नई दिल्ली: चीन ने छह महीने बाद भारत के लिए 'चुंबक' का ताला खोल दिया है। उसने हैवी रेयर अर्थ मैग्नेट्स यानी भारी दुर्लभ पृथ्वी चुंबक की सप्लाई फिर से शुरू कर दी है। इससे इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), रिन्यूएबल एनर्जी और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों की कंपनियों को बड़ी राहत मिली है। हालांकि, चीन ने कुछ शर्तें लगाई हैं। इन शर्तों के अनुसार, इन मैग्नेट्स को अमेरिका को दोबारा निर्यात नहीं किया जा सकता। न ही इनका इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए करना है। यह जानकारी उन लोगों ने दी है जो इस मामले से जुड़े हैं। चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध चल रहा है। लेकिन, गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी समकक्ष शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों ने तनाव कम करने के लिए कुछ कदम उठाने पर सहमति जताई है।   
   
जिन चार भारतीय कंपनियों को चीनी निर्यातकों से रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सप्लाई के लिए स्थानीय अधिकारियों से मंजूरी मिली है, उनके नाम हैं - हिताची, कॉन्टिनेंटल, जय-उशिन और डीई डायमंड्स। चीन ने इन चुंबकों को अमेरिका को दोबारा निर्यात न करने की गारंटी मांगी थी।
     
चीन ने यह भी आश्वासन मांगा था कि इन चुंबकों का इस्तेमाल सिर्फ स्थानीय जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा। भारतीय कंपनियों ने पहले ही एंड यूजर सर्टिफिकेट्स (ईयूसी) जमा कर दिए थे। सर्टिफिकेट्स में यह बताया गया था कि इन कंपोनेंट्स का इस्तेमाल हथियारों के निर्माण के लिए नहीं होगा। हालांकि, इनमें से 50 से ज्यादा एप्लिकेशन चीन के वाणिज्य मंत्रालय से मंजूरी के लिए लंबित थीं।
     
भारत की क्यों अटकी हुई थी सांस?
इस मामले से जुड़े एक सीनियर इंडस्ट्री एग्जीक्यूटिव ने ईटी को बताया, 'सप्लाई में कुछ नरमी आई है। चार कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट आयात करने की मंजूरी मिल गई है।' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को इस बात की पुष्टि की थी कि भारतीय कंपनियों को चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट आयात करने के लाइसेंस मिल गए हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, 'हमें यह देखना होगा कि अमेरिका और चीन की बातचीत हमारे क्षेत्र को कैसे प्रभावित करेगी।'
   
भारत में ईवी निर्माता इन शक्तिशाली चुंबकों के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं। ये चुंबक रिन्यूएबल एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और एयरोस्पेस और रक्षा जैसे अन्य उच्च-तकनीकी उद्योगों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
   
चीन के पास 90% कंट्रोल
चीन इन चुंबकों के वैश्विक उत्पादन का 90% कंट्रोल करता है। 4 अप्रैल को चीन ने 'राष्ट्रीय सुरक्षा' के उद्देश्य से मीडियम और हैवी रेयर अर्थ संबंधित वस्तुओं पर निर्यात नियंत्रण की घोषणा की थी। यह कदम राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से बीजिंग पर टैरिफ लगाने की प्रतिक्रिया में उठाया गया था। अप्रैल की अधिसूचना में निर्यातकों को ऐसे सामान भेजने के लिए खरीदार से ईयूसी प्राप्त करने के बाद चीन के वाणिज्य विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया गया था। ईयूसी में खरीदारों को यह गारंटी देनी होती है कि इन वस्तुओं का इस्तेमाल सामूहिक विनाश के हथियारों और उनकी वितरण प्रणालियों के भंडारण, निर्माण, उत्पादन या संस्करण के लिए नहीं किया जाएगा।
   
हालांकि, चीन ने पिछले कुछ महीनों में यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया की कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सप्लाई फिर से शुरू कर दी थी। लेकिन, भारत को सप्लाई करने वाले विक्रेताओं को निर्यात लाइसेंस जारी नहीं किए गए थे। भारत ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 306 करोड़ रुपये के 870 टन रेयर अर्थ मैग्नेट का आयात किया था। इससे पहले ट्रंप ने घोषणा की थी कि उन्होंने और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने महत्वपूर्ण दुर्लभ पृथ्वी सामग्री की सप्लाई के लिए एक साल के सौदे पर सहमति व्यक्त की है।
   
भारत के लिए क्या हैं मायने?चीन की ओर से छह महीने की रोक के बाद चार भारतीय कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट्स आयात करने की अनुमति देना भारत के ईवी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण और तत्काल राहत है। ये मैग्नेट्स ईवी मोटरों, स्मार्टफोन और अन्य हाई-टेक उपकरणों के लिए जरूरी हैं। रोक के कारण भारतीय कंपनियों को गंभीर सप्लाई चेन बाधाओं का सामना करना पड़ रहा था। इससे उत्पादन प्रभावित हो रहा था। यह अनुमति घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को स्थिर बनाए रखने में मदद करेगी। सप्लाई चेन की अनिश्चितता को कम करेगी। इसे भारत सरकार के कूटनीतिक हस्तक्षेप का परिणाम माना जा रहा है।
   
हालांकि, यह राहत कुछ सख्त शर्तों के साथ आई है। शर्त इस बात को दर्शाती है कि चीन इन महत्वपूर्ण खनिजों को भू-राजनीतिक दबाव बनाने के लिए एक रणनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। यह घटना भारत की चीन पर अत्यधिक निर्भरता को भी उजागर करती है। इसलिए, जहां यह निर्णय भारतीय उद्योगों को तत्कालिक बढ़ावा देता है। वहीं, भारत सरकार की भी आंखें खोलता है। इस सेक्टर में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सरकार घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) लाने पर विचार कर रही है ताकि भविष्य में ऐसी भू-राजनीतिक निर्भरता से बचा जा सके।
  
जिन चार भारतीय कंपनियों को चीनी निर्यातकों से रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सप्लाई के लिए स्थानीय अधिकारियों से मंजूरी मिली है, उनके नाम हैं - हिताची, कॉन्टिनेंटल, जय-उशिन और डीई डायमंड्स। चीन ने इन चुंबकों को अमेरिका को दोबारा निर्यात न करने की गारंटी मांगी थी।
चीन ने यह भी आश्वासन मांगा था कि इन चुंबकों का इस्तेमाल सिर्फ स्थानीय जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा। भारतीय कंपनियों ने पहले ही एंड यूजर सर्टिफिकेट्स (ईयूसी) जमा कर दिए थे। सर्टिफिकेट्स में यह बताया गया था कि इन कंपोनेंट्स का इस्तेमाल हथियारों के निर्माण के लिए नहीं होगा। हालांकि, इनमें से 50 से ज्यादा एप्लिकेशन चीन के वाणिज्य मंत्रालय से मंजूरी के लिए लंबित थीं।
भारत की क्यों अटकी हुई थी सांस?
इस मामले से जुड़े एक सीनियर इंडस्ट्री एग्जीक्यूटिव ने ईटी को बताया, 'सप्लाई में कुछ नरमी आई है। चार कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट आयात करने की मंजूरी मिल गई है।' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को इस बात की पुष्टि की थी कि भारतीय कंपनियों को चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट आयात करने के लाइसेंस मिल गए हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, 'हमें यह देखना होगा कि अमेरिका और चीन की बातचीत हमारे क्षेत्र को कैसे प्रभावित करेगी।'
भारत में ईवी निर्माता इन शक्तिशाली चुंबकों के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं। ये चुंबक रिन्यूएबल एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और एयरोस्पेस और रक्षा जैसे अन्य उच्च-तकनीकी उद्योगों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
चीन के पास 90% कंट्रोल
चीन इन चुंबकों के वैश्विक उत्पादन का 90% कंट्रोल करता है। 4 अप्रैल को चीन ने 'राष्ट्रीय सुरक्षा' के उद्देश्य से मीडियम और हैवी रेयर अर्थ संबंधित वस्तुओं पर निर्यात नियंत्रण की घोषणा की थी। यह कदम राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से बीजिंग पर टैरिफ लगाने की प्रतिक्रिया में उठाया गया था। अप्रैल की अधिसूचना में निर्यातकों को ऐसे सामान भेजने के लिए खरीदार से ईयूसी प्राप्त करने के बाद चीन के वाणिज्य विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया गया था। ईयूसी में खरीदारों को यह गारंटी देनी होती है कि इन वस्तुओं का इस्तेमाल सामूहिक विनाश के हथियारों और उनकी वितरण प्रणालियों के भंडारण, निर्माण, उत्पादन या संस्करण के लिए नहीं किया जाएगा।
हालांकि, चीन ने पिछले कुछ महीनों में यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया की कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सप्लाई फिर से शुरू कर दी थी। लेकिन, भारत को सप्लाई करने वाले विक्रेताओं को निर्यात लाइसेंस जारी नहीं किए गए थे। भारत ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 306 करोड़ रुपये के 870 टन रेयर अर्थ मैग्नेट का आयात किया था। इससे पहले ट्रंप ने घोषणा की थी कि उन्होंने और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने महत्वपूर्ण दुर्लभ पृथ्वी सामग्री की सप्लाई के लिए एक साल के सौदे पर सहमति व्यक्त की है।
भारत के लिए क्या हैं मायने?चीन की ओर से छह महीने की रोक के बाद चार भारतीय कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट्स आयात करने की अनुमति देना भारत के ईवी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण और तत्काल राहत है। ये मैग्नेट्स ईवी मोटरों, स्मार्टफोन और अन्य हाई-टेक उपकरणों के लिए जरूरी हैं। रोक के कारण भारतीय कंपनियों को गंभीर सप्लाई चेन बाधाओं का सामना करना पड़ रहा था। इससे उत्पादन प्रभावित हो रहा था। यह अनुमति घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को स्थिर बनाए रखने में मदद करेगी। सप्लाई चेन की अनिश्चितता को कम करेगी। इसे भारत सरकार के कूटनीतिक हस्तक्षेप का परिणाम माना जा रहा है।
हालांकि, यह राहत कुछ सख्त शर्तों के साथ आई है। शर्त इस बात को दर्शाती है कि चीन इन महत्वपूर्ण खनिजों को भू-राजनीतिक दबाव बनाने के लिए एक रणनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। यह घटना भारत की चीन पर अत्यधिक निर्भरता को भी उजागर करती है। इसलिए, जहां यह निर्णय भारतीय उद्योगों को तत्कालिक बढ़ावा देता है। वहीं, भारत सरकार की भी आंखें खोलता है। इस सेक्टर में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सरकार घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) लाने पर विचार कर रही है ताकि भविष्य में ऐसी भू-राजनीतिक निर्भरता से बचा जा सके।
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