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मध्यप्रदेश का पचमठा मंदिर: मां लक्ष्मी के रंग बदलने का रहस्य

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पचमठा मंदिर का अनोखा इतिहास

लाइव हिंदी खबर :- भारत में मां लक्ष्मी के कई रूपों की पूजा की जाती है। धन की देवी के विभिन्न मंदिरों में भक्त अपनी इच्छाओं के साथ आते हैं। मध्यप्रदेश के जबलपुर में स्थित पचमठा मंदिर अपनी अनोखी परंपरा और मान्यता के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर कई देवी-देवताओं की मूर्तियों से सुसज्जित है और इसकी विशेषता यह है कि मां लक्ष्मी की मूर्ति दिन में तीन बार रंग बदलती है।


कहा जाता है कि सुबह मूर्ति का रंग सफेद, दोपहर में पीला और शाम को नीला हो जाता है। इस अद्भुत घटना के पीछे एक किंवदंती है, जिसके कारण भक्त केवल इस अनुभव के लिए पचमठा मंदिर आते हैं।


मंदिर का निर्माण और महत्व

पचमठा मंदिर का निर्माण गोंडवाना शासन के दौरान रानी दुर्गावती के सेवापति दीवान अधार सिंह द्वारा अधारताल तालाब के पास किया गया था। पुजारियों के अनुसार, यह मंदिर लगभग 1100 साल पहले स्थापित किया गया था। अमावस्या की रात यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है। यह मंदिर एक समय तांत्रिक साधना का प्रमुख केंद्र रहा है और इसके चारों ओर श्रीयंत्र की विशेष संरचना है।


रंग बदलने का रहस्य

मंदिर के अंदर श्रीयंत्र की अनोखी संरचना के बारे में भी चर्चा होती है। एक और दिलचस्प बात यह है कि आज भी सूर्य की पहली किरण मां लक्ष्मी की मूर्ति के चरणों पर पड़ती है। हर शुक्रवार यहां विशेष भीड़ होती है, और कहा जाता है कि यदि कोई सात शुक्रवार यहां आकर मां लक्ष्मी के दर्शन करता है, तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। मंदिर के कपाट रात को छोड़कर हमेशा खुले रहते हैं, और दीपावली के दिन भी ये बंद नहीं होते।


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