कुशीनगर: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से आई एक्सिडेंट की खबर ने हर किसी को हैरान कर दिया है। हादसे में एक स्कॉर्पियो ने बाइक पर सवार तीन लोगों को टक्कर मारी। इसमें दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए। वहीं, एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई। मरने वाला शख्स सुखदेव यादव उर्फ पहलवान था। सुखदेव यादव नीतीश कटारा हत्याकांड में सह आरोपी था। इस मामले में कोर्ट ने उसे 20 साल की सजा सुनाई थी। मुख्य आरोपी विकास यादव को 25 साल की सजा सुनाई गई। नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी सुखदेव को पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी। जेल से रिहा होने के बाद वह अपने घर कुशीनगर लौटा था। अब उसकी मौत का मामला सामने आया है।
क्या है पूरा मामला?कुशीनगर जिले के फाजिलनगर कस्बे के बघौचघाट मोड़ पर रोड एक्सिडेंट का मामला सामने आया। मंगलवार रात 10 बजे हादसा हुआ था। तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने बाइक में टक्कर मारी। बाइक पर तीन लोग सवार थे। इसमें दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। वहीं, सुखदेव यादव की मौके पर ही मौत हो गई। गंभीर रूप से घायलों को पुलिस ने अस्पताल में भर्ती कराया है। वहां उनका इलाज चल रहा है।
नीतीश कटारा कांड में दोषीगाजियाबाद में 16 और 17 फरवरी 2002 की रात को नीतीश कटारा की एक विवाह समारोह से अपहरण करने और उसके बाद उसकी हत्या करने का मामला सामने आया। इसमें डीपी यादव के बेटे विकास और विशाल यादव के साथ सुखदेव यादव को दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने मामले में आरोपियों को सजा सुनाई थी। विकास और विशाल यादव अपनी बहन भारती यादव और नीतीश के कथित संबंध से नाराज थे।
मामले में 3 अक्टूबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कटारा के अपहरण और हत्या में भूमिका के लिए विकास यादव और उसके रिश्ते के भाई विशाल यादव को बिना किसी छूट के 25 साल की जेल की सजा सुनाई थी। मामले में सह-दोषी सुखदेव यादव को 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
जेल में रहने पर विवाददरअसल, सुखदेव यादव ने 20 साल की सजा 9 मार्च 2025 को पूरी कर ली थी। कोर्ट ने यह देखते हुए सुखदेव को तीन माह की फरलो दी थी। इसके पीछे की वजह बिना किसी छूट के 20 साल की कैद काट ली थी। दरअसल, सुखदेव ने दिल्ली हाई कोर्ट से नवंबर 2024 में तीन सप्ताह के फरलो की मांग की थी। हाई कोर्ट ने फरलो पर उसे रिहा करने की याचिका खारिज कर दी। इस आदेश को चुनौती दी गई।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान 29 जुलाई को सुखदेव को रिहा करने का आदेश दिया गया। इसके बाद सजा समीक्षा बोर्ड ने आचरण का हवाला देते हुए रिहाई पर रोक लगा दी। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा कि एक की ओर से पारित आदेश को एसआरबी कैसे नजरअंदाज कर सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 20 साल की सजा पूरी करने के बाद बंदी को रिहा किया जाना चाहिए था। दिल्ली सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे ने दलील दी कि 20 साल की सजा के बाद दोषी की अपने आप रिहाई नहीं हो सकती। आजीवन कारावास का अर्थ है, शेष प्राकृतिक जीवन तक जेल में रहना।
सुप्रीम कोर्ट ने दलील पर आश्चर्य जताया था। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी सुखदेव यादव उर्फ पहलवान की सजा पूरी होने के बाद रिहाई का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि सुखदेव यादव ने मार्च 2024 में 20 साल की सजा पूरी कर ली थी, इसलिए उन्हें उसी समय रिहा कर देना चाहिए था।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई थी कि कई कैदी अपनी सजा पूरी करने के बाद भी जेल में बंद हैं। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि सजा पूरी कर चुके और किसी अन्य मामले में दोषी नहीं कैदियों को को तुरंत रिहा किया जाए। इसके लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिव को पत्र भेजने का आदेश दिया गया। लंबी कानूनी प्रक्रिया से बाहर आए सुखदेव यादव की आखिरकार सड़क हादसे में मौत हो गई।
क्या है पूरा मामला?कुशीनगर जिले के फाजिलनगर कस्बे के बघौचघाट मोड़ पर रोड एक्सिडेंट का मामला सामने आया। मंगलवार रात 10 बजे हादसा हुआ था। तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने बाइक में टक्कर मारी। बाइक पर तीन लोग सवार थे। इसमें दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। वहीं, सुखदेव यादव की मौके पर ही मौत हो गई। गंभीर रूप से घायलों को पुलिस ने अस्पताल में भर्ती कराया है। वहां उनका इलाज चल रहा है।
नीतीश कटारा कांड में दोषीगाजियाबाद में 16 और 17 फरवरी 2002 की रात को नीतीश कटारा की एक विवाह समारोह से अपहरण करने और उसके बाद उसकी हत्या करने का मामला सामने आया। इसमें डीपी यादव के बेटे विकास और विशाल यादव के साथ सुखदेव यादव को दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने मामले में आरोपियों को सजा सुनाई थी। विकास और विशाल यादव अपनी बहन भारती यादव और नीतीश के कथित संबंध से नाराज थे।
मामले में 3 अक्टूबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कटारा के अपहरण और हत्या में भूमिका के लिए विकास यादव और उसके रिश्ते के भाई विशाल यादव को बिना किसी छूट के 25 साल की जेल की सजा सुनाई थी। मामले में सह-दोषी सुखदेव यादव को 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
जेल में रहने पर विवाददरअसल, सुखदेव यादव ने 20 साल की सजा 9 मार्च 2025 को पूरी कर ली थी। कोर्ट ने यह देखते हुए सुखदेव को तीन माह की फरलो दी थी। इसके पीछे की वजह बिना किसी छूट के 20 साल की कैद काट ली थी। दरअसल, सुखदेव ने दिल्ली हाई कोर्ट से नवंबर 2024 में तीन सप्ताह के फरलो की मांग की थी। हाई कोर्ट ने फरलो पर उसे रिहा करने की याचिका खारिज कर दी। इस आदेश को चुनौती दी गई।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान 29 जुलाई को सुखदेव को रिहा करने का आदेश दिया गया। इसके बाद सजा समीक्षा बोर्ड ने आचरण का हवाला देते हुए रिहाई पर रोक लगा दी। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा कि एक की ओर से पारित आदेश को एसआरबी कैसे नजरअंदाज कर सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 20 साल की सजा पूरी करने के बाद बंदी को रिहा किया जाना चाहिए था। दिल्ली सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे ने दलील दी कि 20 साल की सजा के बाद दोषी की अपने आप रिहाई नहीं हो सकती। आजीवन कारावास का अर्थ है, शेष प्राकृतिक जीवन तक जेल में रहना।
सुप्रीम कोर्ट ने दलील पर आश्चर्य जताया था। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी सुखदेव यादव उर्फ पहलवान की सजा पूरी होने के बाद रिहाई का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि सुखदेव यादव ने मार्च 2024 में 20 साल की सजा पूरी कर ली थी, इसलिए उन्हें उसी समय रिहा कर देना चाहिए था।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई थी कि कई कैदी अपनी सजा पूरी करने के बाद भी जेल में बंद हैं। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि सजा पूरी कर चुके और किसी अन्य मामले में दोषी नहीं कैदियों को को तुरंत रिहा किया जाए। इसके लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिव को पत्र भेजने का आदेश दिया गया। लंबी कानूनी प्रक्रिया से बाहर आए सुखदेव यादव की आखिरकार सड़क हादसे में मौत हो गई।
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