नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी की एक जरूरी बैठक गुजरात के अहमदाबाद में होने जा रही है। इस बैठक में AICC के सदस्य शामिल होंगे। पार्टी नेता मानते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनावों में कुछ हद तक बेहतर प्रदर्शन के बाद लगातार मिली नाकामियों से पार्टी का मनोबल गिरा है। इस बैठक में पार्टी को फिर से मजबूत करने और नई दिशा देने की कोशिश होगी। संगठन को मजबूत करने की योजनायह बैठक कांग्रेस को संगठन के स्तर पर नई जान डालने पर केंद्रित होगी। खास तौर पर जिला कांग्रेस कमेटियों (DCC) को सक्रिय करने की योजना होगी, ताकि आने वाले चुनावों के लिए पार्टी तैयार हो सके। सवाल यह है कि क्या नेतृत्व सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करेगा या वास्तव में कोई ठोस कदम उठाएगा? देखना होगा कि कांग्रेस अहमदाबाद बैठक में कुछ नई रणनीति तैयार करेगी या फिर उदयपुर चिंतन शिविर की घोषणा की तरह इसे भी ठंडे बस्ते में डाल देंगे। इन मुद्दों पर होगी चर्चाबैठक से एक दिन पहले अहमदाबाद में कांग्रेस वर्किंग कमेटी मिलेगी और एक प्रस्ताव तैयार करेगी। इसमें राजनीति, संगठन, अर्थव्यवस्था, सामाजिक और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को शामिल किया जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ नियमों से भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। कांग्रेस इस मुद्दे को उठाएगी और किसानों व अन्य क्षेत्रों पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता जताएगी। मोदी सरकार पर हमलाइस बैठक में मोदी सरकार और बीजेपी-आरएसएस की नीतियों की आलोचना होगी। चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी, वोटर लिस्ट तैयार करने और ईवीएम की सटीकता पर सवाल उठाए जाएंगे। पार्टी कार्यकर्ताओं से जमीनी स्तर पर निगरानी और विरोध की तैयारी करने को कहा जाएगा। इसके अलावा पार्टी आम लोगों से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा करेगी। जनसंख्या आधारित परिसीमन, UGC के नए नियम, किसानों के लिए MSP, युवाओं में बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर कांग्रेस लोगों के विरोध का समर्थन करेगी। इसके साथ अर्थव्यवस्था की खराब हालत पर भी विस्तार से बात होगी। राहुल गांधी पर रहेगा फोकसयह बैठक पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में होगा, लेकिन विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर केंद्रित रहेगा। राहुल के पसंदीदा मुद्दे जैसे OBC-SC-ST और युवाओं के हित, जातिगत जनगणना, और 50% से अधिक आरक्षण की मांग पर सत्र में आधिकारिक मुहर लगेगी। वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा वक्फ बिल पर संसद में बहस और वोटिंग से दूर रहीं। अब सवाल है कि क्या वे विदेश से लौटकर इस सत्र में हिस्सा लेंगी और अपनी भूमिका निभाएंगी। इंडिया गठबंधन पर क्या होगा कांग्रेस का रुख?इंडिया गठबंधन अब लगभग निष्क्रिय हो चुका है। ऐसे में सत्र में यह संकेत मिलेगा कि क्या कांग्रेस गठबंधन को बचाने की कोशिश करेगी या अपने संगठन को मजबूत करने पर ध्यान देगी। कुछ नेताओं का मानना है कि इंडिया गठबंधन की उपयोगिता खत्म हो चुकी है और अब यह सिर्फ संसद में कभी-कभार साथ विरोध तक सीमित है। पार्टी शायद राज्य स्तर पर ही गठबंधन की संभावनाएं तलाशे। इस बैठक से कांग्रेस को नई उम्मीदें हैं, लेकिन असली चुनौती होगी कि क्या यह सिर्फ बातों तक सीमित रहेगा या जमीनी बदलाव लाएगा।
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