नई दिल्ली : 18 May 1998 को अमेरिका के जाने-माने अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में एक खबर छपी कि भारत ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण कर लिया है। भारतीय वैज्ञानिकों ने यह बताया है कि उन्होंने पिछले हफ्ते पांच भूमिगत टेस्ट किए हैं, जिनमें एक हाइड्रोजन बम का भी था। हालांकि, पूरी दुनिया में भारत के इस H-बम टेस्ट किए जाने को लेकर सवाल भी उठे थे। मगर, खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और वैज्ञानिकों ने कहा था कि अब हमने बड़ा बम बनाने की क्षमता हासिल कर ली है। अब जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुलासा किया है कि पाकिस्तान फिर परमाणु बम बना रहा है तो ऐसे मे एक्सपर्ट का कहना है कि भारत को अब हाइड्रोजन बम बना लेना चाहिए। जब पूरी दुनिया एटम बम की बात कर रही हो तो ये हाइड्रोजन बम भला क्या चीज है? क्या पाकिस्तान के पास हाइड्रोजन बम है? भारत-पाकिस्तान में किसके पास परमाणु हथियार कितना हैं और कौन कितना भारी है? ये भी जानेंगे कि हाइड्रोजन बम कितना ताकतवर होता है? ट्यूजडे ट्रीविया में पूरी बात समझते हैं।
CIA ने 10 साल पहले ही कर दिया था खुलासा
अमेरिका की केंद्रीय जांच एजेंसी (CIA) ने 2014 में एक सीक्रेट फाइल उजागर की थी। उसमें 19 मई, 1989 के एक इंटरव्यू के बारे में जिक्र किया गया है, जिसमें CIA के डायरेक्टर विलियम एच वेबस्टर ने कहा था कि ऐसे संकेत हैं कि भारत हाइड्रोजन बम बना रहा है और उन्होंने परमाणु बम विस्फोट किए जाने की चेतावनी भी दी थी। उनकी बात सही साबित हुई और भारत ने दस साल बाद ही परमाणु टेस्ट कर लिया।
हाइड्रोजन बम के मामले में पिछड़ गया पाकिस्तान
हाइड्रोजन बम सीधे शब्दों में कहें तो परमाणु हथियार तकनीक का चरम है। भारतीय वैज्ञानिकों ने मई, 1998 में पांच परमाणु परीक्षण किए थे। इसमें हाइड्रोजन बम के विस्फोट को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) के वैज्ञानिकों ने अपनी सर्वोच्च उपलब्धि माना था। इन टेस्ट के बाद गर्व से भरे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था-अब हमारे पास एक बड़ा बम बनाने की क्षमता है। उपमहाद्वीप में इसके बाद हुए विस्फोटकों के खेल में भारत का हाइड्रोजन बम उसे पाकिस्तान से कहीं आगे लेकर चला गया।
कितना पॉवरफुल था यह परमाणु परीक्षण
भारतीय वैज्ञानिकों ने उस वक्त दावा किया था कि उनके पांच परमाणु परीक्षणों की कुल क्षमता 58 किलोटन थी। एक किलोटन विस्फोटक ऊर्जा 1,000 टन टीएनटी के बराबर होती है। वहीं, अकेले हाइड्रोजन बम की क्षमता 45 टन थी। 1 नवंबर, 1952 को अमेरिका ने दुनिया का पहला हाइड्रोजन बम टेस्ट किया था। उस वक्त 5 किलोमीटर चौड़ा एक विशाल, चकाचौंध कर देने वाला सफेद आग के गोले ने आसमान को ढक लिया था।
हाइड्रोजन बम और परमाणु बम के बीच अंतर
हाइड्रोजन बम नाभिकीय संलयन अभिक्रिया की वजह से होता है। इसमें बड़ी मात्रा में एनर्जी निकलने की वजह से बड़ा विस्फोट होता है। वहीं, परमाणु बम विस्फोट के पीछे नाभिकीय विखंडन होता है। हाइड्रोजन बम परमाणु बम से ज्यादा विनाशकारी होता है।
कितना ताकतवर होता है हाइड्रोजन बम
armscontrolcenter.org के अनुसार, एक हाइड्रोजन बम करीब 1,000 परमाणु बम जितना शक्तिशाली होता है। अगर, एक परमाणु बम नागासाकी जैसे छोटे शहर को ध्वस्त कर सकता है, तो एक शक्तिशाली हाइड्रोजन बम मिनटों में पूरे न्यूयॉर्क महानगर को नष्ट कर सकता है, जिसमें लाखों लोग मारे जा सकते हैं। सैन्य हलकों में इस बम को सिटी बस्टर के नाम से जाना जाता था। भारतीय परीक्षण से पहले अमेरिका के अलावा केवल चार अन्य देशों पूर्व सोवियत संघ, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन ने हाइड्रोजन बम विस्फोट किए थे।
भारत के पास ऐसी मिसाइलें, जिससे तबाह होगा पाक
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास अग्नि-5 (5000-8000 किमी रेंज) जैसी मारक मिसाइलें हैं, जो पूरे पाकिस्तान को निशाना बना सकती हैं। वहीं, पृथ्वी-2 (350 किमी) और अग्नि-1 (700 किमी) छोटी दूरी के टार्गेट पर निशाना बनाने के लिए हैं। इन मिसाइलों की जद में पाकिस्तान के लाहौर, रावलपिंडी या इस्लामाबाद जैसे शहर जद में आते हैं।
भारत के पास ट्रायड सिस्टम, पाक के पास नहीं
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के पास INS अरिहंत और INS अरिघात जैसे युद्धपोत हैं, जो समुद्र से K-4 मिसाइलें (3500 किमी) दाग सकती हैं। इसके अलावा, मिराज 2000H और राफेल जैसे विमान भी परमाणु बम ले जा सकते हैं। भारत ‘नो फर्स्ट यूज’ की नीति पर काम करता है। इसका मतलब यह है कि वह पहले हमला नहीं करेगा, लेकिन अगर कोई और हमला करे, तो भारत जवाब में भारी तबाही मचा सकता है। भारत का ट्रायड सिस्टम (जमीन, समुद्र, हवा) उसे बहुत ताकत देता है।
कितने ताकतवर हैं पाकिस्तान के परमाणु बम
पाकिस्तान भी परमाणु शक्ति वाला देश है और उसने अपनी ताकत को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 2024 की SIPRI रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के पास 170 परमाणु बम हैं, जो भारत से सिर्फ 2 कम हैं। इन बमों की ताकत ज्यादातर 3-50 किलोटन के बीच है। पाकिस्तान के पास हाइड्रोजन बम होने का कोई ठोस सबूत नहीं है और उसके ज्यादातर बम नाभिकीय संलयन पर आधारित हैं, जो भारत के बमों से कम ताकतवर हैं। 1998 में पाकिस्तान ने 6 परमाणु टेस्ट किए थे, जिनमें सबसे ताकतवर बम 25-40 किलोटन का था। यानी पाकिस्तान के बम भारत के बमों की तुलना में कम नुकसान कर पाएंगे।
पाकिस्तान जंग हारने पर कर सकता है इस्तेमाल
पाकिस्तान को अगर जंग के दौरान लगा कि वह युद्ध में हार रहा है, तो वह पहले परमाणु बम का इस्तेमाल कर सकता है। यह रणनीति भारत के लिए खतरा हो सकती है, लेकिन भारत के S-400 जैसे मिसाइल डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान के हमलों को नाकाम कर सकता है।
CIA ने 10 साल पहले ही कर दिया था खुलासा
अमेरिका की केंद्रीय जांच एजेंसी (CIA) ने 2014 में एक सीक्रेट फाइल उजागर की थी। उसमें 19 मई, 1989 के एक इंटरव्यू के बारे में जिक्र किया गया है, जिसमें CIA के डायरेक्टर विलियम एच वेबस्टर ने कहा था कि ऐसे संकेत हैं कि भारत हाइड्रोजन बम बना रहा है और उन्होंने परमाणु बम विस्फोट किए जाने की चेतावनी भी दी थी। उनकी बात सही साबित हुई और भारत ने दस साल बाद ही परमाणु टेस्ट कर लिया।
हाइड्रोजन बम के मामले में पिछड़ गया पाकिस्तान
हाइड्रोजन बम सीधे शब्दों में कहें तो परमाणु हथियार तकनीक का चरम है। भारतीय वैज्ञानिकों ने मई, 1998 में पांच परमाणु परीक्षण किए थे। इसमें हाइड्रोजन बम के विस्फोट को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) के वैज्ञानिकों ने अपनी सर्वोच्च उपलब्धि माना था। इन टेस्ट के बाद गर्व से भरे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था-अब हमारे पास एक बड़ा बम बनाने की क्षमता है। उपमहाद्वीप में इसके बाद हुए विस्फोटकों के खेल में भारत का हाइड्रोजन बम उसे पाकिस्तान से कहीं आगे लेकर चला गया।
1998 :: PM Atal Bihari Vajpayee With Scientist Abdul Kalam at Pokhran Nuclear Site pic.twitter.com/WxXBqiY6n6
— indianhistorypics (@IndiaHistorypic) October 15, 2022
कितना पॉवरफुल था यह परमाणु परीक्षण
भारतीय वैज्ञानिकों ने उस वक्त दावा किया था कि उनके पांच परमाणु परीक्षणों की कुल क्षमता 58 किलोटन थी। एक किलोटन विस्फोटक ऊर्जा 1,000 टन टीएनटी के बराबर होती है। वहीं, अकेले हाइड्रोजन बम की क्षमता 45 टन थी। 1 नवंबर, 1952 को अमेरिका ने दुनिया का पहला हाइड्रोजन बम टेस्ट किया था। उस वक्त 5 किलोमीटर चौड़ा एक विशाल, चकाचौंध कर देने वाला सफेद आग के गोले ने आसमान को ढक लिया था।
हाइड्रोजन बम और परमाणु बम के बीच अंतर
हाइड्रोजन बम नाभिकीय संलयन अभिक्रिया की वजह से होता है। इसमें बड़ी मात्रा में एनर्जी निकलने की वजह से बड़ा विस्फोट होता है। वहीं, परमाणु बम विस्फोट के पीछे नाभिकीय विखंडन होता है। हाइड्रोजन बम परमाणु बम से ज्यादा विनाशकारी होता है।
कितना ताकतवर होता है हाइड्रोजन बम
armscontrolcenter.org के अनुसार, एक हाइड्रोजन बम करीब 1,000 परमाणु बम जितना शक्तिशाली होता है। अगर, एक परमाणु बम नागासाकी जैसे छोटे शहर को ध्वस्त कर सकता है, तो एक शक्तिशाली हाइड्रोजन बम मिनटों में पूरे न्यूयॉर्क महानगर को नष्ट कर सकता है, जिसमें लाखों लोग मारे जा सकते हैं। सैन्य हलकों में इस बम को सिटी बस्टर के नाम से जाना जाता था। भारतीय परीक्षण से पहले अमेरिका के अलावा केवल चार अन्य देशों पूर्व सोवियत संघ, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन ने हाइड्रोजन बम विस्फोट किए थे।
भारत के पास ऐसी मिसाइलें, जिससे तबाह होगा पाक
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास अग्नि-5 (5000-8000 किमी रेंज) जैसी मारक मिसाइलें हैं, जो पूरे पाकिस्तान को निशाना बना सकती हैं। वहीं, पृथ्वी-2 (350 किमी) और अग्नि-1 (700 किमी) छोटी दूरी के टार्गेट पर निशाना बनाने के लिए हैं। इन मिसाइलों की जद में पाकिस्तान के लाहौर, रावलपिंडी या इस्लामाबाद जैसे शहर जद में आते हैं।
भारत के पास ट्रायड सिस्टम, पाक के पास नहीं
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के पास INS अरिहंत और INS अरिघात जैसे युद्धपोत हैं, जो समुद्र से K-4 मिसाइलें (3500 किमी) दाग सकती हैं। इसके अलावा, मिराज 2000H और राफेल जैसे विमान भी परमाणु बम ले जा सकते हैं। भारत ‘नो फर्स्ट यूज’ की नीति पर काम करता है। इसका मतलब यह है कि वह पहले हमला नहीं करेगा, लेकिन अगर कोई और हमला करे, तो भारत जवाब में भारी तबाही मचा सकता है। भारत का ट्रायड सिस्टम (जमीन, समुद्र, हवा) उसे बहुत ताकत देता है।
कितने ताकतवर हैं पाकिस्तान के परमाणु बम
पाकिस्तान भी परमाणु शक्ति वाला देश है और उसने अपनी ताकत को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 2024 की SIPRI रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के पास 170 परमाणु बम हैं, जो भारत से सिर्फ 2 कम हैं। इन बमों की ताकत ज्यादातर 3-50 किलोटन के बीच है। पाकिस्तान के पास हाइड्रोजन बम होने का कोई ठोस सबूत नहीं है और उसके ज्यादातर बम नाभिकीय संलयन पर आधारित हैं, जो भारत के बमों से कम ताकतवर हैं। 1998 में पाकिस्तान ने 6 परमाणु टेस्ट किए थे, जिनमें सबसे ताकतवर बम 25-40 किलोटन का था। यानी पाकिस्तान के बम भारत के बमों की तुलना में कम नुकसान कर पाएंगे।
पाकिस्तान जंग हारने पर कर सकता है इस्तेमाल
पाकिस्तान को अगर जंग के दौरान लगा कि वह युद्ध में हार रहा है, तो वह पहले परमाणु बम का इस्तेमाल कर सकता है। यह रणनीति भारत के लिए खतरा हो सकती है, लेकिन भारत के S-400 जैसे मिसाइल डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान के हमलों को नाकाम कर सकता है।
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