हिमाचल प्रदेश में 2025 के मॉनसून में भारी बारिश ने भारी तबाही मची है। राज्य के कई हिस्सों में बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। अब तक 362 सड़कें बंद हो चुकी हैं, जिनमें कई राष्ट्रीय और जिला सड़कें शामिल हैं। इन बंद रास्तों की वजह से यातायात पूरी तरह ठप हो गया है और राहत एवं बचाव कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां 167 सड़कें बंद हैं और यहां बारिश से होने वाली दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें हुई हैं। कुल 112 लोग बारिश और इससे संबंधित घटनाओं में मारे जा चुके हैं। इसके अलावा कांगड़ा, कुल्लू, चंबा और शिमला जैसे जिलों में भी कई हादसे और जान-माल का नुकसान हुआ है। प्रशासन ने सतर्कता बरतने और अधिक नुकसान से बचाव के लिए कई जिलों में ओरेंज अलर्ट जारी किया है।मौसम विभाग (IMD) ने आगामी दिनों में भी भारी बारिश की संभावना जताई है, खासकर बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन और ऊना जिलों में। इसके चलते भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं बढ़ने का खतरा बना हुआ है। इसलिए लोगों से गैर-ज़रूरी बाहर निकलने से बचने और सतर्क रहने की अपील की गई है।बाढ़ और भूस्खलन के कारण बिजली आपूर्ति और जल आपूर्ति योजनाएं भी प्रभावित हुई हैं। राज्य के कई हिस्सों में 178 जल आपूर्ति योजनाएं और 704 पावर ट्रांसफॉर्मर खराब हो चुके हैं, जिससे आम जनजीवन प्रभावित हुआ है।सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग राहत एवं पुनर्वास कार्यों में जुटे हुए हैं, साथ ही प्रभावित इलाकों में बचाव अभियान और वैकल्पिक सड़क मार्ग बनाने की कोशिशें जारी हैं।इस हालात में हिमाचल प्रदेश के लोगों को विशेष सावधानी रखने, स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करने और आपदा प्रबंधन टीमों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है।
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