इस्लामाबाद: पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने बुधवार को 27वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कर किया। इस संशोधन के बाद पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर को बेहिसाब ताकत मिल गई है। इसके साथ ही न्यायपालिका का पुनर्गठन हुआ है। निचले सत्र में भारी हंगामे के बीच हुए मतदान में 234 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में वोट डाला जबकि केवल 4 ने इसके खिलाफ मतदान किया। इस सत्र में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, पीएमएल-एन अध्यक्ष नवाज शरीफ और पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी समेत शीर्ष राजनीतिक नेताओं ने हिस्सा लिया।
यह संशोधन ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान में राजनीतिक तनाव चरम पर है। आलोचकों का कहना है कि यह विधेयक देश में संवैधानिक रूप से सेना प्रमुख को प्रधानमंत्री से ऊपर कर देगा और वह असल में शासन करेंगे। इसके पहले विधेयक को उच्च सदन सीनेट से पारित किया जा चुका है। सीनेट में इसके पक्ष में 64 वोट पड़े और कोई विरोध नहीं हुआ, क्योंकि विपक्षी दलों ने कार्यवाही का बहिष्कार किया था।
मुनीर होंगे तीनों सेनाओं के बॉस
इस संशोधन के बाद सेना प्रमुख असीम मुनीर पर अब रक्षा बलों के प्रमुख (CDF) के नए पद पर पदोन्नत होंगे, जिससे वह संवैधानिक रूप से तीनों शाखा सेना, नौसेना और वायुसेना के संयुक्त प्रमुख बन जाएंगे। इससे उन्हें कोई अभियान चलाने के लिए तीनों सेनाओं के प्रमुखों से सलाह की जरूरत नहीं होगी। फील्ड मार्शल, एयर फोर्स मार्शल और एडमिरल ऑफ द फ्लीट जैसे मानद पांच सितारा पद आजीवन बने रहेंगे। उनके पास देश के परमाणु कमांड का भी कंट्रोल होगा।
मुनीर पर नहीं चलेगा कोई मुकदमा
इस संविधान संशोधन का सबसे अहम पहलू फील्ड मार्शल को कानूनी प्रतिरक्षा देना है, जिसका मतलब है कि असीम मुनीर के खिलाफ पद पर हटने के बाद भी आजीवन कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकेगा। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री के पास भी फील्ड मार्शल की उपाधि वापस लेने का अधिकार नहीं होगा। आलोचक इसे देश में सिविल-मिलिट्री रूल की संवैधानिक शुरुआत बता रहे हैं।
न्यायिक पुनर्गठन
सेना प्रमुख को बेहिसाब ताकत देने वाला यह संशोधन देश के सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को सीमित करता है। यह संवैधानिक और प्रांतीय मामलों को निपटाने के लिए एक संघीय संवैधानिक न्यायालय (FCC) की स्थापना का प्रावधान है, जिससे सर्वोच्च न्यायालय दीवानी और आपराधिक मामलों तक रह गया है। FCC में सभी प्रांतों का समान प्रतिनिधित्व होगा और संवैधानिक याचिकाओं पर स्वतः संज्ञान लेने का अधिकार होगा।
संविधान संशोधन का भारी विरोध
पीएमएल-एन, पीपीपी और सहयोगियों समेत सत्तारूढ़ गठबंधन ने संशोधन का समर्थन किया है। वहीं, विपक्षी सांसदों ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। पीटीआई अध्यक्ष गौहर अली खान ने इसे बाकू संसूधोन कहा और सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया। PKMAP के महमूद खान अचकजई ने विधेयक का विरोध करते हुए सदन में इसकी प्रति फाड़ दी। संशोधन पर कानून बनने से पहले अंतिम मंजूरी के लिए सीनेट में वापस जाएगा।
यह संशोधन ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान में राजनीतिक तनाव चरम पर है। आलोचकों का कहना है कि यह विधेयक देश में संवैधानिक रूप से सेना प्रमुख को प्रधानमंत्री से ऊपर कर देगा और वह असल में शासन करेंगे। इसके पहले विधेयक को उच्च सदन सीनेट से पारित किया जा चुका है। सीनेट में इसके पक्ष में 64 वोट पड़े और कोई विरोध नहीं हुआ, क्योंकि विपक्षी दलों ने कार्यवाही का बहिष्कार किया था।
मुनीर होंगे तीनों सेनाओं के बॉस
इस संशोधन के बाद सेना प्रमुख असीम मुनीर पर अब रक्षा बलों के प्रमुख (CDF) के नए पद पर पदोन्नत होंगे, जिससे वह संवैधानिक रूप से तीनों शाखा सेना, नौसेना और वायुसेना के संयुक्त प्रमुख बन जाएंगे। इससे उन्हें कोई अभियान चलाने के लिए तीनों सेनाओं के प्रमुखों से सलाह की जरूरत नहीं होगी। फील्ड मार्शल, एयर फोर्स मार्शल और एडमिरल ऑफ द फ्लीट जैसे मानद पांच सितारा पद आजीवन बने रहेंगे। उनके पास देश के परमाणु कमांड का भी कंट्रोल होगा।
मुनीर पर नहीं चलेगा कोई मुकदमा
इस संविधान संशोधन का सबसे अहम पहलू फील्ड मार्शल को कानूनी प्रतिरक्षा देना है, जिसका मतलब है कि असीम मुनीर के खिलाफ पद पर हटने के बाद भी आजीवन कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकेगा। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री के पास भी फील्ड मार्शल की उपाधि वापस लेने का अधिकार नहीं होगा। आलोचक इसे देश में सिविल-मिलिट्री रूल की संवैधानिक शुरुआत बता रहे हैं।
न्यायिक पुनर्गठन
सेना प्रमुख को बेहिसाब ताकत देने वाला यह संशोधन देश के सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को सीमित करता है। यह संवैधानिक और प्रांतीय मामलों को निपटाने के लिए एक संघीय संवैधानिक न्यायालय (FCC) की स्थापना का प्रावधान है, जिससे सर्वोच्च न्यायालय दीवानी और आपराधिक मामलों तक रह गया है। FCC में सभी प्रांतों का समान प्रतिनिधित्व होगा और संवैधानिक याचिकाओं पर स्वतः संज्ञान लेने का अधिकार होगा।
संविधान संशोधन का भारी विरोध
पीएमएल-एन, पीपीपी और सहयोगियों समेत सत्तारूढ़ गठबंधन ने संशोधन का समर्थन किया है। वहीं, विपक्षी सांसदों ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। पीटीआई अध्यक्ष गौहर अली खान ने इसे बाकू संसूधोन कहा और सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया। PKMAP के महमूद खान अचकजई ने विधेयक का विरोध करते हुए सदन में इसकी प्रति फाड़ दी। संशोधन पर कानून बनने से पहले अंतिम मंजूरी के लिए सीनेट में वापस जाएगा।
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