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OBC युवक के सुसाइड ने बढ़ाई महाराष्ट्र सरकार की टेंशन, छगन भुजबल भी नाराज, क्या भड़केगी आरक्षण की आग?

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मुंबई: महाराष्ट्र में मनोज जरांगे पाटिल की अगुवाई में हुए मराठा आंदोलन को शांत करने के लिए फडणवीस सरकार ने हैदराबाद गैजेट को लेकर एक जीआर (शासनादेश) जारी किया था। छगन भुजबल पहले ही जीआर की भाषा OBC को नामंजूर होने की बात कह चुके हैं। इस सब प्रकरण के बीच महाराष्ट्र के लातूर में ओबीसी समुदाय के युवक और सामाजिक कार्यकर्ता की आत्महत्या ने सरकार की टेंशन बढ़ा दी है। फडणवीस सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने कहा है कि आरक्षण बचाने के लिए कुर्बानी देनी पड़ रही है। मराठा आरक्षण के लिए जारी जीआर के बाद ओबीसी समाज इसका विरोध कर रहा है। सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या आरक्षण की आग फिर से तो नहीं भड़केगी?





सरकार ने पर भेदभाव का आरोप


लातूर के युवक भरत कराड द्वारा मांजरा नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या करने के बाद माहौल और गरमा गया है। पुलिस ने इस हादसे को लेकर एक सुसाइड नोट भी बरामद किया है, जिसमें कराड ने महायुति सरकार पर भेदभाव करने के साथ ओबीसी समाज को धोखा देने का आरोप लगाया है। जिस शख्स ने आत्महत्या की है, वह ऑटो रिक्शा चलाता था और ओबीसी से जुड़े आन्दोलन में भाग लेता था। मंत्री भुजबल का आरोप है कि इस जीआर की वजह से ओबीसी आरक्षण को नुकसान पहुंचेगा, हालांकि महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस कह रहे हैं नए सरकारी आदेश का ओबीसी समुदाय पर कोई असर नहीं पड़ेगा और इससे केवल कुनबी जाति के पात्र मराठों को ही मदद मिलेगी।





आरक्षण छीनने नहीं देंगे: भुजबल


भुजबल ने बाद में बेहद आक्रामक अंदाज में कहा कि हमलोग किसी भी कीमत पर ओबीसी का आरक्षण छीनने नहीं देंगे। भुजबल ने कहा कि सरकार द्वारा जारी समाज के लोगों से आत्महत्या जैसा कदम न उठाने की जीआर से ओबीसी समाज के लोगों में बेचैनी है, ओबीसी नेता छगन भुजबल शुक्रवार को कराड के परिवार से मिलने के लिए लातूर पहुंचे। उनके साथ पूर्व मंत्री व ओबीसी नेता धनंजय मुंडे भी मौजूद थे। भुजबल का कहना है कि राज्य में मराठा समाज का वर्चस्व रहा है। उनके पास सत्ता में ताकत के अलावा चीनी मिलें और सहकारी क्षेत्र में दबदबा है। ऐसे में पूरे समाज को ओबीसी वर्ग में शामिल करने की मांग न्यायसंगत नहीं है। भुजबल का कहना है कि मराठा समुदाय में विद्वान लोगों को इस मुद्दे पर बोलना चाहिए।





भुजबल ने रख दिए आंकड़े


भुजबल का कहना है कि मराठा समुदाय को 25,000 करोड़ रुपये (विभिन्न राज्य सरकार की योजनाओं के तहत) मिलते हैं जबकि ओबीसी समुदाय को 5,000 करोड़ रुपये मिलते हैं। इसमें न्याय कहां है? मराठा समुदाय के लिए लगभग हर दूसरे दिन (सरकारी योजनाओं की) नई घोषणाएं होती हैं। एनसीपी के कोटे से मंत्री ने कहा कि मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल ने आतंक का माहौल बनाया और राज्य सरकार को आदेश जारी करने के लिए धमकाया। उन्होंने कहा कि जब राज्य ने उन्हें (मराठों को) दो लाख कुनबी जाति प्रमाण पत्र दिए थे, तब हम चुप थे।
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