अहमदाबाद: गुजरात के अहमदाबाद में एक दर्जी को महिला को समय पर ब्लाउज न देना भारी पड़ गया। कोर्ट ने दर्ज की भारी जुर्माना लगाया है। दरअसल मामला साल2024 का है, जब नवरंगपुरा क्षेत्र में रहने वाली एक महिला को अपने एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होना था। महिला ने सीजी रोड स्थित एक दर्जी की दुकान पर ब्लाउज सिलवाने का ऑर्डर दिया था। महिला ने ब्लाउज की सिलाई के लिए 4,395 एडवांस में ही दर्जी को दे दिए थे। दर्जी ने वादा किया था कि वह ब्लाउज शादी से पहले तैयार कर देगा ताकि महिला उसे समय पर पहन सके। शादी की तारीख 24 दिसंबर 2024 तय थी।
समय पर देना का किया था वादा
महिला 14 दिसंबर को ब्लाउज लेने के लिए दर्जी की दुकान पर पहुंची, लेकिन जो ब्लाउज तैयार किया गया था, वह उसकी बताई गई माप और डिजाइन के अनुरूप नहीं था। जब महिला ने इस पर आपत्ति जताई, तो दर्जी ने उसे भरोसा दिलाया कि वह ब्लाउज को ठीक करवा कर शादी से पहले दे देगा। मगर समय बीतता गया। शादी का दिन भी निकल गया, लेकिन ब्लाउज महिला तक नहीं पहुंचा। आखिरकार, महिला ने दर्जी को कानूनी नोटिस भेजा और उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई।
आयोग के सामने पेश नहीं हुआ दर्जी
सुनवाई के दौरान दर्जी आयोग में पेश ही नहीं हुआ, जिसके चलते मामला एकतरफा रूप से सुना गया। आयोग ने अपने फैसले में कहा कि दर्जी द्वारा समय पर सेवा न देना और ऑर्डर पूरा न करना स्पष्ट सेवा में कमी के अंतर्गत आता है। आयोग ने अपने आदेश में कहा कि यह साबित होता है कि शिकायतकर्ता ने एडवांस भुगतान करने के बावजूद सेवा नहीं पाई। शादी समारोह के लिए ऑर्डर दिया गया ब्लाउज समय पर नहीं सिला गया। इससे शिकायतकर्ता को मानसिक उत्पीड़न झेलना पड़ा। आयोग ने दर्जी को आदेश दिया कि वह 4,395 रुपये की राशि 7% वार्षिक ब्याज के साथ वापस करे। इसके अलावा उसे मानसिक पीड़ा और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में अतिरिक्त 2,500 का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया गया।
समय पर देना का किया था वादा
महिला 14 दिसंबर को ब्लाउज लेने के लिए दर्जी की दुकान पर पहुंची, लेकिन जो ब्लाउज तैयार किया गया था, वह उसकी बताई गई माप और डिजाइन के अनुरूप नहीं था। जब महिला ने इस पर आपत्ति जताई, तो दर्जी ने उसे भरोसा दिलाया कि वह ब्लाउज को ठीक करवा कर शादी से पहले दे देगा। मगर समय बीतता गया। शादी का दिन भी निकल गया, लेकिन ब्लाउज महिला तक नहीं पहुंचा। आखिरकार, महिला ने दर्जी को कानूनी नोटिस भेजा और उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई।
आयोग के सामने पेश नहीं हुआ दर्जी
सुनवाई के दौरान दर्जी आयोग में पेश ही नहीं हुआ, जिसके चलते मामला एकतरफा रूप से सुना गया। आयोग ने अपने फैसले में कहा कि दर्जी द्वारा समय पर सेवा न देना और ऑर्डर पूरा न करना स्पष्ट सेवा में कमी के अंतर्गत आता है। आयोग ने अपने आदेश में कहा कि यह साबित होता है कि शिकायतकर्ता ने एडवांस भुगतान करने के बावजूद सेवा नहीं पाई। शादी समारोह के लिए ऑर्डर दिया गया ब्लाउज समय पर नहीं सिला गया। इससे शिकायतकर्ता को मानसिक उत्पीड़न झेलना पड़ा। आयोग ने दर्जी को आदेश दिया कि वह 4,395 रुपये की राशि 7% वार्षिक ब्याज के साथ वापस करे। इसके अलावा उसे मानसिक पीड़ा और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में अतिरिक्त 2,500 का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया गया।
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