कंधों में दर्द और पीठ में सूजन होती है। हफ्तों और महीनों तक रहने पर यह स्थिति मसल्स को थका देती है और दर्द को दूसरे हिस्सों में बढ़ाने लगती है। जैसे गर्दन की अकड़न धीरे धीरे सिरदर्द भी बन सकती है और फिर यह हालत भी एंग्जायटी और तनाव बढ़ाती है।
हड्डियों का दुश्मन तनाव

कोर्टिसोल स्ट्रेस हॉर्मोन के बढ़ने से शरीर में कैल्शियम का अवशोषण और हड्डियों की रिपेयरिंग बाधित होती है। लंबे समय तक तनाव रहने से हड्डियों की ताकत जाने लगती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ता है। हॉर्मोन इम्बैलेंस की वजह से महिलाओं को अधिक जोखिम है।
जोड़ों के लिए भी नुकसानदायक
स्ट्रेस और एंग्जायटी की वजह से शरीर के जोड़ भी कमजोर होते हैं। अत्यधिक स्ट्रेस बॉडी इंफ्लामेशन बढ़ाता है। आर्थराइटिस के मरीजों के लिए तो दिक्कत ज्यादा हो सकती है। तनाव से शारीरिक काम भी कम हो जाता है, जिससे तकलीफ बढ़ सकती है।
पोस्चर भी होता है खराब

स्ट्रेस और एंग्जायटी अधिक रहने से पोस्चर बदल जाता है। इसकी वजह से पीड़ित अनजाने में कंधों का झुकना, जबड़ा टाइट होना और अकड़कर बैठना जैसे काम करने लगता है। धीरे धीरे इसकी वजह से रीढ़ की हड्डी में तनाव, कूल्हे और जोड़ों में दर्द हो सकता है। इसकी वजह से फ्लैक्सिबिलिटी और मोबिलिटी कम हो जाती है।
क्या है बचाव और इलाज
डॉक्टर ने बताया कि अच्छी बात यह है कि तनाव व एंग्जायटी के इन लक्षणों को ठीक किया जा सकता है। इसके लिए स्ट्रेचिंग, योगा, शॉर्ट वॉक करें, इससे मांसपेशियों की अकड़न कम होगी और ब्लड फ्लो बढ़ेगा। मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग और रिलैक्सेशन टेक्नीक से दिमाग और बॉडी का कनेक्शन बढ़ाएं। डाइट में पर्याप्त कैल्शियम, विटामिन डी, मैग्नीशियम लें। पर्याप्त नींद लें और दिक्कत बढ़ने पर फिजियोथेरेपिस्ट या डॉक्टर से सलाह लें।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
You may also like
रोहित शर्मा का गौतम गंभीर पर कसा तंज? राहुल द्रविड़ को दिया चैंपियंस ट्रॉफी की जीत का क्रेडिट
बांग्लादेश के सीईसी ने अधिकारियों को फरवरी के चुनावों में राजनीतिक दलों का समर्थन न करने की चेतावनी दी
त्रिपुरा : टीएमसी कार्यालय पर 'हमले' के बाद अगरतला में तनाव
झारखंड: गुमला में नवजातों की खरीद-फरोख्त मामले में तीन स्वास्थ्यकर्मी बर्खास्त
पीएम मोदी जैसा नेतृत्व मिलना देश के लिए सौभाग्य की बात: प्रकाश जावड़ेकर