इस्लामाबाद: भारत के साथ सैन्य टकराव के बाद अब पाकिस्तान चीन के लेटेस्ट HQ-19 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को लेने के बारे में सोच रहा है। कुआलालांपुर डिफेंस सिक्योरिटी एशिया ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस वायु रक्षा प्रणाली को 40 चीनी J-35A स्टील्थ लड़ाकू विमानों के साथ खरीदने की योजना बनाई जा रही है। पांचवी पीढ़ी के इन फाइटर जेट के 2026 की पहली तिमाही में पाकिस्तान पहुंचने की उम्मीद है। पाकिस्तान यह सिस्टम ऐसे समय में खरीदने पर विचार कर रहा है, जब पाकिस्तानी वायुसेना में चीन के HQ-9 एयर डिफेंस को लेकर असंतोष है। मई में भारत के साथ सैन्य टकराव के दौरान चीनी एयर डिफेंस सिस्टम बुरी तरह नाकाम साबित हुआ था।
चीन का नया HQ-19 मिसाइल डिफेंस
चीन का HQ-19 बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जिसे नवंबर 2024 में लॉन्च किया गया था। इसकी अनुमानित लागत 3000 किलोमीटर है। डिफेंस सिक्योरिटी एयर के अनुसार, लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए तैनात की गई इस प्रणाली को ब्रह्मोस और स्कल्प-ईजी जैसी सुपरसोनिक और निकट-सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के साथ ही भारत की अग्नि सीरीज की बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ भी तैनात किया जा सकता है। भारत के पास पहले से दुनिया का सबसे बेहतरीन मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 है, जिसे रूस से हासिल किया है।
HQ-19 मिसाइल डिफेंस कैसे करता है काम?
चीनी एयर डिफेंस सिस्टम को चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन ने विकसित किया है। यह मिसाइल हमले को रोकने के लिए हिट-टू-किल तरीके का इस्तेमाल करता है। इस सिस्टम को 8x8 व्हील वाले ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर पर लगाया जाता है, जिसमें 6 मिसाइल कॉन्फिगरेशन होते हैं।
इसमें एक कमांड और कंट्रोल सिस्टम और शक्तिशाली रेडार, टाइप 610A शामिल है, जिसकी अनुमानित डिटेक्शन रेंज 4000 किलोमीटर है। HQ-19 को 1990 के दशक के अंत में विकसित करना शुरू किया गया था। इसका पहला परीक्षण 2021 में किया गया। इसे सतह से हवा में मार करने वाली चीनी मिसाइल प्रणाली से HQ-9 से लिया गया है।
पाकिस्तानी एयर डिफेंस की कमजोरी
पाकिस्तान के पास अभी चीन में बनी HQ-9 लंबी दूरी और HQ-16 मध्यम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली है। मई की शुरुआत में पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर किया था। इस दौरान भारतीय मिसाइलों ने पाकिस्तान और पीओके के अंदर सटीक हमले किए, जिसमें चीनी वायु रक्षा प्रणाली की कमजोरी उजागर हो गई। पाकिस्तानी के पास मौजूद चीनी एयर डिफेंस भारतीय मिसाइलों को रोकने में पूरी तरह नाकाम रहा था।
चीन का नया HQ-19 मिसाइल डिफेंस
चीन का HQ-19 बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जिसे नवंबर 2024 में लॉन्च किया गया था। इसकी अनुमानित लागत 3000 किलोमीटर है। डिफेंस सिक्योरिटी एयर के अनुसार, लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए तैनात की गई इस प्रणाली को ब्रह्मोस और स्कल्प-ईजी जैसी सुपरसोनिक और निकट-सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के साथ ही भारत की अग्नि सीरीज की बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ भी तैनात किया जा सकता है। भारत के पास पहले से दुनिया का सबसे बेहतरीन मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 है, जिसे रूस से हासिल किया है।
HQ-19 मिसाइल डिफेंस कैसे करता है काम?
चीनी एयर डिफेंस सिस्टम को चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन ने विकसित किया है। यह मिसाइल हमले को रोकने के लिए हिट-टू-किल तरीके का इस्तेमाल करता है। इस सिस्टम को 8x8 व्हील वाले ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर पर लगाया जाता है, जिसमें 6 मिसाइल कॉन्फिगरेशन होते हैं।
इसमें एक कमांड और कंट्रोल सिस्टम और शक्तिशाली रेडार, टाइप 610A शामिल है, जिसकी अनुमानित डिटेक्शन रेंज 4000 किलोमीटर है। HQ-19 को 1990 के दशक के अंत में विकसित करना शुरू किया गया था। इसका पहला परीक्षण 2021 में किया गया। इसे सतह से हवा में मार करने वाली चीनी मिसाइल प्रणाली से HQ-9 से लिया गया है।
पाकिस्तानी एयर डिफेंस की कमजोरी
पाकिस्तान के पास अभी चीन में बनी HQ-9 लंबी दूरी और HQ-16 मध्यम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली है। मई की शुरुआत में पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर किया था। इस दौरान भारतीय मिसाइलों ने पाकिस्तान और पीओके के अंदर सटीक हमले किए, जिसमें चीनी वायु रक्षा प्रणाली की कमजोरी उजागर हो गई। पाकिस्तानी के पास मौजूद चीनी एयर डिफेंस भारतीय मिसाइलों को रोकने में पूरी तरह नाकाम रहा था।
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