अगर हम आपसे सवाल करें कि शेर कहां रहते हैं? तो जवाब देने से पहले एक बार जरूर हमें हैरानी से देखेंगे। फिर आपका जवाब होगा-जंगल। लेकिन अगर हम कहें कि शेर अब नया घर तलाशने लगे हैं!वो है समुद्र का किनारा। जी हां, यह सच है..गुजरात में गिर के जंगलों में रहने वाले शेरों ने अपना नया ठिकाना ढूंढना शुरू कर दिया है। अब वो समुद्र किनारे बीच पर घूमते दिख रहे हैं।
इस नए बदलाव से वन्यजीव विशेषज्ञ हैरान हैं। लेकिन समुद्र तट पर रहने वाले एशियाई शेरों की संख्या बढ़ती जा रही है। 2015 में जहां इनकी संख्या महज 10 थी, वो अब बढ़कर 134 तक पहुंच चुकी है। 2020 की तुलना में ही 34 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। अब विशेषज्ञों का मानना है कि बीच पर शेरों के घूमने की संख्या में बढ़ोतरी होने वाली है।
पहली बार समुद्र किनारे कब दिखे थे शेर यूं तो शेरों का प्राकृतिक आवास जंगल ही है। लेकिन गुजरात में पहली बार समुद्र किनारे 1995 में शेर देखे गए। यह घटना हैरान करने वाली थी। 2020 की जनसंख्या में तथ्य सामने आया कि समुद्र किनारे रहने वाले शेरों की संख्या 100 तक पहुंच चुकी है। 2025 की जनसंख्या में इसमें 34 शेर और बढ़ गए। शेर विशेषज्ञ और वाइल्डलाइफ नेशनल बोर्ड के सदस्य एच एस सिंह के मुताबिक शेरों को एक क्षेत्र में रहना पसंद करते हैं और खाने के लिए शिकार पर ही निर्भर होते हैं।
समुद्र किनारे मिल रहे नए शिकार एच.एस. सिंह के मुताबिक गुजरात के तटों पर उनके पास शिकार करने के लिए पर्याप्त विकल्प हैं। इसके अलावा यहां का तापमान भी उनके अनुकूल है। समुद्र से आनी वाली हवाओं के चलते वो गर्मी से परेशान नहीं हो रहे हैं। गुजरात के 300 किलोमीटर समुद्र तटों पर शेरों की संख्या आने वाले समय में बढ़ेगी क्योंकि गिर की तुलना में यहां उनके लिए माहौल ज्यादा अनुकूल है। इसके अलावा यहां प्रोसोपिस जूलिफ्लोरा (गांडो बवाल) नाम की घास होती है, जो शेरों के लिए बढ़िया आवास साबित हो रही है। यहां नीलगाय और जंगली सुअर काफी हैं, इसलिए शिकार की भी कोई कमी नहीं है।
गुजरात में समुद्र तट पर कहां कितने शेर गिर की तुलना में ज्यादा जगह
हाल ही में हुए एक अध्ययन के मुताबिक गिर में जहां शेरों के घरों की औसत रेंज 33.8 वर्ग किलोमीटर है, वहीं समुद्र किनारे रहने वाले शेर औसतन 171.8 वर्ग किलोमीटर में रह रहे हैं। मोहन राम, अराध्या साहू, श्यामल टिकादर, हर्षल जयवंत, लहर झाला, यशपाल जाला और मीणा वेंकटरमन ने मिलकर इस रिसर्च को लिखा है। रिसर्च के दौरान 10 शेरों के आवास पर अध्ययन किया गया तो पता चला कि ये 44.3 से 325.8 वर्ग किलोमीटर में रह रहे हैं। जबकि गिर में यह रेंज 8.4 वर्ग किलोमीटर से 67.8 वर्ग किलोमीटर ही है।
इस नए बदलाव से वन्यजीव विशेषज्ञ हैरान हैं। लेकिन समुद्र तट पर रहने वाले एशियाई शेरों की संख्या बढ़ती जा रही है। 2015 में जहां इनकी संख्या महज 10 थी, वो अब बढ़कर 134 तक पहुंच चुकी है। 2020 की तुलना में ही 34 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। अब विशेषज्ञों का मानना है कि बीच पर शेरों के घूमने की संख्या में बढ़ोतरी होने वाली है।
पहली बार समुद्र किनारे कब दिखे थे शेर यूं तो शेरों का प्राकृतिक आवास जंगल ही है। लेकिन गुजरात में पहली बार समुद्र किनारे 1995 में शेर देखे गए। यह घटना हैरान करने वाली थी। 2020 की जनसंख्या में तथ्य सामने आया कि समुद्र किनारे रहने वाले शेरों की संख्या 100 तक पहुंच चुकी है। 2025 की जनसंख्या में इसमें 34 शेर और बढ़ गए। शेर विशेषज्ञ और वाइल्डलाइफ नेशनल बोर्ड के सदस्य एच एस सिंह के मुताबिक शेरों को एक क्षेत्र में रहना पसंद करते हैं और खाने के लिए शिकार पर ही निर्भर होते हैं।
समुद्र किनारे मिल रहे नए शिकार एच.एस. सिंह के मुताबिक गुजरात के तटों पर उनके पास शिकार करने के लिए पर्याप्त विकल्प हैं। इसके अलावा यहां का तापमान भी उनके अनुकूल है। समुद्र से आनी वाली हवाओं के चलते वो गर्मी से परेशान नहीं हो रहे हैं। गुजरात के 300 किलोमीटर समुद्र तटों पर शेरों की संख्या आने वाले समय में बढ़ेगी क्योंकि गिर की तुलना में यहां उनके लिए माहौल ज्यादा अनुकूल है। इसके अलावा यहां प्रोसोपिस जूलिफ्लोरा (गांडो बवाल) नाम की घास होती है, जो शेरों के लिए बढ़िया आवास साबित हो रही है। यहां नीलगाय और जंगली सुअर काफी हैं, इसलिए शिकार की भी कोई कमी नहीं है।
गुजरात में समुद्र तट पर कहां कितने शेर गिर की तुलना में ज्यादा जगह
हाल ही में हुए एक अध्ययन के मुताबिक गिर में जहां शेरों के घरों की औसत रेंज 33.8 वर्ग किलोमीटर है, वहीं समुद्र किनारे रहने वाले शेर औसतन 171.8 वर्ग किलोमीटर में रह रहे हैं। मोहन राम, अराध्या साहू, श्यामल टिकादर, हर्षल जयवंत, लहर झाला, यशपाल जाला और मीणा वेंकटरमन ने मिलकर इस रिसर्च को लिखा है। रिसर्च के दौरान 10 शेरों के आवास पर अध्ययन किया गया तो पता चला कि ये 44.3 से 325.8 वर्ग किलोमीटर में रह रहे हैं। जबकि गिर में यह रेंज 8.4 वर्ग किलोमीटर से 67.8 वर्ग किलोमीटर ही है।
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