रियाद: खाड़ी का सबसे प्रभावशाली सुन्नी मुस्लिम सऊदी अरब पहला अरब देश बन सकता है जो अमेरिका से पांचवीं पीढ़ी का एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट खरीद सकता है। सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अमेरिका के दौरे पर जा रहे हैं और डोनाल्ड ट्रंप से इसको लेकर बातचीत होनी है। सऊदी प्रिंस ने ट्रंप से एफ-35 जेट मांगा है जिसका इस्तेमाल इजरायली वायुसेना ने ईरान में तबाही मचाने के लिए किया था। ईरान के साथ लड़ाई में इजरायली वायुसेना पूरी तरह से भारी पड़ी थी और उसने जहां चाहा वहां हमले को अंजाम दिया था। ईरानी रडार बुरी तरह से फेल हुए थे। इसके बाद से अब अरब देशों में इसको लेकर मांग तेज हो गई है। तुर्की पहले से ही प्रयास कर रहा है कि एफ-35 उसे मिल जाए, वहीं कतर को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है।
मिडिल ईस्ट में अभी केवल इजरायल ही वह देश है जिसके पास यह दुनिया का सबसे आधुनिक फाइटर जेट है। ट्रंप प्रशासन सऊदी को एफ-35 बेचने पर गंभीरता के साथ विचार कर रहा है। इस डील को अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने मंजूरी दे दी है। प्रिंस सलमान 18 नवंबर को अमेरिका की यात्रा पर पहुंच रहे हैं। इससे पहले मई 2025 में ट्रंप प्रशासन ने सऊदी के साथ 142 अरब डॉलर के हथियार डील को मंजूरी दी थी। इस पैकेज में एयर और मिसाइल डिफेंस, एयर फोर्स और स्पेस तकनीक, समुद्री सुरक्षा और संचार तकनीक शामिल था। इसमें एफ-35 को शामिल नहीं किया गया था।
सऊदी वायुसेना के पास यूरोफाइटर भी
सूत्रों के मुताबिक सऊदी अरब 48 एफ-35 फाइटर जेट लेने की योजना बना रहा है। वहीं बाइडन के समय अमेरिका ने सऊदी अरब के सामने शर्त रखी थी कि अगर वह इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य करेगा तभी उसे यह बेहद खतरनाक फाइटर जेट दिया जाएगा। इससे पहले साल 2023 में सऊदी अरब इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य करने के लिए अमेरिका के साथ डील करने के बेहद करीब पहुंच गया था। माना जाता है कि इसे रोकने के लिए ही हमास ने 7 अक्टूबर का खूनी हमला कर दिया था। इसके बाद इजरायल ने गाजा में जमकर तबाही मचाई जिसमें हजारों फलस्तीनी मारे गए।
अब्राहम अकॉर्ड के कर्ताधर्ता ट्रंप से भी यही उम्मीद की जा रही है कि वह एफ-35 डील को इजरायल से जोड़कर ही मंजूरी देंगे। सऊदी के पास इस समय खाड़ी में सबसे आधुनिक और विविधता से भरी वायुसेना है। सऊदी सेना के पास एफ-15 और यूरोफाइटर टायफून जैसे आधुनिक विमान हैं। अब सऊदी पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट को शामिल करना चाहता है। एफ-35 न मिलता देख सऊदी अरब तुर्की से कान फाइटर जेट खरीदना चाहता था लेकिन अब अगर ट्रंप की मंजूरी मिल जाती है तो तुर्की के साथ डील खटाई में पड़ सकती है।
सऊदी अरब के निशाने पर कौन
सऊदी अरब तेल से मालामाल देश है और यही उसके लिए खतरा भी है। पड़ोसी यमन के हूती विद्रोही कुछ साल पहले सऊदी अरब की विशाल तेल रिफाइनरी पर हमला कर चुके हैं। हूतियों को ईरान का खुला समर्थन हासिल है जो एक शिया देश है। हूती मिसाइलें और विस्फोटक ड्रोन दोनों ही इजरायल के लिए बड़े संकट का सबब बन चुकी हैं। माना जा रहा है कि हूती और ईरान के खतरे को देखते हुए सऊदी अरब एफ-35 फाइटर जेट खरीदना चाहता है। वहीं इजरायल के कतर पर हमले के बाद सऊदी भी चौकन्ना हो गया है और अमेरिका से यहूदी देश के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता हासिल करना चाहता है।
मिडिल ईस्ट में अभी केवल इजरायल ही वह देश है जिसके पास यह दुनिया का सबसे आधुनिक फाइटर जेट है। ट्रंप प्रशासन सऊदी को एफ-35 बेचने पर गंभीरता के साथ विचार कर रहा है। इस डील को अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने मंजूरी दे दी है। प्रिंस सलमान 18 नवंबर को अमेरिका की यात्रा पर पहुंच रहे हैं। इससे पहले मई 2025 में ट्रंप प्रशासन ने सऊदी के साथ 142 अरब डॉलर के हथियार डील को मंजूरी दी थी। इस पैकेज में एयर और मिसाइल डिफेंस, एयर फोर्स और स्पेस तकनीक, समुद्री सुरक्षा और संचार तकनीक शामिल था। इसमें एफ-35 को शामिल नहीं किया गया था।
सऊदी वायुसेना के पास यूरोफाइटर भी
सूत्रों के मुताबिक सऊदी अरब 48 एफ-35 फाइटर जेट लेने की योजना बना रहा है। वहीं बाइडन के समय अमेरिका ने सऊदी अरब के सामने शर्त रखी थी कि अगर वह इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य करेगा तभी उसे यह बेहद खतरनाक फाइटर जेट दिया जाएगा। इससे पहले साल 2023 में सऊदी अरब इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य करने के लिए अमेरिका के साथ डील करने के बेहद करीब पहुंच गया था। माना जाता है कि इसे रोकने के लिए ही हमास ने 7 अक्टूबर का खूनी हमला कर दिया था। इसके बाद इजरायल ने गाजा में जमकर तबाही मचाई जिसमें हजारों फलस्तीनी मारे गए।
अब्राहम अकॉर्ड के कर्ताधर्ता ट्रंप से भी यही उम्मीद की जा रही है कि वह एफ-35 डील को इजरायल से जोड़कर ही मंजूरी देंगे। सऊदी के पास इस समय खाड़ी में सबसे आधुनिक और विविधता से भरी वायुसेना है। सऊदी सेना के पास एफ-15 और यूरोफाइटर टायफून जैसे आधुनिक विमान हैं। अब सऊदी पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट को शामिल करना चाहता है। एफ-35 न मिलता देख सऊदी अरब तुर्की से कान फाइटर जेट खरीदना चाहता था लेकिन अब अगर ट्रंप की मंजूरी मिल जाती है तो तुर्की के साथ डील खटाई में पड़ सकती है।
सऊदी अरब के निशाने पर कौन
सऊदी अरब तेल से मालामाल देश है और यही उसके लिए खतरा भी है। पड़ोसी यमन के हूती विद्रोही कुछ साल पहले सऊदी अरब की विशाल तेल रिफाइनरी पर हमला कर चुके हैं। हूतियों को ईरान का खुला समर्थन हासिल है जो एक शिया देश है। हूती मिसाइलें और विस्फोटक ड्रोन दोनों ही इजरायल के लिए बड़े संकट का सबब बन चुकी हैं। माना जा रहा है कि हूती और ईरान के खतरे को देखते हुए सऊदी अरब एफ-35 फाइटर जेट खरीदना चाहता है। वहीं इजरायल के कतर पर हमले के बाद सऊदी भी चौकन्ना हो गया है और अमेरिका से यहूदी देश के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता हासिल करना चाहता है।
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