हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है। पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 9 अप्रैल दिन बुधवार को रात्रि 10 बजकर 55 मिनट पर हो रहा है और इसका समापन अगले दिन 10 अप्रैल दिन गुरुवार को हो रहा है. ऐसे में प्रदोष व्रत 10 अप्रैल दिन गुरुवार को रखा जाएगा. प्रदोष काल में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर रात 08 बजकर 59 मिनट तक रहेगा.
महिलाओं को यह उपाय करना चाहिए। ध्यान और पूजामान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव का ध्यान और पूजन करने से व्रत पूरा होता है और दुख-कष्ट दूर होते हैं। चिंताएं समाप्त हो जाती हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। व्रत और पूजा के साथ-साथ अगर महिलाएं इस दिन कुछ सरल उपाय अपनाएं तो उनके जीवन में आने वाली परेशानियां दूर हो जाएंगी।
पीले चावल के दानेप्रदोष व्रत के दिन महिलाओं को प्रदोष काल में या दिन के किसी भी समय एक छोटा सा उपाय करना लाभकारी होता है। सात पीले चावल के दाने लें और शिवलिंग पर अपना नाम और गोत्र बोलें।
जल अर्पित करनाइसी प्रकार भगवान शिव का ध्यान करते हुए चावल के सात पीले दाने लेकर उन्हें अपना नाम और गोत्र ध्यान में रखते हुए पीपल या पान के पेड़ में अक्षत के रूप में रखना चाहिए। इस उपाय से पहले जल चढ़ाना अनिवार्य है।
दीपक जलानाइस दिन महिलाएं मिट्टी या आटे का दीपक बनाकर उसमें शिव और शक्ति के नाम से दो दीपक जलाती हैं। यदि संभव हो तो इन दीयों को अपनी हथेली में लेकर भगवान शिव के मंदिर में या बेलपत्र के पेड़ के नीचे रख दें।
हरी चूड़ियों का दानविवाहित महिलाओं के लिए प्रदोष व्रत के दिन हरी चूड़ियां दान करना लाभदायक होता है।
शादी की सामग्री
देवी पार्वती को सुहाग का सामान जैसे सिंदूर, बिंदी, आल्थ और मेहंदी अर्पित करना लाभकारी रहेगा।
प्रदोष व्रत का महत्वप्रदोष व्रत के दिन पूजा हमेशा प्रदोष काल में ही की जाती है। इस दिन अपने विचार सकारात्मक रखें। प्रदोष व्रत के दिन आपके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी व्यक्ति प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का व्रत और विधिपूर्वक पूजा करता है, उसके जीवन के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और उसकी चिंताओं का अंत हो जाता है। प्रदोष व्रत के दिन व्रत और पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
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