मुंबई: भारत की तीव्र औद्योगिक वृद्धि और बढ़ती जनसंख्या के साथ, कचरा प्रबंधन एक विकराल चुनौती बन गया है। इसी पृष्ठभूमि में रीसाइक्लिंग उद्योग एक महत्वपूर्ण और गतिशील क्षेत्र के रूप में उभरा है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद करता है, बल्कि ये सर्कुलर इकोनॉमी (चक्रीय अर्थव्यवस्था) को बढ़ावा देने का भी एक मजबूत स्तंभ है। इसके उभार में केंद्र और राज्य सरकारें मदद करती हैं।
रीसाइक्लिंग क्रांति की ओर भारतयह उद्योग पुराने सामानों जैसे प्लास्टिक, कागज, धातु और ई-कचरे को नया जीवन प्रदान करता है। असंगठित (Informal) क्षेत्र इस उद्योग की रीढ़ है, जिसमें कबाड़ीवाला नेटवर्क और छोटे प्रसंस्करण इकाइयां शामिल हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में संगठित (Formal) क्षेत्र में भी सरकारी नीतियों और निजी निवेश के कारण आधुनिकीकरण और विस्तार देखा गया है। रीसाइक्लिंग से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होता है और लैंडफिल पर बोझ कम होता है, जिससे ये देश की सतत विकास की यात्रा के लिए एक अनिवार्य घटक बन जाता है।
सर्कुलर इकोनॉमी के लिए गुड न्यूजसर्कुलर इकोनॉमी को नई गति देने के उद्देश्य से मीडिया फ्यूजन और क्रेन कम्युनिकेशंस की ओर से 'भारत रीसाइक्लिंग शो 2025' और इसके साथ आयोजित 'प्लास्टिक्स रीसाइक्लिंग शो इंडिया' देश के सबसे बड़े रीसाइक्लिंग केंद्रित प्लेटफॉर्म के रूप में उभरे हैं। 13-15 नवंबर 2025 तक मुंबई में होने वाले इस प्रमुख कार्यक्रम में 150 प्रदर्शकों और 10 से अधिक देशों के लगभग 8,000 आगंतुकों के शामिल होने की उम्मीद है। धातु, ई-कचरा, बैटरी, टायर, पुराने वाहन, कागज और निर्माण अपशिष्ट सहित अन्य वस्तुओं के रीसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी देखने को को मिलेगी।
कुछ शहरों में हो रहा बेहतरीन कामताहिर पत्रावाला की माने तो भारत का अपशिष्ट प्रबंधन बाजार 2030 तक 18.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, लेकिन वर्तमान में केवल 30% रीसाइकिल योग्य कचरे पर ही काम हो रहा है। सुधार की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। गुरशीश साहनी के मुताबिक कच्चे माल पर टैक्स दर एक बड़ी बाधा का काम करती है। क्षेत्रीय शहरी एवं पर्यावरण अध्ययन केंद्र (आरसीयूईएस) एआईआईएलएसजी के निदेशक अजीत साल्वी ने अपशिष्ट प्रबंधन में शहरी स्थानीय निकायों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए इंदौर और सूरत जैसे शहरों में प्रभावी अपशिष्ट पृथक्करण (segregation) को सर्कुलर इकोनॉमी की आधारशिला बताया। जैसे-जैसे भारत एक व्यापक चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, ये शो नीति निर्माताओं, नवप्रवर्तकों और उद्योग जगत के नेताओं को एकजुट करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेंगे।
रीसाइक्लिंग क्रांति की ओर भारतयह उद्योग पुराने सामानों जैसे प्लास्टिक, कागज, धातु और ई-कचरे को नया जीवन प्रदान करता है। असंगठित (Informal) क्षेत्र इस उद्योग की रीढ़ है, जिसमें कबाड़ीवाला नेटवर्क और छोटे प्रसंस्करण इकाइयां शामिल हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में संगठित (Formal) क्षेत्र में भी सरकारी नीतियों और निजी निवेश के कारण आधुनिकीकरण और विस्तार देखा गया है। रीसाइक्लिंग से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होता है और लैंडफिल पर बोझ कम होता है, जिससे ये देश की सतत विकास की यात्रा के लिए एक अनिवार्य घटक बन जाता है।
सर्कुलर इकोनॉमी के लिए गुड न्यूजसर्कुलर इकोनॉमी को नई गति देने के उद्देश्य से मीडिया फ्यूजन और क्रेन कम्युनिकेशंस की ओर से 'भारत रीसाइक्लिंग शो 2025' और इसके साथ आयोजित 'प्लास्टिक्स रीसाइक्लिंग शो इंडिया' देश के सबसे बड़े रीसाइक्लिंग केंद्रित प्लेटफॉर्म के रूप में उभरे हैं। 13-15 नवंबर 2025 तक मुंबई में होने वाले इस प्रमुख कार्यक्रम में 150 प्रदर्शकों और 10 से अधिक देशों के लगभग 8,000 आगंतुकों के शामिल होने की उम्मीद है। धातु, ई-कचरा, बैटरी, टायर, पुराने वाहन, कागज और निर्माण अपशिष्ट सहित अन्य वस्तुओं के रीसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी देखने को को मिलेगी।
कुछ शहरों में हो रहा बेहतरीन कामताहिर पत्रावाला की माने तो भारत का अपशिष्ट प्रबंधन बाजार 2030 तक 18.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, लेकिन वर्तमान में केवल 30% रीसाइकिल योग्य कचरे पर ही काम हो रहा है। सुधार की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। गुरशीश साहनी के मुताबिक कच्चे माल पर टैक्स दर एक बड़ी बाधा का काम करती है। क्षेत्रीय शहरी एवं पर्यावरण अध्ययन केंद्र (आरसीयूईएस) एआईआईएलएसजी के निदेशक अजीत साल्वी ने अपशिष्ट प्रबंधन में शहरी स्थानीय निकायों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए इंदौर और सूरत जैसे शहरों में प्रभावी अपशिष्ट पृथक्करण (segregation) को सर्कुलर इकोनॉमी की आधारशिला बताया। जैसे-जैसे भारत एक व्यापक चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, ये शो नीति निर्माताओं, नवप्रवर्तकों और उद्योग जगत के नेताओं को एकजुट करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेंगे।
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