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भारत और तालिबान के 'वाटर बम' को यूं मात देने जा रहा पाकिस्तान, असीम मुनीर और शहबाज शरीफ ने बनाया प्लान, जानें

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इस्लामाबाद: पाकिस्तान को इस समय दोहरे वॉटर बम के हमले का खौफ सता रहा है। इसी साल अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौता स्थगित कर दिया था, जिसका रोना पाकिस्तान आए दिन रोता रहता है। इस बीच अफगानिस्तान पर शासन करने वाले तालिबान ने भी पाकिस्तान का पानी रोकने की योजना है। अंगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान प्यासा मर जाएगा। यही वजह है कि भारत और तालिबान के पानी को हथियार बनाने के डर से पाकिस्तान ने जल सुरक्षा की तैयारी शुरू कर दी है।

भारत की योजना से घबराया पाकिस्तान
पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट आज न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की योजना अफगानिस्तान के अंदर जलमार्गों का निर्माण को समर्थन देने की है, जिससे पाकिस्तान में पानी का प्रवाह सीमित या बाधित हो सकता है। पाकिस्तानी विश्लेषकों ने अफगान तालिबान और भारत के बीच बढ़ती दोस्ती को पाकिस्तान के लिए खतरा बताया है।


इंडिया टुडे की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की मदद से तालिबान कुनार नदी पर बांध बनाने की योजना बना रहा है। इसमें नघलू, दारुंता, शहतूत, शाह वोरस, गमबेरी और बाघदेरा जैसी परियोजनाएं शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल करके पाकिस्तान की जल आपूर्ति रोकी जा सकती है। भारत ने तालिबान को 1 अरब डॉलर तक की वित्तीय सहायता की पेशकश की है, जिसमें कई बांधों का निर्माण शामिल है।


पाकिस्तान को सता रहा बड़ा डर
पाकिस्तान में इस तरह की परियोजनाओं को जल सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे के रूप में देखा जा रहा है। इसका सीधा असर काबुल नदी बेसिन में प्रवाह पर पड़ेगा, जो पाकिस्तान को हर साल लगभग 16.5 मिलियन एकड़ फीट पानी की आपूर्ति करती है। यह पेशावर, चारसद्दा और नौशेरा समेत खैबर पख्तूनख्वा जिलों में खेती के लिए जीवनरेखा है। पाकिस्तानी अधिकारियों का मानना है कि भारत अफगानिस्तान के अंदर निर्माण के माध्यम से पाकिस्तान के पश्चिमी जल मार्गों को प्रभावित करने का प्रयास कर रहा है।

पाकिस्तान की जवाबी तैयारी
इसके जवाब में पाकिस्तान ने एक व्यापक रक्षात्मक रणनीति की तैयारी शुरू कर दी है। इस योजना का केंद्र चित्राल नदी परियोजना है। इसमें चित्राल नदी के पानी को अफगानिस्तान में प्रवेश करने से पहले स्वात बेसिन की ओर मोड़ने का प्रस्ताव है। पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि चित्राल परियोजना न केवल पानी पर नियंत्रण के उपायों को कमजोर करेगी, बल्कि 2453 मेगावट तक ऊर्जा भी उपलब्ध कराएगी। यह भी कहा जा रहा है कि इस योजना से हजारों एकड़ जमीन पर खेती हो सकेगी और बाढ़ का खतरा कम होगा।
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