इस्लामाबाद: पाकिस्तान में 27वें संविधान संशोधन की खूब चर्चा हो रही है। इस संशोधन को शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार शुक्रवार को संसद में पेश करने वाली है। आशंका जताई जा रही है कि अगर यह संशोधन पारित होता है तो संवैधानिक रूप से पाकिस्तानी सेना देश की मालिक हो जाएगी और नागरिक नेतृत्व रबर स्टम्प के अलावा कुछ नहीं रहेगा। हालांकि, ऐसे हालात तो आज भी पाकिस्तान में हैं, लेकिन यह कानूनी नहीं है और सेना को भी न चाहते हुए भी कई मामलों में नागरिक सरकार से अनुमति प्राप्त करनी होती है। ऐसे में इस संविधान संशोधन से सेना को अपार शक्ति मिलने की आशंका है।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ शुक्रवार को पाकिस्तान सीनेट में 27वां संविधान संशोधन पेश करेंगे। इसका मसौदा अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन वरिष्ठ मंत्रियों ने संकेत दिया है कि यह संशोधन सशस्त्र बलों, सशस्त्र बलों में नियुक्तियों और राज्य-केंद्र संबंधों से संबंधित है। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि सेना को नियंत्रित करने वाले अनुच्छेद 243 में संशोधन किया जा रहा है क्योंकि "रक्षा आवश्यकताएं बदल गई हैं।"
पाकिस्तानी संविधान का अनुच्छेद 243 क्या है
अनुच्छेद 243 में कहा गया है कि "संघीय सरकार का सशस्त्र बलों पर नियंत्रण और कमान होगी।" इसमें आगे कहा गया है कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर, ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष और पाकिस्तानी सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुखों की नियुक्ति करने का अधिकार रखते हैं।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख को मिलेंगी वास्तविक शक्तियां
सूत्रों ने सीएनएन-न्यूज18 को बताया है कि यह विधेयक अनुच्छेद 243 में निहित निर्णय लेने और नियुक्ति संबंधी शक्तियों को फील्ड मार्शल के पास केंद्रित करेगा। हालांकि सेना प्रमुख लगभग हमेशा पर्दे के पीछे से फैसले लेते रहे हैं, यह संशोधन सेना प्रमुख को खुले तौर पर ऐसा करने का संवैधानिक अधिकार देगा।
फील्ड मार्शल के कार्यकाल का निर्धारण भी होगा
सूत्रों ने यह भी कहा कि यह विधेयक फील्ड मार्शल के पद को पांच साल के कार्यकाल के साथ औपचारिक रूप देगा, जिससे यह प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के समकक्ष हो जाएगा - जिससे नागरिक सरकार के अधीन सेना के कामकाज की संवैधानिक कल्पना प्रभावी रूप से समाप्त हो जाएगी।
पाकिस्तान के शहंशाह बनेंगे असीम मुनीर
सीएनएन-न्यूज18 की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि 27वां संशोधन पाकिस्तान में नागरिक-सैन्य संकर को संस्थागत रूप देगा और उसे शासन में एक औपचारिक भूमिका प्रदान करेगा। सूत्रों के अनुसार, विधेयक में प्रस्तावित मुख्य सुरक्षा संबंधी संशोधन ये हैं:
1- प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के कार्यकाल के समान, पांच वर्ष के कार्यकाल के साथ 'पाकिस्तान के फील्ड मार्शल' का पद स्थापित करना।
2- फील्ड मार्शल या कमांडर-इन-चीफ (सी-इन-सी) को सेना, वायु सेना, नौसेना और आईएसआई जासूसी एजेंसी के प्रमुखों की नियुक्ति का अधिकार देना।
3- फील्ड मार्शल को कानूनी या राजनीतिक चुनौतियों से छूट प्रदान करना।
4- सेवा प्रमुखों का कार्यकाल पांच वर्ष निर्धारित करना।
5- सेना के कमान ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए पाकिस्तान सेना अधिनियम, 1952 में संशोधन करना - संभवतः ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष का पद हटाकर फील्ड मार्शल के अधीन उप सेना प्रमुख का एक नया पद सृजित करना।
संविधान संशोधन का उद्देश्य क्या है
सूत्रों ने कहा कि इन बदलावों का उद्देश्य राष्ट्रीय नीति में सेना की भूमिका को औपचारिक रूप से मान्यता देकर "पाकिस्तान के दीर्घकालिक शासन ढांचे को स्थिर" करना है। यह एक ऐसी व्यवस्था जो 2022 से ही पर्दे के पीछे व्यवहार में लागू हो रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ शुक्रवार को पाकिस्तान सीनेट में 27वां संविधान संशोधन पेश करेंगे। इसका मसौदा अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन वरिष्ठ मंत्रियों ने संकेत दिया है कि यह संशोधन सशस्त्र बलों, सशस्त्र बलों में नियुक्तियों और राज्य-केंद्र संबंधों से संबंधित है। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि सेना को नियंत्रित करने वाले अनुच्छेद 243 में संशोधन किया जा रहा है क्योंकि "रक्षा आवश्यकताएं बदल गई हैं।"
पाकिस्तानी संविधान का अनुच्छेद 243 क्या है
अनुच्छेद 243 में कहा गया है कि "संघीय सरकार का सशस्त्र बलों पर नियंत्रण और कमान होगी।" इसमें आगे कहा गया है कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर, ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष और पाकिस्तानी सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुखों की नियुक्ति करने का अधिकार रखते हैं।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख को मिलेंगी वास्तविक शक्तियां
सूत्रों ने सीएनएन-न्यूज18 को बताया है कि यह विधेयक अनुच्छेद 243 में निहित निर्णय लेने और नियुक्ति संबंधी शक्तियों को फील्ड मार्शल के पास केंद्रित करेगा। हालांकि सेना प्रमुख लगभग हमेशा पर्दे के पीछे से फैसले लेते रहे हैं, यह संशोधन सेना प्रमुख को खुले तौर पर ऐसा करने का संवैधानिक अधिकार देगा।
फील्ड मार्शल के कार्यकाल का निर्धारण भी होगा
सूत्रों ने यह भी कहा कि यह विधेयक फील्ड मार्शल के पद को पांच साल के कार्यकाल के साथ औपचारिक रूप देगा, जिससे यह प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के समकक्ष हो जाएगा - जिससे नागरिक सरकार के अधीन सेना के कामकाज की संवैधानिक कल्पना प्रभावी रूप से समाप्त हो जाएगी।
पाकिस्तान के शहंशाह बनेंगे असीम मुनीर
सीएनएन-न्यूज18 की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि 27वां संशोधन पाकिस्तान में नागरिक-सैन्य संकर को संस्थागत रूप देगा और उसे शासन में एक औपचारिक भूमिका प्रदान करेगा। सूत्रों के अनुसार, विधेयक में प्रस्तावित मुख्य सुरक्षा संबंधी संशोधन ये हैं:
1- प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के कार्यकाल के समान, पांच वर्ष के कार्यकाल के साथ 'पाकिस्तान के फील्ड मार्शल' का पद स्थापित करना।
2- फील्ड मार्शल या कमांडर-इन-चीफ (सी-इन-सी) को सेना, वायु सेना, नौसेना और आईएसआई जासूसी एजेंसी के प्रमुखों की नियुक्ति का अधिकार देना।
3- फील्ड मार्शल को कानूनी या राजनीतिक चुनौतियों से छूट प्रदान करना।
4- सेवा प्रमुखों का कार्यकाल पांच वर्ष निर्धारित करना।
5- सेना के कमान ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए पाकिस्तान सेना अधिनियम, 1952 में संशोधन करना - संभवतः ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष का पद हटाकर फील्ड मार्शल के अधीन उप सेना प्रमुख का एक नया पद सृजित करना।
संविधान संशोधन का उद्देश्य क्या है
सूत्रों ने कहा कि इन बदलावों का उद्देश्य राष्ट्रीय नीति में सेना की भूमिका को औपचारिक रूप से मान्यता देकर "पाकिस्तान के दीर्घकालिक शासन ढांचे को स्थिर" करना है। यह एक ऐसी व्यवस्था जो 2022 से ही पर्दे के पीछे व्यवहार में लागू हो रही है।
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