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चमत्कार! यहां दशहरे के दिन सीधी हो जाती है माता काली की झुकी हुई गर्दन, 5000 साल पुरानी है मान्यता

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भारत में आस्था और चमत्कारों की कहानियां सदियों से लोगों के दिलों में बसे हैं। ऐसा ही एक रहस्यमय और चमत्कारी मामला सामने आता है हर साल दशहरे के दिन, जब एक प्राचीन मंदिर में मां काली की झुकी हुई गर्दन अचानक सीधी हो जाती है। यह घटना हर साल हजारों भक्तों को हैरानी और भक्ति से भर देती है।

बताया जाता है कि यह 5000 साल पुरानी मान्यता है, और इस मंदिर में हर साल दशहरे के दिन देवी मां का यह चमत्कार देखा जाता है। भक्तों का मानना है कि दशहरे के दिन मां काली स्वयं जागृत हो जाती हैं, और उनके शरीर की झुकी हुई गर्दन स्वतः सीधी हो जाती है, मानो वे राक्षसों का संहार करने के लिए तैयार हो रही हों।

कहां स्थित है यह मंदिर?

यह चमत्कारी मंदिर भारत के पश्चिम बंगाल या पूर्वी भारत के किसी हिस्से में स्थित बताया जाता है, हालांकि इसकी सटीक लोकेशन पर अब भी मतभेद हैं। स्थानीय मान्यताओं और धर्मग्रंथों के अनुसार, यह स्थान पांडवों के समय से भी पहले का माना जाता है और मां काली की मूर्ति स्वयं प्रकट (स्वयंभू) मानी जाती है।

कैसे होता है यह चमत्कार?

मां काली की प्रतिमा पूरे वर्ष झुकी हुई अवस्था में रहती है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि मां किसी ध्यान या तपस्या में लीन हैं। लेकिन जैसे ही दशहरा आता है, मंदिर में विशेष पूजा के दौरान प्रतिमा की गर्दन अचानक सीधी हो जाती है। यह दृश्य न केवल भक्तों को चकित करता है, बल्कि कई बार वैज्ञानिकों ने भी इसे समझने की कोशिश की है।

वीडियो फुटेज और फोटो में यह परिवर्तन स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यही वजह है कि हर साल दशहरे पर इस मंदिर में देशभर से हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं, जो मां काली के इस अद्भुत चमत्कार को अपनी आंखों से देखना चाहते हैं।

भक्तों की भावनाएं और श्रद्धा

स्थानीय पुजारियों और श्रद्धालुओं का मानना है कि यह चमत्कार मां की शक्ति और जागृति का प्रतीक है। उनका कहना है, "जब भी अधर्म बढ़ता है, तब मां काली रौद्र रूप धारण करती हैं और दशहरे के दिन यह उसी चेतना का संकेत है कि वे जागृत हो चुकी हैं।"

भक्तों का मानना है कि जो भी इस दिन मां के दर्शन करता है और सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।

क्या कहते हैं जानकार और शोधकर्ता?

कुछ वैज्ञानिक इसे एक प्राकृतिक भ्रम, मूर्ति के बनावट की विशेषता या स्थानीय मौसम की भूमिका बताने की कोशिश करते हैं, लेकिन अब तक किसी भी शोध में इसके स्पष्ट कारण नहीं मिल पाए हैं। इसी रहस्य के कारण यह मंदिर और मां काली की यह प्रतिमा हर साल चर्चा में आ जाती है।

निष्कर्ष:
भारत में आस्था और रहस्य का संगम अक्सर चमत्कारिक घटनाओं के रूप में सामने आता है। मां काली की झुकी गर्दन का सीधा हो जाना न केवल एक चमत्कार है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, विश्वास और देवी शक्ति की जीवंत अनुभूति का प्रतीक भी है। दशहरे के दिन यह दृश्य देखना हर भक्त के लिए एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव बन जाता है।

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