पटना: लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के सांसद राजेश वर्मा ने भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के उपाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) से गंगा नदी ड्रेजिंग परियोजना में अनुचित ठेका आवंटन की जांच की मांग की है। राजेश वर्मा ने आरोप लगाया कि मुंबई स्थित कंपनी नॉलेज मरीन एंड इंजीनियरिंग वर्क्स लिमिटेड को गंगा ड्रेजिंग से जुड़े कई टेंडरों में अनुचित रूप से प्राथमिकता दी गई। विशेष रूप से दीघा खंड में कंपनी को अनुबंध मिलने के बावजूद, वह समय पर आवश्यक ड्रेजर तैनात नहीं कर पाई। वर्मा का कहना है कि जहां अन्य ठेकेदारों को देरी के लिए दंडित किया गया, वहीं इस कंपनी को उपाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह के हस्तक्षेप के चलते किसी भी प्रकार की कार्रवाई से बचा लिया गया। अनुबंध शर्तों का उल्लंघन और असमान भुगतानसांसद राजेश वर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी को एक अन्य खंड के लिए भुगतान किया गया, जबकि उसने साइट पर आवश्यक उपकरण ही नहीं तैनात किए थे। उन्होंने दावा किया कि नॉलेज मरीन के पास केवल 33% ड्रेजिंग अनुबंध थे, फिर भी IWAI द्वारा कुल भुगतानों का 60% से अधिक हिस्सा उसी कंपनी को गया — जो स्पष्ट रूप से वित्तीय पक्षपात की ओर संकेत करता है। निगरानी प्रक्रिया पर भी उठाए सवालराजेश वर्मा ने यह भी कहा कि सिंह ने जानबूझकर कंपनी के लिए 'सुविधाजनक' अधिकारियों की नियुक्ति की, जिससे पूरी निगरानी प्रणाली की पारदर्शिता और जवाबदेही पर प्रश्नचिन्ह लग गया। उन्होंने आरोप लगाया कि ठेकेदार द्वारा लगातार नियमों का उल्लंघन करने के बावजूद, उसे कोई दंड नहीं दिया गया, जिससे न केवल सरकारी धन का नुकसान हुआ, बल्कि गंगा पुनर्जनन परियोजना के लक्ष्यों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। सरकारी प्रतिक्रिया का इंतजारअब तक, न तो सुनील कुमार सिंह और न ही नॉलेज मरीन एंड इंजीनियरिंग वर्क्स लिमिटेड ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया दी है। बता दें कि गंगा ड्रेजिंग परियोजना केंद्र सरकार की उस प्रमुख पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश में अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देना और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना है।
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गंगा ड्रेजिंग प्रोजेक्ट में अनियमितताओं का आरोप, LJPR सांसद राजेश वर्मा ने की PMO से जांच की मांग
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