पटना: दुलारचंद यादव की हत्या बिहार की राजनीति में एक बहुत बड़ी घटना है। राजनीति और अपराध के गठजोड़ के कारण एक बार फिर खून के छींटे उड़े। विधानसभा चुनाव में इसके असर से इंकार नहीं किया जा सकता।   दुलारचंद यादव को नब्बे के दशक में टाल क्षेत्र का आतंक कहा जाता था। 1990 में जब लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने तो दुलारचंद यादव की ताकत और बढ़ गयी। तब विपक्ष के नेता जगन्नाथ मिश्र ने आरोप लगया था कि लालू यादव जाति के आधार पर अपराधियों को संगठित कर रहे हैं। उस समय लालू यादव की पार्टी (जनता दल) से दिलीप सिंह मोकामा के विधायक थे। दिलीप सिंह, अनंत सिंह के बड़े भाई थे। भूमिहार जाति से आने वाले दिलीप सिंह भी बाहुबली नेता थे। कहा जाता है कि बाढ़-मोकामा में दिलीप सिंह को कंट्रोल करने के लिए लालू यादव ने दुलारचंद यादव को खड़ा किया था।   
   
   
लालू यादव के लिए समर्पित दुलारचंदहाल ही में दुलारचंद यादव ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'लालू जी ने जो दिया वो कोई नहीं दे सकता। लालू जी ने जो किया वो कोई नहीं कर सकता। हम तो लालू जी के लिए समर्पित हैं, राजद के लिए समर्पित हैं। लालू जी हमको मानते भी थे। एक बार मैं लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार के खिलाफ खड़ा हो रहा था। तब लालू जी में मेरे घर पहुंच गये और चुनाव में बैठ जाने लिए कहा। मैं उनकी बात भला कैसे टाल सकता था। मैं चुनाव में बैठ गया तो नीतीश कुमार जीत गये।'
   
     
12 से अधिक आपराधिक मामले दर्जचुनावी हलफनामा (2010) के मुताबिक दुलारचंद यादव पर 12 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। उनमें हत्या से संबंधित चार आरोप, हत्या के प्रयास से संबंधित चार आरोप, हत्या की नीयत से अपहरण का एक आरोप शामिल थे। जमीन कब्जा और जबरन वसूली के भी कई आरोप थे। 2019 में बाढ़ की सहायक पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने दुलारचंद यादव को जमीन हड़पने, जबरन वसूली और हत्या के प्रयास से जुड़े आपराधिक मामले में गिरफ्तार किया था।
   
   
लालू यादव ने कभी टिकट नहीं दियाअपराध की दुनिया में ताकत हासिल करने के बाद दुलारचंद यादव ने राजनीति में किस्मत आजमाने की कोशिश की थी। करीबी होने के बाद भी लालू यादव ने दुलारचंद यादव को कभी अपनी पार्टी से टिकट नहीं दिया। तब जनता दल में, जॉर्ज फर्नांडीस और शरद यादव और जैसे नेता थे, जो राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ थे। इसलिए लालू यादव, दुलारचंद यादव को जनता दल से टिकट नहीं दिला सके थे। बाद में जब लालू यादव ने राजद का गठन किया, तब अपनी छवि बचाने के लिए दूर रहे। कहा जाता है कि लालू यादव ने अपने पिछड़ावाद को चमकाने के लिए दुलारचंद यादव का केवल इस्तेमाल किया।
   
   
1995 में लड़े तो मिले केवल 105 वोटदुलारचंद यादव ने सबसे पहले 1995 में बाढ़ विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ा। इस सीट पर कुल 40 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे। उम्मीदवारों की भीड़ में दुलारचंद यादव की बिल्कुल नहीं चली। हैरानी की बात है कि जिस यादव समाज के लिए दुलारचंद बाहुबली नेता थे, उसने वोट देने से कन्नी काट ली। इस चुनाव में दुलारचंद यादव को केवल 105 वोट मिले। गोली-बंदूक की पहचान वाले दुलारचंद को यादवों ने अपना नेता मानने से इंकार कर दिया। इस चुनाव में लालू यादव ने बाढ़ सीट से विजय कृष्ण (राजपूत) को उम्मीदवार बनाया था। तब नीतीश कुमार समता पार्टी के नेता थे। समता पार्टी के भुवनेश्वर प्रसाद सिंह और विजय कृष्ण में कांटे का मुकाबला हुआ। करीब चार हजार वोटों से विजय कृष्ण जीत गये।
   
   
2010 में दुलारचंद को मिले 598 वोटदुलारचंद यादव ने 2010 में एक बार फिर चुनावी राजनीति में एंट्री लेने की कोशिश की। बाढ़ विधानसभा सीट से जनता दल सेक्युलर के टिकट पर चुनाव लड़े। इस बार भी बुरी तरह हारे। तब तक दुलारचंद यादव की उम्र 60 साल हो चुकी थी और अपनी सामाजिक हैसियत भी बना ली थी। लेकिन चुनाव में इसका कोई फायदा नहीं मिला। जब सिर्फ 598 वोट मिले, तब कोई कैसे उन्हें यादवों का नेता मान सकता था। दुलारचंद यादव को भले चुनावी जीत नहीं मिली लेकिन बाढ़-मोकामा के टाल में दबदबा कायम रहा।
   
   
2019 में अनंत सिंह की पत्नी के लिए प्रचार2019 के लोकसभा चुनाव के समय राजद और कांग्रेस में गठबंधन था। तब अनंत कुमार सिंह का नीतीश कुमार से झगड़ा चल रहा था और वे राजद में चले गये थे। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को मुंगेर सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था। नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से ललन सिंह खड़े थे। इस चुनाव में दुलारचंद यादव ने अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी के लिए प्रचार किया था। एक साक्षात्कार में दुलारचंद यादव ने खुद ये बात बताई थी। दुलारचंद यादव ने कहा था, 'मैं लालू जी का पक्का समर्थक हूं, जब अनंत सिंह राजद-कांग्रेस गठबंधन में आये तो हम लोग एक मंच पर आ गये। हम दोनों लालू यादव के साथ थे। तब मैंने नीलम देवी के लिए चुनाव प्रचार किया था। लेकिन दुलारचंद के प्रचार से नीलम देवी को कोई फायदा नहीं मिला। वे करीब 1 लाख 67 हजार वोटों के बड़े अंतर से चुनाव हार गईं।' ललन सिंह ने मुकाबले को एकतरफा बना दिया था।
  
लालू यादव के लिए समर्पित दुलारचंदहाल ही में दुलारचंद यादव ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'लालू जी ने जो दिया वो कोई नहीं दे सकता। लालू जी ने जो किया वो कोई नहीं कर सकता। हम तो लालू जी के लिए समर्पित हैं, राजद के लिए समर्पित हैं। लालू जी हमको मानते भी थे। एक बार मैं लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार के खिलाफ खड़ा हो रहा था। तब लालू जी में मेरे घर पहुंच गये और चुनाव में बैठ जाने लिए कहा। मैं उनकी बात भला कैसे टाल सकता था। मैं चुनाव में बैठ गया तो नीतीश कुमार जीत गये।'
12 से अधिक आपराधिक मामले दर्जचुनावी हलफनामा (2010) के मुताबिक दुलारचंद यादव पर 12 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। उनमें हत्या से संबंधित चार आरोप, हत्या के प्रयास से संबंधित चार आरोप, हत्या की नीयत से अपहरण का एक आरोप शामिल थे। जमीन कब्जा और जबरन वसूली के भी कई आरोप थे। 2019 में बाढ़ की सहायक पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने दुलारचंद यादव को जमीन हड़पने, जबरन वसूली और हत्या के प्रयास से जुड़े आपराधिक मामले में गिरफ्तार किया था।
लालू यादव ने कभी टिकट नहीं दियाअपराध की दुनिया में ताकत हासिल करने के बाद दुलारचंद यादव ने राजनीति में किस्मत आजमाने की कोशिश की थी। करीबी होने के बाद भी लालू यादव ने दुलारचंद यादव को कभी अपनी पार्टी से टिकट नहीं दिया। तब जनता दल में, जॉर्ज फर्नांडीस और शरद यादव और जैसे नेता थे, जो राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ थे। इसलिए लालू यादव, दुलारचंद यादव को जनता दल से टिकट नहीं दिला सके थे। बाद में जब लालू यादव ने राजद का गठन किया, तब अपनी छवि बचाने के लिए दूर रहे। कहा जाता है कि लालू यादव ने अपने पिछड़ावाद को चमकाने के लिए दुलारचंद यादव का केवल इस्तेमाल किया।
1995 में लड़े तो मिले केवल 105 वोटदुलारचंद यादव ने सबसे पहले 1995 में बाढ़ विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ा। इस सीट पर कुल 40 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे। उम्मीदवारों की भीड़ में दुलारचंद यादव की बिल्कुल नहीं चली। हैरानी की बात है कि जिस यादव समाज के लिए दुलारचंद बाहुबली नेता थे, उसने वोट देने से कन्नी काट ली। इस चुनाव में दुलारचंद यादव को केवल 105 वोट मिले। गोली-बंदूक की पहचान वाले दुलारचंद को यादवों ने अपना नेता मानने से इंकार कर दिया। इस चुनाव में लालू यादव ने बाढ़ सीट से विजय कृष्ण (राजपूत) को उम्मीदवार बनाया था। तब नीतीश कुमार समता पार्टी के नेता थे। समता पार्टी के भुवनेश्वर प्रसाद सिंह और विजय कृष्ण में कांटे का मुकाबला हुआ। करीब चार हजार वोटों से विजय कृष्ण जीत गये।
2010 में दुलारचंद को मिले 598 वोटदुलारचंद यादव ने 2010 में एक बार फिर चुनावी राजनीति में एंट्री लेने की कोशिश की। बाढ़ विधानसभा सीट से जनता दल सेक्युलर के टिकट पर चुनाव लड़े। इस बार भी बुरी तरह हारे। तब तक दुलारचंद यादव की उम्र 60 साल हो चुकी थी और अपनी सामाजिक हैसियत भी बना ली थी। लेकिन चुनाव में इसका कोई फायदा नहीं मिला। जब सिर्फ 598 वोट मिले, तब कोई कैसे उन्हें यादवों का नेता मान सकता था। दुलारचंद यादव को भले चुनावी जीत नहीं मिली लेकिन बाढ़-मोकामा के टाल में दबदबा कायम रहा।
2019 में अनंत सिंह की पत्नी के लिए प्रचार2019 के लोकसभा चुनाव के समय राजद और कांग्रेस में गठबंधन था। तब अनंत कुमार सिंह का नीतीश कुमार से झगड़ा चल रहा था और वे राजद में चले गये थे। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को मुंगेर सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था। नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से ललन सिंह खड़े थे। इस चुनाव में दुलारचंद यादव ने अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी के लिए प्रचार किया था। एक साक्षात्कार में दुलारचंद यादव ने खुद ये बात बताई थी। दुलारचंद यादव ने कहा था, 'मैं लालू जी का पक्का समर्थक हूं, जब अनंत सिंह राजद-कांग्रेस गठबंधन में आये तो हम लोग एक मंच पर आ गये। हम दोनों लालू यादव के साथ थे। तब मैंने नीलम देवी के लिए चुनाव प्रचार किया था। लेकिन दुलारचंद के प्रचार से नीलम देवी को कोई फायदा नहीं मिला। वे करीब 1 लाख 67 हजार वोटों के बड़े अंतर से चुनाव हार गईं।' ललन सिंह ने मुकाबले को एकतरफा बना दिया था।
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