अक्सर महिलाएं पीरियड्स के दौरान अचानक वजन बढ़ने से परेशान हो जाती हैं। यह बढ़ोतरी 0.5 से 2 किलो तक हो, तो इसे सामान्य माना जाता है लेकिन अगर हर महीने 3 किलो या उससे ज्यादा वजन बढ़ता है और जल्दी कम नहीं होता, तो यह शरीर में किसी छिपे हुए हार्मोनल या मेटाबॉलिक असंतुलन का संकेत हो सकता है।
कब होता है बढ़ा हुआ वजन खतरे का संकेत?
अक्सर महिलाएं महसूस करती हैं कि पीरियड्स के कुछ दिन पहले या उस दौरान उनका वजन बढ़ जाता है। यह सामान्य बात है और शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों की वजह से होता है। रीसा आईवीएफ की आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. रीता बक्षी बताती हैं कि अगर हर महीने आपका वजन 2.5-3 किलो या उससे ज्यादा बढ़ता है और यह पीरियड खत्म होने के एक हफ्ते बाद भी कम नहीं होता, तो यह हार्मोनल असंतुलन या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है।
वॉटर रिटेंशन हो सकती है वजह
पीसीओएस, थायरॉयड की गड़बड़ी, इंसुलिन रेजिस्टेंस या ज्यादा नमक, जंक फूड और शुगर का सेवन भी वजन बढ़ने और वॉटर रिटेंशन की वजह बन सकते हैं। ऐसे में इसे नजरअंदाज न करें। यह शरीर का तरीका है यह बताने का कि अंदर कुछ असंतुलन हो रहा है। समय रहते डॉक्टर से सलाह लेना ही सही कदम है। महिलाओं को इस दौरान पर्याप्त पानी पीना, नमक का सेवन सीमित रखना, हल्की एक्सरसाइज करना और नींद पूरी लेनी चाहिए। ये आदतें शरीर को संतुलित रखने में मदद करती हैं।
क्यों बढ़ता है वजन पीरियड्स के दौरान?
पीरियड्स से पहले शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में बदलाव होता है। अपोलो हॉस्पिटल में गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सपना शर्मा कहती हैं कि इन उतार-चढ़ाव के कारण शरीर में वाटर रिटेंशन यानी पानी जमा होना शुरू हो जाता है। यही वजह है कि पेट, ब्रेस्ट या पैरों में सूजन और भारीपन महसूस होता है। वह कहती हैं कि यह वजन फैट नहीं होता, बल्कि पानी की अस्थायी मात्रा होती है।
न करें नजरअंदाज
कब होता है बढ़ा हुआ वजन खतरे का संकेत?
अक्सर महिलाएं महसूस करती हैं कि पीरियड्स के कुछ दिन पहले या उस दौरान उनका वजन बढ़ जाता है। यह सामान्य बात है और शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों की वजह से होता है। रीसा आईवीएफ की आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. रीता बक्षी बताती हैं कि अगर हर महीने आपका वजन 2.5-3 किलो या उससे ज्यादा बढ़ता है और यह पीरियड खत्म होने के एक हफ्ते बाद भी कम नहीं होता, तो यह हार्मोनल असंतुलन या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है।
वॉटर रिटेंशन हो सकती है वजह
पीसीओएस, थायरॉयड की गड़बड़ी, इंसुलिन रेजिस्टेंस या ज्यादा नमक, जंक फूड और शुगर का सेवन भी वजन बढ़ने और वॉटर रिटेंशन की वजह बन सकते हैं। ऐसे में इसे नजरअंदाज न करें। यह शरीर का तरीका है यह बताने का कि अंदर कुछ असंतुलन हो रहा है। समय रहते डॉक्टर से सलाह लेना ही सही कदम है। महिलाओं को इस दौरान पर्याप्त पानी पीना, नमक का सेवन सीमित रखना, हल्की एक्सरसाइज करना और नींद पूरी लेनी चाहिए। ये आदतें शरीर को संतुलित रखने में मदद करती हैं।
क्यों बढ़ता है वजन पीरियड्स के दौरान?
पीरियड्स से पहले शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में बदलाव होता है। अपोलो हॉस्पिटल में गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सपना शर्मा कहती हैं कि इन उतार-चढ़ाव के कारण शरीर में वाटर रिटेंशन यानी पानी जमा होना शुरू हो जाता है। यही वजह है कि पेट, ब्रेस्ट या पैरों में सूजन और भारीपन महसूस होता है। वह कहती हैं कि यह वजन फैट नहीं होता, बल्कि पानी की अस्थायी मात्रा होती है।
न करें नजरअंदाज
- शरीर में पानी रुकने से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
- हार्मोनल डिसबैलेंस बढ़ने से आगे चलकर अनियमित पीरियड्स, मुंहासे या बाल झड़ने का कारण बन सकता है।
- दिल और किडनी पर असर हो सकता है। अगर वाटर रिटेंशन लंबा खिंच जाए, तो ये दोनों अंग ज्यादा काम करने लगते हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। लगातार वजन बढ़ने से आत्मविश्वास और मूड दोनों प्रभावित होते हैं।
- पीरियड्स खत्म होने के 5–7 दिन बाद भी अगर वजन न घटे, तो गाइनीकॉलजिस्ट से जांच करवाएं।
- थायरॉइड और हार्मोन प्रोफाइल टेस्ट करवाना फायदेमंद रहता है।
- नमक, कैफीन और प्रोसेस्ड फूड कम करें।
- रोजाना कम से कम 30 मिनट वॉक या हल्का योग करें।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।
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