वैज्ञानिकों ने पहली बार पृथ्वी के सबसे निकट स्थित टी ड्वार्फ तारे की कक्षा में मीथेन गैस की उपस्थिति का पता लगाया है। यह खोज न केवल तारों की संरचना बल्कि ब्रह्मांड की गहराई में मौजूद गैसों के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर रही है। यह शोध मार्च 2024 में arXiv पर प्रकाशित हुआ था और इसका अंतिम संस्करण नवंबर 2024 में सामने आया। जिस तारे में मीथेन पाया गया वह WISEA J181006.18−101000.5 (WISE1810) है, जो पृथ्वी से लगभग 29 प्रकाश वर्ष दूर है।
मीथेन की खोज से खगोलविद हैरानइस खोज में 10.4 मीटर ग्रैन टेलीस्कोपियो कैनेरियास (जीटीसी) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पहले इस तारे को एल-प्रकार का माना जाता था, लेकिन मीथेन की उपस्थिति के कारण इसे टी-प्रकार के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इस खोज ने खगोलविदों को आश्चर्यचकित कर दिया क्योंकि पहले की रिपोर्टों से पता चला था कि इसके वायुमंडल में केवल हाइड्रोजन और जलवाष्प है।
तारों की रासायनिक संरचना में कमीशोध से यह भी पता चला है कि इस टी ड्वार्फ तारे में कार्बन की मात्रा -1.5 डेक्स है और इसकी सतह का तापमान 1,000 केल्विन तक हो सकता है। इसमें पोटेशियम और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी गैसें नहीं पाई गई हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा इसकी कम धातुता या कम तापमान के कारण हो सकता है।
आकाशगंगा के साथ एक विशेष संबंधWISE1810 का वेग -83 किलोमीटर प्रति सेकंड पाया गया है, जो दर्शाता है कि यह तारा आकाशगंगा की 'मोटी डिस्क' से संबंधित हो सकता है। इसका अर्थ यह है कि यह तारा ब्रह्मांड के सबसे पुराने भागों में से एक हो सकता है, जिसकी रासायनिक संरचना अन्य तारों से काफी भिन्न है।
भावी अनुसंधान के लिए नए रास्तेयह खोज भविष्य में टी ड्वार्फ स्टार जैसे तारों के अध्ययन में बहुत सहायक होगी। वैज्ञानिक अब इन छोटे, लेकिन दिलचस्प तारों की और भी गहराई से जांच करेंगे। यह संभव है कि उनके पर्यावरण में ऐसी और भी गैसें मौजूद हों जिनकी अभी तक खोज नहीं हुई है।
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